छपरा : राजेंद्र कॉलेजिएट, छपरा में आशा रेपट्ररी के कलाकारों द्वारा आज नुक्कड़-नाटक ‘ओक्का—बोक्का’ का मंचन किया गया। जहांगीर खान द्वारा लिखित व निर्देशित यह नुक्कड़ नाटक महिलाओं के साथ नित हो रहे बलात्कार की घटनाओं पर अधारित है, जिसमें पीड़िता संवैधानिक न्याय प्रक्रिया और समाज के दोहरे चरित्र के पंजे में फंस कर अपनी जान गवां देती है। उसे न्याय भी नहीं मिलता। अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए पीड़ित लड़की का पिता चीख कर सब को बताता रहता है कि इस पुरुषवादी व्यवस्था में बलात्कार की घटना होने पर महिलाएं एक साथ आकर उसका विरोध क्यूं नहीं करती। “क्यूँ कोई पत्नी ये नहीं मानती कि बलात्कारी पति के होने से अच्छा है उसका विधवा होना”। “क्यूँ कोई मां ये नहीं समझती कि बलात्कारी बेटे के होने से बेहतर है उसका बांझ होना”। महिलाएं अगर इस तरह से घर में बलात्कारी पुरुषों से सख्ती से निपटें तो शायद ऐसी वारदात कम हो जायेगी। इसी तरह की पड़ताल करता है नुक्कड़ नाटक ओक्का- बोक्का। आज दिन के 11.00 बजे इस नाटक का मंचन छपरा के स्थानीय रंगकर्मियों इमरान, कृष्णा, प्रवीण, स्नेहा, रंजीत, विक्रम, सोनू, अभिषेक, अनूप ने किया।
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