गरीबी व अशिक्षा पर बिहार में बहुत कार्य करने की जरूरत : सरिता राय

0

सहरसा : मनुष्य अपने कर्म के बल पर समाज में जाना जाता है। जिस मिट्टी में हम पैदा हुए, उसके लिए सामाजिक दायित्व को निभाते हुए उसके कर्ज को चुकाना आवश्यक होता है। यह कहना है टॉपर स्टडी पॉइंट उड़ान की संस्थापिका सरिता राय का। वे विगत ढाई दशक से बिहार के कई शहर और गावों के बच्चों, बुजुर्ग महिला, पुरूषों को ककहरा पढ़ाकर शिक्षित कर रही हैं। उनके प्रयास से न जाने बिहार में कितने लोग साक्षर हो चुके हैं। सरिता राय समाजसेवा के साथ- साथ लोगों को शिक्षादान देते रहती है।

सरिता राय कहती हैं कि जबतक शरीर में ताकत रहेगी वे अशिक्षित लोगों को शिक्षा देते रहेंगी। पारिवारिक एवं सामाजिक कार्यों को एकसाथ पूरा कर रही हैं सरिता। वे अशिक्षित लोगों को शिक्षित करने का संकल्प ली है। आपको बता दें कि सरिता के बदौलत बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान परवान चढ़ रहा है। पिछले कई वर्षों से स्कूल-कॉलेज ही नहीं लोगों के घरों तक जाकर टॉपर स्टडी पॉइंट उड़ान की संस्थापिका सरिता राय बेटियों की अहमियत के बारे में बताती हैं। वे बेटियों की परवरिश से लेकर पठन-पाठन तक की व्यवस्था के लिए लोगों को प्रेरित कर रहीं हैं। बेटियों की तरफदारी में वे रात-दिन एक किए हुए हैं। उनके प्रयास का क्या परिणाम निकला है कि उनकी कोशिश से कई लोग जागरूक हुए हैं। शुरू से ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए लोगों को जागरूक करने वाली सरिता राय अब सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर लोगों को जागरूक कर रही है। साधनसेवी रहने के दौरान उन्होंने कई लड़कियों को टॉपर स्टडी पॉइंट उड़ान के माध्यम से साक्षर की और उन्हें साक्षर कर विद्यालयों में नामांकित कराई। सरिता राय ने बताया कि आज भी लोग बेटियों को बस साक्षर बनाने तक ही सोचते हैं। जबकि बेटियां किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। बेटियों को पढ़ाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए जुड़ो-कराटे का प्रशिक्षण देने वाली सरिता राय कहती है कि प्रधानमंत्री द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से उन्हें विशेष प्रेरणा मिली और उनके सपने को एक राह मिल गया। बेटियां हैं तो सृष्टि है वो लोगों के घर-घर जाकर यह बताती है कि बेटियां है तो सृष्टि है। बेटी नहीं चाहने वाले लोग बहू कहां से लाएंगे इसकी चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार में अब भी दहेज के कारण लोग बेटियां नहीं चाहते हैं। लेकिन अब समय बदला है। कई ऐसे लोग हैं जो दो बेटी होने पर परिवार नियोजन करा चुके हैं। इनके प्रयास से बेटे की आस में जिंदगी व्यतीत करने वाले कई लोग अब बेटियों की बदौलत ही भविष्य के सपनों को संजो रहे हैं। उन्होंने कई लोगों के घर जाकर उन्हें बेटियों के महत्व से अवगत कराया। सरिता राय कहती है कि गरीबी व अशिक्षा के कारण बिहार अब भी बहुत पिछड़ा हुआ है। यहां विशेष तौर पर कार्य करने की जरूरत है। सरकार की इस मुहिम का असर तो हुआ है। लेकिन अब भी ग‌र्ल्स स्कूल, कॉलेज की कमी है। वैसे अब समय व मानिसकता बदलने लगी है। लोग बेटियों को पढ़ाने लगे हैं।
आशिष कुमार झा

swatva

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here