बिहार के कई जिलों में भू-जल में यूरेनियम की मात्रा अधिक : बिश्वेश्वर टुडू

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पटना : केंद्रीय भूजल बोर्ड ने वर्ष 2019 के दौरान पहली बार बिहार सहित पूरे देश के लिए भूजल में यूरेनियम के संबंध में जल गुणवत्ता का मूल्यांकन किया। इस मूल्यांकन के अनुसार, बिहार के कुछ जिलों सारण, भभुआ, खगड़िया, मधेपुरा, नवादा, शेखपुरा, पूर्णिया, किशनगंज और बेगूसराय के भागों में भू-जल में बीआईएस अनुमत्य सीमाओं (0.03 मि.ग्रा/ली.) से अधिक यूरेनियम देखा गया है। गुरुवार को लोकसभा में बिश्वेश्वर टुडू, जल शक्ति राज्य मंत्री ने सांसद राम कृपाल यादव और कौशलेन्द्र कुमार द्वारा पूछे गये अतारांकित प्रश्नअ क्या बिहार के छह जिलों के भू-जल में युरेनियम की अधिक मात्रा पायी गयी है के उत्तर में ये जानकारी दी।

जल शक्ति राज्य मंत्री ने यूरेनियम की अधिक मात्रा से कैंसर और गुर्दे से संबंधित बीमारियें के मामलों में वृद्धि से संबंधित पूछे गये प्रश्न के उत्तर में बताया कि इस विभाग ने मानव स्वास्थ्य पर अधिक यूरेनियम संदूषण के साथ भू-जल के उपयोग के प्रभाव पर कोई विशेष अध्ययन नहीं किया है। फिर भी, विश्व में अन्यत्र किए गए स्वास्थ्य अध्ययन बताते हैं कि पेयजल में उन्नत यूरेनियम स्तर से किडनी में जहरीलापन हो सकता है।

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बिहार के कई क्षेत्रों में भू-जल पहले से ही आर्सेनिक की मात्रा अधिक मात्रा के परिणाम स्वरुप कई जानलेवा बीमारियों से संबंधित पूछे गये प्रश्न के उत्तर में बिश्वेश्वर टुडू, जल शक्ति राज्य मंत्री ने बताया कि सीजीडब्ल्यूबी के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार पेयजल के बीआईएस अनुमत्य सीमा (0.01 मि.ग्रा./ली.) के भूजल में आर्सेनिक की घटना बिहार के कुछ जिलों अर्थात बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मधेपुरा, मुज्जफरपुर, पूर्णिया, सहरसा, समस्तीपुर, सिवान, वैशाली और पश्चिमी चम्पारण के भागों में देखा गया है।

इसके अलावा, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के रूप में 22 मार्च, 2017 को राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप-मिशन (एनडब्ल्यूक्यूएसएम) की शुरूआत की थी, जो अब देश में 27,544 आर्सेनिक/फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण निवासियों को साफ पेयजल प्राथमिकता से उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन के तहत शामिल किया गया है।

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