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जीरो टीलेज का वरदान, किसानों की लौटी मुस्कान

पटना/सीतामढ़ी : सीतामढ़ी के किसानों ने कमाल कर दिखाया है। उन्होंने उंची लागत और कम पैदवार की समस्या का हल निकाल लिया है। इसमें केंद्र सरकार की कृषि योजनाएं उनकी बखूबी मदद कर रही हैं। दरसल यहां के किसानों ने जीरो टीलेज को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हुए कम से कम लागत में उन्नत खेती करने की विधि को अपना लिया है। इसके तहत ​सीतामढ़ी जिले में प्रखंड स्तर पर कृषि समन्वयकों द्वारा किसानों को इस नई तकनीक से खेती की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।

क्या है जीरो टीलेज

जीरो टीलेज खेती करने का वह तरीका है जिसमें जमीन को बिना जोते ही उसपर बार-बार खेती की जा सकती है और कई वर्षों तक बिना जुताई के फसल उगाई जा सकती है। इसमें एक मशीन द्वारा सीधे ही पौधों की रोपाई की जाती है। रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग के कारण किसानों को पारंपरिक खेती करने के लिए जैसी उर्वर मिट्टी होनी चाहिए, वो नहीं मिल पा रही। साथ ही सिंचाई की अच्छी व्यवस्था न होने की वजह से भी किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है। इससे उनकी अच्छी आय भी नहीं हो पाती। ऐसे में जीरो टिलेज तकनीक खेती और बुआई के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है।

जीरो टीलेज कार्यक्रम पर सीतामढ़ी में आयोजित एक कार्यक्रम में कृषि समन्वयक आश्विन कुमार चंद्रावाल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने को लेकर दिल्ली समेत कई हिस्सों में इस विधि को सिखाया जा रहा है। वर्तमान सरकार अगर किसानों के लिये कोई बेहतर कदम उठाती है तो इसका फायदा किसानों को उठाना चाहिए। नवम्बर माह से ही सीतामढ़ी जिले में इसकी शुरूआत कर दी गई थी। हजारों किसान इससे जुड़ कर इसका लाभ उठा रहे हैे। हजारों किसानों ने जीरो टीलेज से गेहूं की रोपाई की थी। गेहूं के खेतों में अब फसल लहलहा रही है। वहीं कार्यक्रम के पर्यक्षक उज्जवल कुमार ने बताया कि जीरो टीलेज से खेती करने की विधि को हर किसान तक पहुंचना चाहिए।

मानस दुबे/बीना कुमारी सिंह