PM मोदी से क्यों मुंह चुरा रहे नीतीश? साफ सरेंडर ही Only विकल्प
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी से बार—बार मुंह चुरा रहे हैं। एनडीए और महागठबंधन के बीच झूलने वाली राजनीति में फंसे नीतीश आज शुक्रवार को एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी का सामना करने से कन्नी काट गए। आज शुक्रवार को पीएम मोदी ने वाराणसी से पटना-झारखंड-बंगाल होते हुए दुनिया के सबसे बड़े रिवर क्रुज की शुरुआत की। इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री को भी न्योता दिया गया था। लेकिन नीतीश एक बार फिर पीएम का सामना करने से बचे। उन्होंने डिप्टी सीएम तेजस्वी को ही इस बार भी पीएम के कार्यक्रम में भेज दिया।
क्रूज उद्धाटन में तेजस्वी को भेजा
इससे पहले भी यूपी और बंगाल में हुई पीएम की बैठकों में नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए थे और तेजस्वी को भेजा था। यहां तक कि जी—20 को लेकर पीएम संग हुई मुख्यमंत्रियों की अहम बैठक में भी नीतीश नहीं पहुंचे। ऐसे में सियासी गलियारे के साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों के बीच यह बहस गरम हो गई है कि नीतीश कुमार पीएम मोदी से मुंह चुरा रहे हैं।
अंतर्आत्मा से नैतिक बल नदारद
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दो—दो बार एनडीए में भाजपा को धोखा देने के बाद नीतीश कुमार प्रधानमंत्री का सामना करने के लिए नैतिक बल नहीं जुटा पा रहे। वे सिर्फ दूर—दूर से केंद्र में भाजपा को हराने के नारे लगा रहे हैं। लेकिन हकीकत को जानने वाली उनकी अंतर्आत्मा इसमें उनका साथ नहीं दे रही। दूसरी तरफ राजद के नेता लगातार उनपर बिहार की कुर्सी छोड़ने का दबाव बनाए हुए हैं। ऐसे वे एनडीए में जाना तो चाहते हैं, लेकिन किस मुंह से?
NDA और RJD दोनों से धोखेबाजी
वहीं दूसरी तरफ विपक्षी भाजपा भी लगातार नीतीश पर हमलावर है और एनडीए के साथ धोखेबाजी का गुनहगार उन्हें ठहरा रही। भाजपा लगातार जदयू में बड़ी टूट और नीतीश की पार्टी के राजद में विलय जैसे मुद्दों को हवा दे रही है। वहीं जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की उफान मारती महत्वाकांक्षा ने नीतीश को और निर्बल करने में कोई कोर—कसर नहीं छोड़ी। अब नीतीश के सामने दो ही विकल्प हैं। या तो राजद के पास साफ सरेंडर, या फिर एनडीए में साफ सरेंडर।