पटना। साहित्य के बिना विज्ञान अधूरा है। साहित्य के बिना समाज अधूरा है। साहित्य के बिना सरकारें अधूरी हैं। उक्त बातें शनिवार को विधान परिषद के सदस्य डॉ. संजय पासवान ने बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन में कहीं। कविकर रवि घोष का 85वां जन्मदिवस समारोह एवं उनकी किताब ‘निर्भया अभी जीवित है’ का विमोचन के अवसर पर वे समारोह को संबोधित कर रहे थे।
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ० अनिल सुलभ ने कहा कि हिंदी हमें जोड़ती है। फिर भी यह हिंदी का दुर्भाग्य है कि हम हिंदी में बात करते हैं लेकिन काम अंग्रेजी में करते हैं। हिंदी को इस स्तर पर लाने का काम इसे राजभाषा बना कर किया गया। जब यह राजभाषा नहीं थी, तब भारत के 16 राज्यों की भाषा हिंदी हुआ करती थी। राजभाषा बनते ही हिंदी का विरोध हुआ।
किताब के बारे बात करते हुए कवि अरुणोदय ने कहा कि निर्भया का मतलब हमारी असफलता। जब तक लड़कियों पर अत्याचार होते रहेंगे तब तक निर्भया जीवित रहेगी।।
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के तरफ से ‘पुस्तक चौदस मेला-2018’ एवं राजभाषा हिंदी पखवारा की शुरुआत की गई। 01 से 15 सिंतबर तक यह कार्यक्रम चलेगा।
(14 दिन के कार्यक्रम की विस्तृत जानकरी तस्वीर में है)