रूस के तीन विदेशी मेहमानों ने गया में क्यों किया पिंडदान?

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गया : समूचे विश्व में मोक्षभूमि के रूप में गयाजी प्रसिद्ध है। यहां देश दुनिया के कोने-कोने से लोग अपने पूर्वजों की मुक्ति की कामना लेकर उनका पिंडदान व तर्पण करने के लिए आते हैं। इस वर्ष यहां तीन विदेशी तीर्थयात्रियों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया। वे सोमवार को रूस से गया पहुंचे तथा आज गयापाल पंडा ने उनसे कर्मकांड पूर्ण कराया। उन्होंने बताया कि गया में यदि वे पिंडदान नहीं करते तो उनके पूर्वज अतृप्त रह जाते, ऐसा उन्हें किसी ने बताया था। इसीलिए वे गया आए हैं।

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी से अश्विन के अमावस्या तिथि तक चलने वाले पितृमुक्ति के महापर्व ‘पितृपक्ष मेला’ का पूरी दुनिया में काफी महत्व है। यही कारण है कि पितृपक्ष मेला के दौरान देश दुनिया से लाखों की संख्या में पिंडदानी गया जी आते हैं और अपने पूर्वजों की मुक्ति की कामना पूर्तिै हेतु पिंडदान तथा तर्पण का कर्मकांड पूरा करते हैं। इसी क्रम में मंगलवार को रूस से आए तीन विदेशी श्रद्धालुओं ने अंतः सलिला फल्गु नदी स्थित देवघाट पर अपने पूर्वजों की मुक्ति की कामना को लेकर पिंडदान और तर्पण का कर्मकांड पूरा किया। गयापाल पंडा के नेतृत्व में पुजारी ने इन तीनों विदेशी श्रद्धालुओं को पिंडदान का कर्मकांड पूरा कराया। जानकारी हो कि सोमवार को रूस के तीन श्रद्धालु मारिया अलेक्सांद्रवना, खालिलोवन सबीना एवं एलेक्स अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड पूरा करने गया पहुंचे थे।

swatva

(धीरज गुप्ता)

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