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प्रवासी मजदूरों ने कहा आधी रोटी खाएंगे, पर कमाने परदेस नहीं जाएंगे

नवादा : कभी पैसे की खातिर अपना घर-परिवार छोड़ कर परदेस कमाने गए लोग अब पैसे व भोजन की कमी के चलते स्वदेश लौटने लगे हैं। पैसे-पैसे को मोहताज होने के बाद वैसे लोग घर वापस आने लगे हैं। जैसे-तैसे वापस घर आए लोगों के चेहरे पर परिवार की परवरिश की चिता भी है। पर अब यह कह रहे हैं कि आधी रोटी खाएंगे, पर अब कमाने के लिए परदेस नहीं जाएंगे।

नगर के आइटीआइ में बने पंडाल में बैठे प्रवासी मजदूर भविष्य को लेकर चितित दिखे। पकरीबरावां के एरुरी गांव के लाल बाबू प्रसाद, जितेंद्र कुमार, काशीचक के उपरावां के कृष्ण कुमार, कौआकोल के पाली गांव के शुभम, नारदीगंज के पन्छेका गांव की सकुंता देवी आदि ने बताया कि वे पिछले सात-आठ सालों से हरियाणा के पानीपत में सूता फैक्ट्री में काम कर रहे थे। लॉकडाउन के चलते कामकाज ठप हो गया। नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
पैसे की कमी के कारण वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। पैसे की कमी के कारण दाने-दाने को मोहताज हो गए। जिसके बाद घर वापस लौटने की ठानी। पास में पैसे नहीं थे। लिहाजा पैदल इस लंबे सफर पर निकल गए।

सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। बीच रास्ते में कभी ट्रैक्टर तो कभी मालवाहक वाहनों का सहारा लिया। आरजू-विनती करते हुए उन वाहनों के सहारे भी दूरी तय की। रास्ते में खाने-पीने को जो मिला, खा लिए। कई झंझावतों को झेलने के बाद घर तक पहुंच सके। हालांकि प्रशासन अभी घर जाने नहीं दे रही। 14 दिनों तक क्वारंटाइन सेंटर में रहने को कहा गया है। बावजूद घर तक पहुंच जाने की खुशी है। उन मजदूरों ने दोबारा दूसरे जगह पर जाकर काम नहीं करने की बात कही। लाल बाबू ने कहा कि अब आधा पेट ही खाकर गुजर-बसर कर लेंगे। यहीं खेती-मजदूरी कर लेंगे, पर कमाने के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाएंगे।

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