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पटना के गांधी घाट से गंगा सद्भावना यात्रा का तीसरा चरण शुरू

पटना : ‘अविरल गंगा, निर्मल गंगा’ के संकल्प एवं गंगापुत्र स्व. स्वामी सानंद जी के बलिदान की स्मृति के साथ ” गंगा सद्भावना यात्रा ” का तीसरा चरण आज शुरू हुआ। राजधानी के गांधी घाट से प्रारंभ इस यात्रा को मकर संक्रांति के मौके पर गंगा सागर में समाप्त होना है। जलपुरुष के तौर पर देश में प्रसिद्ध डॉ राजेंद्र सिंह ने इस मौके पर कहा कि गंगा की सफाई पर 1986 से काम जारी है। गंगा एक्शन प्लान इसका प्रमाण है। 2014 में राजग सरकार ने सत्ता में आने के बाद नमामि गंगे परियोजना प्रारंभ की। यह योजना भी 1986 में शुरू हुई तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी परियोजना के रूप में जानी गई। इसकी सफलता के लिये केन्द्र सरकार के सात मंत्रालयों की साख दांव पर लगी। पहले उमा भारती को इसका जिम्मा सौंपा गया। उनका दावा था कि गंगा सफाई का नतीजा 2018 से नजर आने लगेगा। तीन साल में इस परियोजना पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत तकरीब 1515 करोड़ से अधिक खर्च भी हुए। केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकायों ने मिलकर 2015 से 2017 तक कुल 7304 करोड़ 64 लाख खर्च किये लेकिन बदलाव कुछ नहीं हुआ। परियोजना की धीमी गति और प्रधानमंत्री जी की नाराजगी के बाद इसका जिम्मा अब नितिन गडकरी जी के पास है। लेकिन इनके कार्यकाल में गंगा माई कमाई का जरिया बन गई हैं।
आईआईटी के प्राध्यापक प्रो जी डी अग्रवाल ( स्वामी सानन्द जी ) की तपस्या और उनके बलिदान की चर्चा करते हुये श्री सिंह ने कहा कि गंगा जी की दुहाई देने वालों की सरकार ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अन्ततः उन्होंने ने अपना शरीर त्याग दिया। आज गंगा का अस्तित्व संकट में है। ऐसे में सरकार गंगा की निर्मलता और अविरलता उसके विशिष्ट गुण की रक्षा हेतु कारगर कदम उठाए । यह विडंबना ही है कि गंगा को राष्ट्रीय नदी माना जाता है परन्तु इसके संरक्षण हेतु कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। गंगा केवल नदी नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं जनचेतना का प्रतीक है। गंगा की प्रदूषण नाशक शक्ति इसे विशिष्ट स्थान देती है। आज शायद राष्ट्रीय पशु, पक्षी, पुष्प, राष्ट्रीय नदी श्रेष्ठ हालत में है। गंगा आज आईसीयू में भर्ती है, परंतु एक भी ऐसा जल डॉक्टर उपलब्ध नही है जो इसकी बीमारी को जांच सके, समझ सके और समय पर सही उपचार कर सके। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता पंकज मालवीय, रमेश सिंह, मनोहर मानव आदि दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता और एन आईटी के छात्र उपस्थित थे।