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क्यों रखे जाते हैं बकरों के नाम ‘शाहरुख’—’सलमान’?

पटना : हर साल की भांति इस बार भी बिहार की राजधानी पटना में ‘शाहरुख खान’ और ‘सलमान खान’ पधार चुके हैं। चौंकिए मत! बकरीद का मौका और कुर्बानी का दस्तूर। इस मौके ने एक बार फिर राजधानी के बकरी—बाजारों में शाहरुख—सलमान को सजा—धजा कर पहुंचा दिया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुर्बानी के लिए लाये गये इन बकरों के नाम मशहूर अभिनेताओं के नाम पर क्यों रखे जाते हैं?

प्रचार के चक्कर में बना देते हैं ‘शाहरुख—सलमान’

दरअसल सारा मामला मार्केटिंग के नित नए फंडों से जुड़ा है। पटना के जगदेव पथ के पास स्थित बकरी बाज़ार में राजस्थान से बिक्री के लिए अपना बकरा लेकर आए रहमत बताते हैं कि लोग बकरों में पर्सनैलिटी देखते हैं, तंदुरुस्ती देखते है। ऐसे में हमें भी उनको उसी रूप में ग्राहकों के सामने पेश करना पड़ता है। पिछले 20 साल से यूपी के बलिया से यहां आ रहे जावेद क़ुरैशी बताते हैं कि पहले बात और थी। तब इतनी भीड़ नहीं होती थी। हमारा ध्यान सिर्फ बेचने पर होता था। अब बेचने के साथ—साथ हमें अपने माल यानी बकरों का प्रचार भी करना होता है। इसी प्रचार के चक्कर में लगभग सभी बकरों का नाम ‘शाहरुख-सलमान’ रख देते हैं। पहले मैं अपने अब्बू के साथ यहां आता था। अब मैं और मेरा बेटा आते हैं।

डेढ़ लाख का शाहरुख तो 85 हजार का आमिर

भाव के बारे में जावेद और उनके पुत्र मजहर बताते हैं कि पटना में अच्छी कीमत मिल जाती है इसलिए हमारे रिश्तेदारों समेत पूरा कुनबा यहां बकरा बेचने आते हैं। इसी मंडी में ढाबा चलाने वाले मजीद कहते हैं कि पिछले साल लगभग 30000 बकरों की बिक्री हुई थी। इस बार 40000 पार होने की संभवना है। बुधवार को बलिया का सलमान नाम का बकरा 1.5 लाख में तो दूसरा बकरा ‘आमिर खान’ 85000 रुपये में बिका। मालूम हो कि बकरीद के समय पटना के बकरी बाजार में आरा, मुजफ्फरपुर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इन सब जगहों से बकरे बिक्री के लिए लाए जाते हैं।

(अभिलाष दत्त)