खीर, खिचड़ी या मलाई, किस हांडी में मुंह मारेंगे कुशवाहा?

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पटना : रालोसपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा किस हांडी में मुंह मारना चाह रहे, इसे लेकर वे खुद भी कन्फ्यूजन में हैं। ‘मलाई, खीर और खिचड़ी’ में से कौन सा व्यंजन जायकेदार होगा, यह वे तय नहीं कर परा रहे। तभी तो जहां एक तरफ उन्होंने शुक्रवार को पटना में प्रधानमंत्री मोदी से वफादारी दिखाते हुए कहा कि बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे पर कोई विवाद नहीं है। साथ ही जोड़ा कि एनडीए में ही कुछ लोग हैं जो श्री नरेंद्र मोदी को अगली बार प्रधानमंत्री बनने नहीं देना चाहते। वहीं दूसरी तरफ लगे हाथ उन्होंने दोहराया कि उनकी पार्टी अपनी ‘खीर’ पॉलिटिक्स को लेकर बेहद संजीदा है। इसे लेकर पटना में 25 सितंबर को ‘पैगाम-ए-खीर’ कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें प्रत्येक वर्ग के लोगों को आमंत्रित करने के लिए व्यापक स्तर पर जनसंपर्क किया जाएगा।

सीट बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं : उपेंद्र

साफ है कि कुशवाहा ‘खीर’, ‘मलाई’ और ‘खिचड़ी’ की हांडियों में से हर एक पकवान को थोड़ा—थोड़ा चखने—टटोलने के बाद ही ठोस निर्णय लेना चाह रहे हैं। श्री कुशवाहा ने कहा भी कि वह इससे पहले भी पैगाम-ए-खीर कार्यक्रम के बारे में संकेत दे चुके हैं लेकिन अलग-अलग दलाें के नेताओं और मीडियाकर्मियों ने इसकी गलत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समाज के सभी वर्गों के साथ विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री कुशवाहा ने यहां पत्रकारोंं से कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राजग घटक दलों के बीच बिहार में सीटों के बंटवारें के मुद्दे पर बेवजह विवाद उत्पन्न किया जा रहा है। उन्हाेंने कहा कि राजग में ही कुछ ऐसे लोग हैं, जो श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखकर खुश नहीं हैं। ऐसे लोग मीडिया में सीट बंटवारे को लेकर भ्रम उत्पन्न कर रहें ताकि राजग कमजोर हो जाये और अगले लोकसभा चुनाव में श्री मोदी दुबारा प्रधानमंत्री न बन सकें।
रालोसपा नेता ने राजग में पक रही ‘खिचड़ी’ से ऊब जाने के बारे में पूछने पर कहा कि वह इसके बारे में नहीं जानते हैं। उनकी पार्टी के लिए पैगाम-ए-खीर कार्यक्रम महत्वपूर्ण है, जिससे समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच प्यार और भाईचारे के संदेश का प्रसार होगा।

swatva

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