जानें, क्यों सबसे मस्त है मास्टर की नौकरी?
नवादा : बिहार में शिक्षक की नौकरी सबसे मस्त! न कोई जिम्मेदारी, न कोई काम, बेहिसाब माहवारी और जपते रहो रघुपति राघव राजाराम…। यह धारणा यूं ही नहीं बनी है। इसे हकीकत में राज्य के ग्रामीण इलाकों में आम तौर पर देखा और महसूस किया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला नवादा के उग्रवाद प्रभावित गोविन्दपुर के सरकारी विद्यालय में भी देखने को मिला। यहां के शिक्षक जिस अंदाज में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं उसे हम एकदम मस्त नौकरी की ही संज्ञा देंगे। शिक्षक यहां वास्तव में पढ़ाने की बजाए आराम फरमाने में समय व्यतीत करते हैं।
तस्वीर कभी झूठ नहीं बोलती
शुक्रवार को अकबरपुर—गोविन्दपुर पथ पर अवस्थित प्राथमिक विद्यालय माधोपुर चर्की में कुछ इसी प्रकार का नजारा देखने को मिला जहां शिक्षक पढ़ाने की जगह आराम करते दिखाई पड़े तो उसे कैमरे में कैद कर लिया गया। इसके बाद यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गर्इ्। माधोपुर के ग्रामीणों ने बताया कि इस विद्यालय में पढ़ाई कम और आराम ज्यादा होता है। विद्यालय में दो शिक्षक और दो शिक्षिकाओं को मिलाकर कुल चार लोगों की नियुिक्ति है। शुक्रवार को प्रधान शिक्षिका किरण कुमारी नहीं थीं तथा महेश कुमार नामक शिक्षक क्लास में तो मौजूद थे पर वे वहां कुर्सी पर बैठ कर टेबल पर पैर रख आराम फरमा रहे थे। और तो और एक अन्य शिक्षक चंदन कुमार दूसरे वर्ग में मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त थे। एक अन्य शिक्षिका बरामदे में कुर्सी लगा कर आराम फरमा रही थी। यहां तक कि कैमरे से फोटो लिये जाने का भी इन्हें अहसास नहीं हुआ। इस बाबत बीडीओ बृजबिहारी सिंह ने बताया कि फिलहाल उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। लेकिन यदि ऐसा है तो वे शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगेंगे व दोषी शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए लिखेंगे।
(रवीन्द्र नाथ भैया )