होली में रंग और अबीर से करें परहेज! जानें, पीएम ने क्या कहा?

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पटना : रंगों का त्योहार होली दस्तक दे रहा है। लेकिन इस बार की होली पर ड्रैगन चीन की काली छाया मंडरा रही है। कोरोना वायरस के खौफ ने इस बार की होली को खतरनाक बना दिया है। भारत में यह खतरा इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यहां इस्तेमाल होने वाला अधिकतर रंग और अबीर चाइना के हुबेई प्रांत से आता है। हुबेई चीन का वही प्रांत है जिसकी राजधानी वुहान समेत पूरा राज्य कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा ग्रसित है। इसी हुबेई प्रांत में भारतीय त्योहारों को लक्ष्य कर कई तरह के सस्ते उत्पाद तैयार होते हैं, जिन्हें बाद में भारत में सप्लाई किया जाता है।

चीन के हुबेई में रंग—अबीर का उत्पादन

मतलब भारतीयों के लिए खतरे की घंटी। अपनी संस्कृति से गहरे जुड़े भारतीयों को होली समेत तमाम त्योहारों के लिए उच्च सतर्कता बरतना जरूरी है, क्योंकि इन त्योहारों में जन भागीदारी खुले रूप से और बड़े पैमाने पर होती है। यही कारण है पीएम मोदी ने भी इस बार सादे अंदाज में होली मनाने की घोषणा की है।

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भारतीय त्योहारों को मार्केट करता है चीन

पिछले कुछ दशकों से बाजारवाद ने भारतीय त्योहारों को चीन के सस्ते उत्पादों का स्वर्ग बना रखा है। ऐसे में चाइनीज रंग और अबीर की आवक इस वर्ष की होली में भी बड़ी मात्रा में होने की संभावना है। सवाल यह है कि अबकी होली में हम क्या तरीका अपनाएं कि उत्साह और रंग में कोई भंग ना पड़े।

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कोरोना वायरस पर एडवाइजरी के तथ्य

भारत सरकार और यूएनओ द्वारा जारी एडवाइजरी में यह बताया गया है कि कोरोना वायरस जीवित सेल में 19 दिन तक और निर्जिव पदार्थों में 9 दिन तक जीवित रह सकता है। ऐसे में चाइना से आये माल पर भी 9 दिनों तक वायरस जिंदा रहेगा। अब यदि माल रंग और अबीर की शक्ल में हो और उसका इस्तेमाल होली जैसे सामाजिक सरोकार से जुड़े भारतीय त्योहार में होना हो, तब हालात की गंभीरता का आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं।

पटना में चाइनीज माल का बाजार

बिहार की राजधानी पटना में रंगों व गुलाल के थोक व्यवसायियों का कहना है कि हर साल दिल्ली व मंबई के बड़े व्यापारी चीन से रंग, अबीर व गुलाल मंगाते हैं। वहां से यह माल देश के बाकी हिस्सो समेत बिहार में भी पहुंचता है। हालांकि इस साल नए चाइनीज रंग व गुलाल की आवक बहुत कम हुई है। पुराना स्टॉक भी है। लेकिन कोरोना को देखते हुए व्यापारियों के गिल्ड ने भी चाइनीज रंगों से परहेज करना शुरू कर दिया है। फिर भी चोरी—छिपे छिटपुट तस्करी और अन्य स्रोतों से चाइनीज माल के पहुंचने से इनकार नहीं किया जा सकता।

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