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डीजीपी के तरह सभी पुलिसकर्मी काम करते तो राज्य में अपराध नहीं बढ़ता: ललन कुमार

पटना: बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे के पुलिस फ्रेंडली कार्यो की सराहना करते हुए मांग किया है कि राज्य के थाना स्तर से लेकर उच्चपद के पुलिस पदाधिकारी डीजीपी के कार्या से प्रेरणा लेकर उनका अनुशरण कर राज्य में बढ़ती हुई आपराधिक गतिविधी पर कंट्रोल की दिशा में कार्य करें।

ललन ने जोर देकर कहा कि पुलिस महिलाओं के प्रति सम्मान करें। इस संबंध में धर्मग्रंथों का उदाहरण देते हुए बताया कि महिलओं का सम्मान करना भारत की परम्परा रही है। लॉकडाउन के दौरान मां बहनों के साथ हुई अत्याचार पर ललन ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि यह चिंतनीय विषय है।

पुलिस वालों के द्वारा मां बहनों के साथ थाना में अभ्रद व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी महिलाओं के प्रति कृतसंकल्प हैं। अपराध कंट्रोल की दिशा में उन्होंने पुन:डीजीपी के कार्यो की सराहना करते हुए उनसे अनुरोध किया कि वेसे पुलिस पदाधिकारियों को चिन्हित कर उनपर ठोस कार्रवाई करते हुए तबादला करें।

ललन ने राज्य में हो रहे अपराध की सूची को जारी करते हुए कहा कि फरवरी की तुलना मे मार्च माह मे कमी आनी चाहिए थी। परंतु ऐसा होने की जगह मार्च में अपराध के ग्राफ में वृद्धि दर्ज की गई।

आपराधिक मामले बढ़े

युवा कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदेश मे साधारण दंगे में 41फीसदी और भीषण दंगे में 109 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह फिरौती के लिए अपहरण में 50 फीसदी, हत्या के मामले में 18 फीसदी, डकैती 28.57, लूट 26.8, विविध 56.48 और संज्ञेय अपराध मे .26 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।

उन्होंने कहा कि सधारण दंगा के मामले मे फरवरी मे 483 मामले रिकॉर्ड है, वहीं 20 मार्च तक 560 मामले रिकॉर्ड हुए। जबकि 20 मार्च के बाद अब तक 434 मामले प्रकाश में आए है। वहीं भीषण दंगों के मामले में फरवरी में 11 से 20 मार्च तक 20 से 20 मार्च के बाद अब तक 18 मामले दर्ज हुए हैं।

इसी तरह अपहरण के लिए फरवरी में 817, मार्च में 845 व अप्रैल में 96 और फिरौती के लिए फरवरी में 2 व मार्च मे 3 मामले दर्ज किए गए। वहीं हत्या के मामले में फरवरी में 218, मार्च में 254 व अप्रैल में 82, विविध अपराध के मामले में फरवरी में 6494, मार्च 11062 व अप्रैल में 4815 और संज्ञेय अपराध के मामले में फरवरी में 21065 , मार्च 81119 व अप्रैल में 7181 मामले दर्ज किए गए।

ललन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार पुलिस प्रशासन को सिर्फ उनके कार्य को निष्पादित करने देती। अन्य कार्य एनडीआरएफ, होमगार्ड और सिविल डिफेंस के कर्मियों से निष्पादित कराती तो संभवत: राज्य मे अपराध में वृद्धि नहीं होती।