40 फीसदी आबादी मानसिक बीमारी की चपेट में

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पटना : भारतीय समाज में मानसिक रोग से जुड़ी समस्या बहुत बड़े पैमाने पर उभरकर सामने आ रही है। इस रोग के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। मानसिक बीमारी के कई चरण हैं। सामान्य तौर पर पागलपन, अवसाद, मंदबुद्धि, खुद में बड़बड़ाना आदि को मानसिक रोग माना जाता है। भारत में पहली बार प्रीवेंटिव साइकियेट्री के अंतर्गत कंटिन्यू मेडिकल एजुकेशन पर राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार आज पटना के होटल मौर्य में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंडियन साइकियाट्री सोसाइटी के प्रेसिडेंट डॉ अजित भिड़े ने कहा कि प्रारंभ में रोग की पहचान कर ली जाय और उसी समय सारे प्रिवेंटिव मेजर उठाय जाय तो जड से मानसिक रोग खत्म किया जा सकता है। इस बीमारी के बारे में लोगों को कम जानकारी होती है अवेरेन्स न होना और इफेक्टिव स्टेप न उठा पाने की वजह से यह रोग काफी बढ़ जाता है। डॉ भिड़े ने बताया कि केरल सबसे शिक्षित राज्य है लेकिन सबसे ज्यादा मानसिक रोगी केरल में ही पाय जाते हैं। सुसाइड करने की सबसे ज्यादा टेंडेंसी युवाओं और महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल रहा है। वक़्त रहते इसका इलाज शुरू कर देना ही इसका सबसे अच्छा इलाज है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि देश की 40 परसेंट आबादी किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित है। देश मे साइकियाट्री के डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार होना चाहिए।
कोलकाता से आए डॉ ओपी सिंह ने टेरिटरी प्रीवेंटिव पर फोकस करते हुए कहा कि इस ट्रीटमेंट में बढ़ी हुई मानसिक बीमारी को भी आराम से ठीक किया जा सकता है और इंसान बेहतर रूप से सामान्य जीवन जी सकता है। बेंगलुरु के डॉ जगदीश त्रिथली ने अर्ली एंड संटेंड इंटरवेंशन कि डाटा को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि प्राइमरी स्टेज में रोग को डिटेक्ट करके इलाज करवाना बेहतर रहता है आगे चलकर ये जटिल हो जाता है और दवाई खाने से भी ठीक नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रोग्राम जारी रहना चाहिए। एम्स दिल्ली, के डॉ अतुल अम्बेडकर ने कहा कि शराब की लत या किसी अन्य नशा जो अत्यधिक मात्रा में किया जाय तो उससे भी मानसिक रोगों की समस्या उत्पन्न होतीहै । लखनऊ के डॉ आदर्श त्रिपाठी ने कहा कि कुपोषण ,शरीर मे उत्पन टोक्सिन आदि भी मानसिक रोगों से जुड़ी बीमारी की एक बड़ी वजह है।
नालंदा मेडिकल कॉलेज के डॉ संतोष में कहा कि भारत मे पहली बार बिहार के पटना में राष्ट्रीय स्तर पर प्रीवेंटिव साइकियाट्री का आयोजन किया गया है। उन्होंने सभी साइकियाट्री के डॉक्टरों से अपील कि की वो सभी इस कार्यक्रम से जुड़े और अपना महत्वपूर्ण योगदान दे। उन्होंने कहा कि इस पहली सेमिनार से जुड़ी जितनी भी डिटेल्स निकलेंगी भारत सरकार और बिहार सरकार को भी भेजा जायेगा। सरकार से हमारी यह मांग रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा साइकियाट्री के डॉक्टरों की बहाली की जाय। सरकार भी अपने स्तर से इस तरह के प्रोग्राम का आयोजन करे जिससे व्यापक पैमाने पर लोंगो को इसकी जानकारी मिले।
मानस दुबे

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