8 अप्रैल : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

0
swatva samachar

भक्ति मार्ग से होती भगवान की प्राप्ति : कुलपति

दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय एवं श्यामा मन्दिर न्यास समिति के संयुक्त तत्वावधान में विविध धर्म एवम अध्यात्म विषय पर आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद कुलपति प्रो सर्व नारायण झा ने कहा कि आस्था व दृढ़ विश्वास के साथ भक्ति मार्ग अपनाकर ही सुगमता से भगवान की प्राप्ति हो सकती है। ऐसा धार्मिक व पौराणिक साक्ष्य व आधार भी है।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ ममता ठाकुर के भजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। दीप प्रज्वलन के साथ कुलपति ने कहा कि मन व बुद्धि में हमेशा द्वंद्व चलता रहता है। उन्होंने इसे और स्प्ष्ट करते हुए समझाया कि हमें बुद्धि मिली है सांसारिक कार्यों में लगाने के लिए जबकि मन मिला है भगवान भक्ति में लगाने को। इन दिनों हो रहा है ठीक उल्टा। सांसारिक कार्यों में बृद्धि के बदले हमसभी ने मन को लगा दिया है और भगवान में मन के बदले बुद्धि लगा दी है। नतीजा यह हुआ है कि आस्था हिल गयी है। भक्ति नष्ट हो गया है। स्वाभाविक है कि ऐसे में सुख के बदले दुख बढ़ रहस्य है।

swatva

रामनवमी के अवसर पर शुरू इस कार्यशाला की सफलता की कामना करते हुए वीसी ने तुलसीदास के लिखे चौपाये को रेखांकित कर भगवान राम को सुख का सागर बताया। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सुख व खुशी के लिए हर कोई भगवसन राम की आराधना करते हैं। इसी क्रम में कुलपति ने रामायण व गीता के ढेर सारे सन्दर्भो को परिभाषित करते हुए उपस्थित भक्तजनों को अपने आध्यात्मिक सम्बोधन से मुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम के संयोजक एवम धर्मशास्त्र विभाग के प्रो श्रीपति त्रिपाठी के मंच संचालन में सम्पन्न कार्यशाला में डीन प्रो शिवाकांत झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मौके पर डॉ शशिनाथ झा, डॉ जयशंकर झा, चौधरी हेमचन्द्र राय, मिथिलेश ठाकुर, अखिलेश मिश्र, पवन सहनी, सतीश शर्मा, विनोद कुमार झा बहुत सारे भक्त मौजूद थे।

समाज संचालन के लिए निर्मित नियम ही धर्म है : प्रो त्रिपाठी

दरभंगा : श्यामा मन्दिर परिसर में कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को विविध धर्म एवं अध्यात्म पर खूब चर्चा हुई। श्रोताओं की जिज्ञासाओं को भी शांत किया गया। इसी क्रम में आज के आधार पुरुष संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग के प्रो. श्रीपति त्रिपाठी ने धर्म एवं अध्यात्म के बीच सूक्ष्म अंतर को समझाने का भरसक प्रयास किया। उन्होंने कहा कि समाज संचालन यानी सामाजिक मूल्यों के पोषण के लिए निर्मित नियम ही वस्तुतः धर्म है। इस सर्वग्राह्य नियमों में बंधकर कार्य करने से समाज विकसित होता है और चहुं ओर उन्नति होती है। ठीक इसके विपरीत के क्रियाकलापो से आपसी कलह बढ़ता है और अन्तोगत्वा समाज नष्ट हो जाता है। ऐसे में नियमों को मानने वाला धर्मी एवं इसके विपरीत चलनेवाला अधर्मी कहलाता है।

उक्त जानकारी देते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कई उदाहरणों एवं दृष्टांतों के सहारे प्रो. त्रिपाठी ने विविध धार्मों हिन्दू, सिख, इस्लाम, बौद्ध, जैन, यहूदी,पारसी में विद्यमान अध्यात्म की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि धर्म एवम अध्यात्म में तादात्म्य सम्बन्ध रहा है। धर्म के दो पहलू हैं पहला, वाह्य और दूसरा आंतरिक। वाह्य कर्मकांड है जिसे सम्प्रदाय भी कहते हैं जबकि अध्यात्म विशुद्ध रूप से आंतरिक है, यह मूक होता है। इस तरह अपने भीतर को झांकना ही अध्यात्म है। या यूं कहें कि स्वयं की जानकारी के लिए स्वयं का अध्ययन ही अध्यात्म है। इसमें अपने अंदर के चेतना तत्व को जानना,समझना एवम दर्शन करना जरूरी होता है।

प्रो. त्रिपाठी ने आगे कहा कि आज जहां कहीं भी दूसरे धर्मों में कोई दखलअंदाजी करता है वहां समाजिक परिवेश में कटुता व वैमनस्य बढ़ता है। उन्होंने समझाया कि चिकित्सा विज्ञान ने भी धर्म व अध्यात्म को कई बीमारियों की सुलभ दवा मानी है। अंत मे उन्होंने सभी से खुली अपील की कि धर्म व अध्यात्म के प्रति हम सभी पूर्ण समर्पित हों ताकि सभी जगह शांति, सद्भाव, समृद्धि एवं  सौहार्द का वातावरण कायम हो सके। मन्दिर की न्यास समिति के प्रबन्धक डॉ चौधरी हेमचन्द्र राय के मंच संचालन में सम्पन्न कार्यक्रम के मौके पर सम्पादक विनोद कुमार, डॉ रमेश झा, डॉ राजेश्वर पासवान, डॉ बौआनंद झा, डॉ पुरेन्द्र वारिक, रामनारायण मिश्र, शम्भू झा, अरुण झा, केदार मिश्र, चन्द्र नारायण मिश्र समेत बहुत सारे भक्त उपस्थित थे। वहीं दूसरी ओर  मन्दिर परिसर में डॉ राघव झा द्वारा श्रीमद देवी भागवत कथा भी जारी है।

धूमधाम से मानेगा अम्बेडकर जयंती

दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हाल में सम्राट अशोक एवं भीमराव अंबेडकर की जयंती पर 10 अप्रैल बुधवार को 11.30 बजे पूर्वाह्न समारोह आयोजित किया जाएगा जिसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. सर्वनारायण झा करेंगे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे लखनऊ के डॉ. विनय कर्ण। कार्यक्रम में प्रतिकुलपति प्रो. चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह की भी गरिमामय उपस्थिति रहेगी। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि सीसीडीसी प्रो. श्रीपति त्रिपाठी के संयोजकत्व में होने वाले इस समारोह में डॉ दिलीप कुमार झा स्वागत भाषण देंगे और धन्यवाद ज्ञापित करेंगे प्रोक्टर प्रो सुरेश्वर झा। कार्यक्रम की बाबत सभी तैयारी करीब करीब कर ली गयी है।

मुरारी ठाकुर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here