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नवादा बिहार अपडेट

5 अप्रैल : नवादा की मुख्य ख़बरें

प्राइवेट स्कूलो मे पढ़ाई कम, व्यवसाय ज्यादा

नवादा : जिले भर मे संचालित प्राइवेट स्कूलो मे शिक्षा की कर्तव्य परायणता नहीं के बराबर देखी जा रही है। संस्थापक हो या निदेशक अपने विद्यालयें मे शिक्षा का दीप नहीं बल्कि पैसे का दीप जलाने मे विश्वास रख रहे है। दो से तीन वर्षो तक इन स्कूलो मे अपने बच्चो को पढ़ाई करवाने मे हजारों रूपये खर्च करने के बाद भी नर्सरी वर्ग के बच्चे पहाड़ा भी नहीं सीख पाते है। जबकि नर्सरी से एलकेजी में जाने के बाद 18 सौ रूपये का किताब और कॉपी की सूची छात्र के स्कूल बैग में डाल दिया जाता है।

बच्चो की स्थिति दयनीय

विद्यालय मे आवासीय सुविधा की स्थित और भी भयावह दिख रहे है। घटिया भोजन देकर अधिक कमाने की लालसा इन नौनिहालों के स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। कहा जाता है, कि स्वास्थ्य शरीर मे ही तेज दिमाग का बास होता है। जली रेटी, अधपके चावल व पानी जैसे दाल से ही इन बच्चो के भूख शांत की जा रही है।

रूपये ऐंठने के अलग-अलग तरीके

इन विधालयों मे टीचर्स डे, सरस्वती पूजा, गणतंत्र दिवस आदि तो विद्यालय कर्मियों के लिये लॉटरी सावित होती है। छात्रों पर दबाव बनाकर पैसे की उगाही करते है। वहीं बाल मेले के नाम पर छात्र-छात्राओं से ही लजीज व्यंजने को बनवा कर प्राइवेट स्कूलों के कर्मी सेवन करने मे लगे रहतें है। इसके अलावे अन्य मदों के नाम पर भी विद्यालय के संचालक छात्रो से पैसे ऐठंने में लगे रहते हैं

वाहनों की धर-पकड़ हुई तेज

नवादा : लोकसभा चुनाव और नवादा विधान सभा उपचुनाव को लेकर प्रशासन द्वारा बनाया गया वाहन कोषांग में वाहनों के जमा लेने का काम तेज हो गया है। लेकिन चौती छठ और चौत नवरात्रि को लेकर आम लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। इस महापर्व में जो लोग दूसरे प्रदेशों व अन्य जगहों से अपने घर आने वाले हैं, उनको तो परेशानी हो ही रही है, ग्रामीण इलाकों के रहने वाले लोगों को शहर के बाजार पहुंचने में परेशानी होने लगी है। वाहन कोषांग पदाधिकारी व एमभीआई दिलीप कुमार ने बताया कि चुनाव के लिए जितनी वाहनों की जरूरत है उतना पूरा करना कोई कठिन नहीं है। उन्होंने कहा कि लगभग 3 हजार वाहनों की जरूरत आंका जा रहा है। जिसमें 5219 कॉमर्शियल  वाहनों का विभाग में रजिट्रेशन है जिसकी जरूरत चुनाव में है। इसके अलावा प्राइवेट वाहनों में 2779 का रजिस्ट्रेशन है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे वाहनों की जरूरत महसूस की जा रही है वैसे-वैसे वाहनों को जप्त किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जप्त किये जाने वाले वाहनों को शहर के हरिश्चन्द्र स्टेडियम में जमा किया जा रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि जिस हिसाब से वाहनों की संख्या इस जिले में बढ़ी हैं उससे नहीं लगता है कि लोगों को वाहनों की कमी का परेशानी होगी। फिलवक्त छोटी गाड़ियों के कारण ट्रांसपोर्टर भाड़ा भी मनमाना कर दिया है। पटना जाने के लिए सरकारी बस का भाड़ा 97 रूपये तो प्राइवेट बस का भाड़ा 120 रूपये कर दिया गया है। इसके अलावा जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है भाड़ा भी मनमाना लिया जा रहा है। ऐसे समय में सबसे अधिक परेशानी छोटी वाहनों की कमी से परेशानी अधिक होती है। इन दिनों त्योहारों के साथ चुनाव रहने से गांव से शहर आना मंहगा हो गया है। गांव के दुकानों में शहर से मंगाये जा रहे समानों का दाम भी भाड़ा के नाम पर मंहगा हो गया है। इन हालातों में इस बार का चैत नवरात्रि और छठ दोनों मंहगा साबित होने वाली है। इस लिहाज से मंहगाई और चुनाव के कारण काफी कम घरों में चैती छठ व नवरात्रि होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है ।

एनएच 31  फोरलेन का हो रहा लम्बे समय से इंतजार

नवादा : जिले का लाइफ लाइन राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को अभी भी फोरलेन नहीं किया जा सका है। जिलेवासी आज भी इस मार्ग के उद्धार की बाट जो रहे हैं। तीन राज्यों को जोड़ने वाली यह महत्वपूर्ण पथ है। यह पथ बिहार, असम व झारखंड राज्यों को जोड़ती है। पश्चिम बंगाल जाने के लिए भी लोग इस मार्ग का सहारा लेते हैं। प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री व मालवाहक वाहन इस पथ से होकर गुजरते हैं।  सांसद स्व. भोला सिंह के कार्यकाल में इसे फोरलेन बनाए जाने की स्वीकृति मिली थी।

कब बनी थी योजना

फोरलेन बनाए जाने की योजना वर्ष 2010 में लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद बनाई गई थी। इसके लिए सर्वेक्षण का कार्य कराया गया। बिहार व केंद्र में एनडीए की सरकार थी। तब एनएच 31 को फोरलेन बनाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध कर सड़क को अपने जिम्मे में ले लिया था। पीपीपी मोड़ पर फोरलेन बना था। लोगों को लगा था कि अब झारखंड से असम की दूरी काफी कम समय में पूरी हो सकेगी। इसके साथ ही पथ दुर्घटनाओं में कमी आ सकेगी। लेकिन उनके सपने पर तब विराम लग गया जब बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया। मधुकॉन को मिली थी जिम्मेदारी

पीपीपी मोड पर पथ निर्माण की जिम्मेवारी मधुकॉन कंपनी को मिली थी। वर्ष 2012 में पथ के किनारे लगे हरे वृक्षों की कटाई भी की गई। बाद में बैंक से ऋण न मिलने का बहाना बनाकर कंपनी ने पथ निर्माण कराने से मना कर दिया। वर्ष 2017 तक यही ड्रामा चलता रहा तथा लोगों को शब्जबाग दिखाया जाता रहा। फिर पथ निर्माण तो दूर मरम्मत तक नहीं कराई जा सकी। हालात यह हुआ कि पथ पर वाहनों का चलना तक मुश्किल हो गया। मधुकॉन के हाथ खींचने के बाद निविदा की प्रक्रिया अपनाई गई, लेकिन किसी ने पथ निर्माण में रुचि नहीं दिखाई। परिणाम हुआ कि राजमार्ग के फोरलेन का सपना टूट गया। इस बीच नीतीश कुमार के पुन: भाजपा के साथ आने के बाद वर्ष 2018 में पुन: राजमार्ग मंत्रालय को वापस कर दिया गया। राजमार्ग ने तत्काल 12 करोड़ रुपये की लागत से पथ की मरम्मत कराई। फिलहाल एकबार पुन: पांच करोड़ करोड़ रूपये की लागत से पथ की मरम्मति मंथर गति से की जा रही है। फोरलेन का नहीं होना जिले के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। फोरलेन होने से न केवल पथ दुर्घटना में कमी आएगी, बल्कि पटना व झारखंड कम समय में पहुंचना संभव हो सकेगा। फोरलेन बनने से वाहन चालकों के साथ सफर करने वालों को समय की बचत होगी। इसके साथ ही पथ जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा। आए दिन पथ जाम के कारण परेशानी बढ़ जाती है।

जीआरपी थाना को अबतक अपने भवन का है इंतजार

नवादा : सरकार की ओर से शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक संचालित थाना की व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। इसके अलावा जीआरपी थाना की व्यवस्था को भी सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक संचालित सभी थाना का नया भवन बनाया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद व्यवस्था में सुधार होने का नाम नहीं ले रहा है। बता दें कि केजी रेलखंड के नवादा रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी थाना को अभीतक अपना भवन नसीब नही हो सका है। 48 साल से स्टेशन पर बने यात्री प्रतीक्षालय में जीआरपी थाना का कामकाज संचालित हो रहा है। नवादा स्टेशन पर वर्ष 1970 में यात्रियों की सुविधा के लिए प्रतीक्षालय भवन का निर्माण कराया गया था। इसके बाद ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों द्वारा उपयोग किया जा रहा था। ट्रेन का इंतजार करने वाले यात्रियों को काफी सहूलित होती थी। लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद इसका इस्तेमाल जीआरपी थाना के रूप में किया जाने लगा। जीआरपी थाना का अपना भवन नहीं रहने के कारण आज भी उसी प्रतीक्षालय में थाना का कामकाज चल रहा है। जबकि विभाग द्वारा जीआरपी थाना भवन निर्माण के लिए प्लेटफॉर्म नंबर एक पर यात्री शेड के किनारे भूमि का चयन किया गया है। जहां 30 फीट लंबा व 30 फीट चौड़ा दो मंजिला थाना भवन का निर्माण होना है। भवन निर्माण को लेकर कुछ दिन पूर्व जमालपुर रेल एसपी आमीर जावेद ने नवादा पहुंचकर यहां के पदाधिकारियों से जायजा लिया था। बावजूद अभीतक भवन निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है।

अबतक नवादा जीआरपी पीकेट को नहीं मिला थाना का दर्जा

रेलवे पुलिस प्रशासन द्वारा 48 साल बीत जाने के बावजूद नवादा जीआरपी पुलिस पीकेट को थाना का दर्जा नहीं मिल सका है। अभीतक नवादा जीआरपी पुलिस पीकेट के नाम पर संचालित हो रहा है। बता दें कि नवादा स्टेशन पर जीआरपी पुलिस पीकेट होने से यहां के पदाधिकारियों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है। यहां आने वाले मामले को लेकर पदाधिकारियों को प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए किउल थाना जाना पड़ता है। इसके कारण पदाधिकारियों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है।

जवानों को रहने में होती है परेशानी

नवादा रेलवे स्टेशन पर जवानों को रहने के लिए एक हॉल में बैरक बनाया गया है। एक हॉल में करीब 20 की संख्या में जवान रहते हैं। जगह के अभाव में जवानों को काफी परेशानी होती है। जीआरपी थाना में तैनात जवानों ने बताया कि भवन पुराना होने के कारण दीवार का प्लास्टर झड़कर गिरता है। कभी-कभी तो बना हुआ खाना में भी गिर जाता है। इसके कारण काफी परेशानी होती है। इसके अलावा कमरा के अंदर मात्र एक शौचालय है। जो काफी जर्जर हो चुका है। शौच त्याग करने में काफी परेशानी होती है। जवानों ने बताया कि पेयजल के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं रहने से स्टेशन के इर्द-गिर्द के नलों से पानी लाना पड़ता है।

कहते हैं अधिकारी

जीआरपी थाना भवन निर्माण के लिए स्टेशन के एक नंबर प्लेटफॉर्म के यात्री शेड के आगे भूमि का चयन किया गया है। जहां दो मंजिला भवन का निर्माण कराया जाएगा। जिसमें थाना कार्यालय के अलावा जवानों के रहने की व्यवस्था होगी। विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा प्रस्तावित भूमि का निरीक्षण भी किया जा चुका है। भवन निर्माण का कार्य बहुत जल्द शुरू कराया जाएगा। उक्त जानकारी बीरेन्द्र मांझी, थानाध्यक्ष,रेलवे, नवादा ने दी ।