भाजपा में शामिल होंगे मांझी? महागठबंधन मनाने तो बीजीपी अपनाने में जुटी!

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jitan ram manjhi & BJP Logo

पटना : पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी का मन महागठबंधन और एनडीए के बीच डोल रहा है। जहां महागठबंधन ने उनकी नाराजगी का नोटिस लेते हुए उन्हें मनाने की कोशिश शुरू कर दी है, वहीं भाजपा ने भी मांझी पर तगड़ा होमवर्क करना शुरू कर दिया है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि पार्टी उन्हें भाजपा में शामिल कराने के प्लान पर काम कर रही है। इसकी तस्दीक इससे भी होती है कि कल गुरुवार को जहां भाजपा एमएलसी संजय पासवान ने मांझी से उनके आवास पर भेंट की, वहीं आज शुक्रवार को एक और भाजपा विधायक ने मांझी से मुलाकात कर उन्हें एनडीए का संदेशा दिया।

अपने वोट बैंक पर मांझी की पकड़

श्री मांझी महागठबंधन के अन्य छोटे घटक दलों से जरा भिन्न हैं। वे एक तो पूर्व मुख्यमंत्री हैं। दूसरे दलितों के बड़े वर्ग मुसहर जाति का वे प्रतिनिधित्व करते हैं। स्पष्ट है कि ऐसे में वे अकेले चुनावी असर भले कम डाल पायें, लेकिन किसी धड़े के साथ मिलकर तो वे बड़ा असर डाल ही सकते हैं। इधर भाजपा भी बिहार में दलित कार्ड पर काफी जोर दे रही है। यही कारण है कि महागठबंधन में मांझी के तेवर देख भाजपा ने उन्हें अपने पाले में खींचने की कवायद शुरू की।

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दलितों में पैठ बनाना चाह रही भाजपा

भाजपा के इस ताजा मूव की पहली झलक पार्टी के एमएलसी डा. संजय पासवान की मांझी से कल उनके आवास पर हुई बैठक में देखने को मिली। श्री पासवान ने उन्हें न सिर्फ अपना बड़ा भाई बताया, बल्कि अहम परिस्थितियों में उनसे लगातार संपर्क में होने की बात भी कही। श्री पासवान की इस मुहिम के अगले ही दिन आज शुक्रवार की सुबह भाजपा के एक और विधायक रामप्रीत पासवान हम नेता जीतन राम मांझी के आवास पहुंच गए। खबर है कि मांझी और बीजेपी विधायक के बीच बंद कमरे में घंटों मुलाकात चली।

महागठबंधन का डैमेज कंट्रोल शुरू

इधर महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता डॉ. अखिलेश सिंह ने दावा किया कि जीतन राम मांझी महागठबंधन के वरिष्ठ नेता हैं। कुछ बातें रही होंगी जिसका दर्द उन्होंने मीडिया में बयां किया। लेकिन वे महागठबंधन को छोड़ कर नहीं जाने वाले। अखिलेश ने कहा कि आज भी पूर्व सीएम मांझी से बात हुई है। आगामी 13 नवंबर को महागठबंधन की प्रस्तावित आंदोलन में जीतन राम मांझी शिरकत करेंगे।

बहरहाल, इतना तो साफ है कि हाल में हुए उपचुनाव के बाद से जीतन राम मांझी महागठबंधन में असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने नाथनगर सीट पर अपने प्रत्याशी की हार के लिए सीधे—सीधे राजद पर प्रहार किया था। ऐसे में उनका भाजपा के नेताओं से बात करना और उनके करीब आना अश्चर्यजनक नहीं है।

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