हॉटसीट चंपारण : बाहरी—भीतरी के चक्कर में राधामोहन की मौज

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मोतिहारी : 2019 का आम चुनाव बिहार में दिलचस्प होता जा रहा है। बापू के चंपारण सत्याग्रह और महात्मा बुद्ध के केसरिया बौद्ध स्तूप के लिए मशहूर पूर्वी चंपारण में लड़ाई कई बार ठोके—बजाए और आजमाए हुए अनुभव तथा युवा जोश के बीच की बन चुकी है। यहां एक तरफ राजनीति के मंझे हुए अनुभवी योद्धा राधामोहन सिंह का मुकाबला बिहार के सबसे युवा उम्मीदवार आकाश सिंह से परवान चढ़ रहा है। हालांकि महागठबंधन के प्रत्याशी आकाश सिंह को बाहरी प्रत्याशी होने का दंश भी झेलना पड़ रहा है जिसके कारण उन्हें भीतरघात का भी डर लगातार बना हुआ है।

राधामोहन 10वीं बार मैदान में

एनडीए ने पूर्वी चंपारण से 9 बार चुनाव लड़े राधामोहन सिंह पर एक बार फिर विश्वास जताया है। वहीं महागठबंधन के घटक दल रालोसपा ने युवा प्रत्याशी आकाश प्रसाद सिंह को मैदान में उतारा है। टिकट बंटवारे के बाद यहां पुहुंचे रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के समक्ष कार्यकर्ताओं ने बाहरी व्यक्ति को टिकट देने को लेकर प्रदर्शन के दौरान यह संकेत दे दिया था कि यदि यहां से किसी बाहरी को टिकट दिया गया तो पार्टी के लिए मुश्किल होगी। अब इसी मुश्किल से आकाश प्रसाद सिंह को गुजरना पड़ रहा है। आकाश सिंह, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। अखिलेश प्रसाद सिंह 2004 में राजद की ओर से भाजपा के राधामोहन सिंह को हरा कर सांसद बने थे। यही कारण है कि अपने पिता के राजनीतिक और चुनावी अनुभव की कुशलता और जाति आधारित समीकरण को साधते हुए आकाश सिंह इस चुनाव में खुद को प्रबल दावेदार बताने से नहीं चूकते।

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चुनावी इतिहास का लेखा—जोखा

पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट 1989 के बाद भाजपा का मजबूत स्तम्भ बन गया है। भाजपा का केसरिया पताका लहराने वाले राधामोहन सिंह यहाँ से पांच बार सांसद चुने गए । 1977 के पहले तक यहां कांग्रेस का एकछत्र अधिकार था लेकिन उसके बाद के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 1984 में ही जीत पाई है, वो भी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे सहानुभूति लहर में। हालांकि कई दफा पूर्वी चंपारण से कांग्रेस को अपने गठबंधन के घटक दलों के लिए ये सीट छोड़नी पड़ी। 1989 में पहली बार भाजपा ने यहां अपना खाता खोला और सांसद बने राधामोहन सिंह। 2014 के लोकसभा चुनाव में राधामोहन सिंह ने राजद के विनोद कुमार श्रीवास्तव को तकरीबन 1 लाख 91 हजार मतों से पराजित किया।

जातिगत आंकड़ों में पू चंपारण

पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 6 विधान सभा सीटें आती हैं-मोतिहारी, मधुबन, केसरिया, पिपरा, हरसीद्धि और गोविन्दगंज। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पिपरा, मोतिहारी और मधुबन की सीट पर जीत दर्ज की है, वहीं हरसीद्धि और केसरिया पर राजद तो गोबिंदगंज पर लोजपा का कब्जा है। पूर्वी चंपारण में हालांकि राजपूत और भूमिहार वोटरों की संख्या अधिक है। इसके अलावा यादव वोटर भी हैं और शायद यहीं कारण है कि महागठबंधन ने गणित के हिसाब से ही काम किया है। एनडीए के राधामोहन सिंह और महागठबंधन के उम्मीदवार आकाश सिंह के अलावा सीपीआई के प्रभाकर जायसवाल और बसपा के अनिल कुमार साहनी भी यहां के सियासी मैदान में हैं।

क्षे​त्रीय मुद्दों में चीनी मिल सबसे ऊपर

मोतिहारी में चीनी मिल के अलावा अन्य कई क्षेत्रीय मुद्दे इस चुनाव में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। मोतीझील पर एक अतिरिक्त पुल की मांग, मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना और शहर में सड़कों का चौड़ीकरण करने जैसे मुद्दे भी समय-समय पर उभरकर आये हैं। इन क्षेत्रीय मुद्दों का इस चुनाव में क्या परिणाम निकलता है यह देखना काफी दिलचस्प होगा।

सत्यम दुबे

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