मतदान लोकतंत्र की रीढ़ : डॉ मुश्ताक
दरभंगा : भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने का सौभाग्य प्राप्त है। अधिक मतदान से लोकतंत्र सुदृढ़ एवं मजबूत होता है। मतदान लोकतंत्र की रीढ़ है, जिसके मार्फत हम अपनी पसंद की सरकार बनाते हैं। उक्त बातें स्थानीय सी एम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्त्वावधान में मतदान जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर विदा करते हुए कहा। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि युवा-शक्ति मतदान के प्रति आम लोगों को निरंतर जागरूक करे ताकि सरकार की स्थापना में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी हो सके।
इस अवसर पर एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुरेश पासवान,एनएसएस के पूर्व विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया,परीक्षा नियंत्रक डॉ विजय कुमार झा, प्रधान सहायक विपिन कुमार सिंह,अतुल कुमार, प्रो गजाला शाहीन तथा मो अब्दुल्ला आदि ने रैली में भाग लेकर स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया। स्वयंसेवक हाथों में बैनर, पोस्टर, प्रेरक नारा लिखित तख्ती आदि लेकर वोट डालने जाना है अपना फर्ज निभाना है,सारे काम छोड़ दो-सबसे पहले वोट दो, चाहे नर हो या नारी-मतदान है सबकी जिम्मेवारी आदि प्रेरक नारे लगाते हुए लोगों से जन संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए जागरूक किया। रैली महाविद्यालय परिसर से निकलकर उर्दू बाजार, मिलन चौक, शाहसुपन,नाका पांच, खनकाह चौक,जेपी चौक, टाउन हॉल,दरभंगा टावर, सुभाष चौक, शिवाजीनगर, किलाघाट आदि होते हुए कॉलेज वापस आई। जहां स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व एनएसएस समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि मतदान करना हर वयस्कों का संवैधानिक अधिकार तथा नैतिक कर्तव्य है। मतदान करने से मतदाता का लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ती है तथा सरकार निर्माण में जनता की भागीदारी भी बढ़ती है।हमें अपनी भावनाओं पर काबू रखकर अपनी बुद्धि,विवेक से राष्ट्रहित तथा समाज कल्याण को ध्यान में रखकर अच्छे उम्मीदवार के लिए मतदान करना चाहिए। महाविद्यालय के एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुरेश पासवान ने कहा कि युवा शक्ति के बदौलत ही मजबूत लोकतंत्र का निर्माण संभव है। युवाओं के देश भारत में लोकतंत्र के मजबूत होने से इसका प्रत्यक्ष प्रभाव दुनिया के सभी देशों पर पड़ेगा। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि आपका यह सतत् एवं सार्थक प्रयास एक दिन सफल होकर भारत को मजबूत लोकतांत्रिक देश बनाएगा।आप सभी निश्चित रूप से मतदान के दिन स्वयं मतदान करें तथा समाज के अन्य लोगों विशेष कर दिव्यांग, लाचार, गरीब, वृद्ध, महिला तथा अशिक्षित व्यक्तियों को अधिक से अधिक मतदान के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम में मो. अरबाज खान, राजा कुमार, आस्था निगम, ईशा कुमारी, मुजम्मिल राजा आजमी, रानी कुमारी, अमरजीत कुमार, सुधांशु कुमार रवि, अनामिका कुमारी, आयशा अनवर, फरहीन कौशल तथा राकेश कुमार आदि ने विशेष रूप से सक्रिय सहयोग प्रदान किया।
धर्मशास्त्र विभाग की अनोखी पहल
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग ने अपने जन सरोकार के दायरे को व्यापक करते हुए धर्म व अध्यात्म से जड़ी गुत्थियों को सुलझाने तथा इसके प्रचार-प्रसार के लिए श्याम मन्दिर परिसर में छह अप्रैल शनिवार की शाम से 15 अप्रैल तक यानी दस दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम में भागीदारी के इच्छुक व्यक्ति छह अप्रैल तक पंजीयन करा सकते हैं। कार्यशाला रोज शाम पांच बजे से आयोजित की जाएगी। कार्यक्रम के संयोजक श्यामा मन्दिर न्यास समिति के सह सचिव एवम धर्मशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्रध्यापक प्रो श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि सफल संयोजन के लिए डॉ पुरेन्द्र वारिक, डॉ राजेश्वर पासवान एवम डॉ चौधरी हेमचन्द राय सह संयोजक बनाये गए हैं। वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सर्व नारायण झा, प्रतिकुलपति प्रो चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह, पूर्व कुलपति डॉ रामचन्द्र झा, डॉ उपेंद्र झा, प्रो शिवाकांत झा, प्रो सुरेश्वर झा, डॉ दयानाथ झा, डॉ दिलीप कुमार झा, डॉ विश्राम तिवारी, डॉ राम नारायण मिश्र, डॉ बौआनंद झा, डॉ शशिनाथ झा, प्रो जयशंकर झा, डॉ विघ्नेश चंद्र झा, डॉ रमेश झा, प्रो विद्येश्वर झा व डॉ सत्यवान कुमार को आधार पुरुष के तौर पर नामित किया गया है। सुविधा के हिसाब से इन आधार पुरुषों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी। वैसे उद्घाटन संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो झा करेंगे और पहला वक्ता भी वे ही होंगे। प्रो0 त्रिपाठी ने आगे बताया कि कुल 18 आधार पुरुषों की सूची तैयार की गई है और कार्यशाला का मूल विषय विविध धर्म एवम अध्यात्म ‘ रखा गया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि इस दस दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेकर वे अपने अध्यात्म सम्बन्धी प्यास को अवश्य बुझाएं।
33 प्रकार के होते हैं देवता : डॉ झा
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित वेद विभाग की कार्यशसल के आधार पुरुष रामप्रकाश संस्कृत कालेज, पातेपुर के प्रध्यापक डॉ राजेन्द्र झा ने कहा कि देवता के मूलतः 33 प्रकार होते हैं। इष्ट प्राप्ति एवं अनिष्ट परिहार कर्ता ही देवता की परिभाषा है। आज की कार्यशाला का विषय था देवता विचार। उन्होंने अन्य दृष्टांतों एवम उदाहरणों के जरिये विस्तार से अपना विचार रखा। वहीं डीन प्रो धिवसकान्त झा की अध्यक्षता में सम्पन्न कार्यक्रम के दसूरण प्रो विद्येध्वर झा ने कहा कि मानव की भांति सभी देवताओं की अपनी सपनी सवारी होती है। उन्होंने आगत अथितियों का स्वागत भी किया। उधर डीन प्रो झा ने कहा कि वेद के छह अंगों में निरुक्त शास्त्र को श्रोत्र माना है। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि संयोजक अखोलेश कुमार मिश्र के संचालन में हुए कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से किया गया। मौके पर कई विभागों के विद्वान मौजूद थे।
ताउम्र संस्कृत की सेवा करता रहूंगा : डॉ झा
दरभंगा : संस्कृत भाषा मे उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति एवम ज्योतिष के मर्मज्ञ डॉ रामचन्द्र झा को कल यानी चार अप्रैल को नई दिल्ली में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।पुरस्कार देने की घोषणा कुछ माह पूर्व ही हुई थी।राष्ट्रपति भवन में डॉ झा को ज्योहीं सम्मानित करने की घोषणा हुई कि उनके पैतृक गॉव जयदेवपट्टी समेत मिथिलांचल में खुशी व उत्साह का माहौल व्याप्त हो गया।संस्कृत विश्वविद्यालय में भी सभी एक दूसरे को बधाई देने लगे।ज्योतिष विभाग में सबसे ज्यादा उमंग देखा गया। डॉ झा इस विभाग के कई वर्षों तक अध्यक्ष रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर सम्मान समारोह के बाद डॉ झा ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान पाकर प्रसन्नता तो है लेकिन यह सभी के सहयोग,आशीर्वाद एवम सद्भावना से ही सम्भव हो सका है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब तक शरीर मे सांस है,ताउम्र संस्कृत की सेवा करता रहूंगा।शिक्षा पद्धति में आये बदलाव से संस्कृत शिक्षा पर पड़े प्रभाव को वे नए सिरे से अवलोकन करने की वकालत करते हैं।उन्होंने प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को संस्कृत के लिए ज्यादा मुफीद बताया।उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि सौम्य व सरल विचार के मृदुभाषी डॉ झा की विद्वता खासकर ज्योतिष के क्षेत्र में उनकी पकड़ के सभी मुरीद हैं।
गॉव से ही ली स्नातक तक की डिग्री
डॉ झा बचपन से ही मेधावी थे।जिला मुख्यालय से वही कोई 55 किमी दूर घनश्यामपुर प्रखंड के जयदेवपट्टी गॉव के संस्कृत विद्यालय से मध्यमा तथा वहीं के लक्ष्मी नारायण संस्कृत कालेज से शास्त्री यानी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी की।इसके बाद बगल के हावीभौआर गॉव से आचार्य की डिग्री ली।1977 में इन्हें पीएचडी की उपाधि मिली। डॉ झा लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ,नई दिल्ली में भी प्रध्यापक रहे।इसके बाद 1981 में दरभंगा के संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में अपनी सेवा शुरू की। वर्षो तक इस विभाग के अध्यक्ष भी रहे। यहां डीन, परीक्षा नियंत्रक समेत कई विभागों के पदाधिकारी के रूप में डॉ झा ने अपनी सेवा दी है।अगस्त 2013 में इन्हें यहां का प्रभारी कुलपति भी बनाया गया।साहित्य अकादमी जनरल काउंसलिंग एवम संस्कृत एडवाइजरी बोर्ड के भी वरिष्ठ सदस्य के रूप में इन्होंने संस्कृत का सम्बर्धन किया है। संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा से प्रकाशित विश्वविद्यालय पञ्चाङ्ग के वे वर्षों से प्रधान संपादक हैं।
गुरु को याद कर हुए भावुक
अपने सभी गुरु को याद कर डॉ झा काफी भावुक हो गए।उन्होंने कहा कि सच मे गुरु भगवान तुल्य होते हैं।अधिकांश गुरु का आशीर्वाद आज जमीन पर फलीभूत हो रहा है। जयवल्लभ झा, विश्वेश्वर मिश्र, गोपाल जी झा, राजेश्वर मिश्र, रामानन्द चौधरी, बालकिशोर झा, कृपाकान्त ठाकुर, अनन्त झा सरीखे अन्य गुरु को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि आज का सम्मान उन्हें ही समर्पित है।
बधाई व शुभकामनाओं की झड़ी
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने पर डॉ झा को बधाई व शुभकामनाएँ देने का तांता लगा रहा। संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सर्व नारायण झा ने कहा कि अपने गुरुजी को सम्मान मिलने से वे अति प्रसन्न हैं।उन्होंने डॉ झा को संस्कृत जगत का मनीषी बताया। वहीं प्रतिकुलपति प्रो0 चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह ने उन्हें मिथिला का गौरव कहा।इसी तरह प्रो0 शिवाकांत झा, प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी,प्रो0 सुरेश्वर झा, प्रो0 उमेश शर्मा,प्रो0 हरेन्द्रकिशोर झा, डॉ पुरेन्द्र वारिक, डॉ दयानाथ झा,डॉ विद्येश्वर झा,डॉ विनय कुमार मिश्र,डॉ सत्यवान कुमार,डॉ नन्दकिशोर चौधरी, डॉ पवन कुमार झा,नरोत्तम मिश्रा समेत कई पदधिकारियों, शिक्षकों व अन्य कर्मियों ने डॉ झा को बधाई व शुभकामनाएं दी है।
वेद विभाग ने आयोजित की कार्यशाला व व्याख्यानमाला
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग द्वारा बहुउद्देश्यीय भवन में डीन प्रो0 शिवाकांत झा की अध्यक्षता में आज अष्ट विकृति पाठ पर व्याख्यानमाला आयोजित की गई।इसके बाद प्रो0 सुरेश्वर झा की अध्यक्षता में कार्यशाला आहूत की गई।व्याख्यानमाला के आधार पुरुष पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ पारसनाथ मिश्र ने कहा कि जटा, माला, शिखा,रेखा,ध्वजो, दण्ड, रथो, घन आठ विकृति पाठ के भेद हैं।वहीं डॉ विद्येश्वर झा ने विकृति पाठ के लक्षण व उदाहरण बताए।अध्यक्ष डॉ झा ने कहा कि जो व्यक्ति विकृति पाठों को जानते हैं वे कभी गलत मंत्रोच्चारण नहीं कर सकते हैं। प्रोजेक्टर के माध्यम से भी विषय वस्तु को बताया गया।इस कार्य मे डॉ वरुण कुमार झा तथा डॉ विकास अंगीरस ने सहयोग किया। वहीं दूसरी ओर, कार्यशसल के आधार पुरुष पूर्व कुलपति डॉ उपेंद्र झा ने वैदिक शब्दों की व्याख्या विस्तार से किया। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ झा ने भी आधार पुरुष की बातों का समर्थन करते हुए जातवेदस शब्द को अग्नि का ही पर्यायवाची बताया।डॉ विद्येश्वर झा ने भी विचार रखा।दोनों कार्यक्रमों का मंच संचालन अखिलेश मिश्र ने किया।छात्र नेता मनोरंजन कुमार झा ने कार्यक्रम की सफलता में सहयोग किया।मौके पर कई विद्वान उपस्थित थे।
लोक आस्था को व्यापक बनाएं विद्वान : प्रतिकुलपति
दरभंगा : संस्कृत को जन जन की भाषा बनाने तथा इसके प्रचार प्रसार के निमित्त पटना के राजकीय संस्कृत कालेज में आयोजित सात दिवसीय निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर का शनिवार को उद्घाटन करने के बाद प्रतिकुलपति प्रो चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि आधुनिक विज्ञान आज जो नए नए अनुप्रयोग कर रहा है वे सारी व्यवस्थाएं हमारे संस्कृत के वेदों व उपनिषदों में हजारों वर्ष पहले से विद्यमान हैं। यानी विज्ञान संस्कृत से जुड़ा हुआ है। इसलिए विद्वतजन सोचें कि संस्कृत का जुड़ाव प्रकृति से और समाज से कैसे बढ़ाएं। संस्कृत के विद्वान जरा मनन करें कि क्यों आखिर इस देव भय के आकर्षण में अभाव हो रहा है। बेहतर होगा कि नए सन्दर्भों में संस्कृत भाषा की उपयोगिता को समझें और इसके प्रति लोक आस्था को व्यापक बनाएं।
उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि महाभारत समेत आदिकाल के कई दृष्टांतों को प्रतिकुलपति ने रेखांकित किया और यह समझने का हरसम्भव प्रयास किया कि संस्कृत फिर से समाज में समेकित रूप से अपनी धाक जमा सकती है। प्रोवीसी प्रो सिंह ने कहा कि विदेशी भाषा अंग्रेजी लोकप्रिय हो सकता है तो हमारे संस्कार में पली बढ़ी देववाणी संस्कृत यह मुकाम क्यों नहीं हासिल कर सकती है। संस्कृत के मर्मज्ञ इस ओर जरूर ध्यान दें कि भाषा जटिल न होकर सरल व सहज हो। उन्होंने उपस्थित सभी छात्रों से कहा कि परीक्षा की दृष्टि से भी संस्कृत अधिक मददगार होगी क्योंकि इसमें सबसे अधिक अंक आता है। अंत मे उन्होंने कहा कि संस्कृत सीखने,बोलने व लिखने-पढ़ने के लिए आयोजित इस शिविर में विशेषज्ञ तथ्य के सहारे बताएं और समझाएं कि अन्य भाषाओं से जो लाभ हमें मिलता है वही संस्कृत से सम्भव है।
विशिष्ट अतिथि आदर्श संस्कृत कालेज, लगमा के प्रधानाचार्य डॉ रमेश झा ने कहा कि संस्कृत सरल भाषा है।एक सप्ताह में ध्यान देने से कोई भी फर्राटे से बोल लिख सकते हैं। वहीं विशिष्ट अतिथि वेद विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश शर्मा ने कहा कि संस्कृत रोजगारोन्मुखी विषय है। इसके सही ज्ञान से कोई वेरोजगार नहीं रह सकता है। विशिष्ट अतिथि डॉ दयानाथ झा ने कहा कि संस्कृत भीत ही आसानी से सीखी जा सकती है। यह बहुत सरल भाषा है। संयोजक प्रधानाचार्य डॉ अनिल कुमार ईश्वर ने कहा कि अभी संस्कृत शिक्षको की स्कूल कालेजों में घोर कमी है। इसलिए इस विषय मे उत्तम ज्ञान हो तो नौकरी की भी कमी नहीं है। प्रधानाचार्य डॉ बालमुकुंद मिश्र के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ अनिल कुमार ईश्वर ने दिया जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक प्रधानाचार्य डॉनोज कुमार ने किया।
बता दें कि शिविर में पटना जिला के पातेपुर, धानामठ ,मंदिरी, अकबरपुर, पटना सिटी, बख्तियारपुर के कॉलेजों समेत राजकीय संस्कृत कालेज के करीब 150 बच्चे भाग ले रहे हैं जिन्हें सातों दिन संस्कृत बोलना, लिखना, पढ़ना निःशुल्क सिखाया जाएगा। उद्घाटन के मौके पर सभी आठों कालेजों के कर्मी भी मौजूद थे।
मुरारी ठाकुर