कुर्था (अरवल) : राज्य सरकार ने निर्धन एवं लाचार लोगों के निधन पर अंतिम संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना संचालित की ताकि उक्त योजना से गरीब परिवार के लोगों को किसी प्रियजन की मौत के बाद उसके क्रियाकर्म में किसी प्रकार की परेशानी ना हो। परंतु हैरत यह कि कुर्था के विभिन्न पंचायतों में राशि के अभाव में यह योजना विगत कई वर्षों से फाइलों में ही सिमटी पड़ी है।
गरीब के आंसू पोंछने का संकल्प जताने वाली यह योजना खुद मृत्यु शैया पर सो गई है। योजना के लिए आवंटन का इंतजार पिछले दो वर्षों से हो रहा है। लोगों का कहना है कि मौत के उपरांत हर गरीब को पांच गज कफ़न नसीब हो, इसके लिए सरकार ने यह योजना शुरू की थी। इसके तहत पंचायत में गरीब के मरने पर परिजनों को तीन हजार रुपए देने का प्रावधान किया गया है। सरकार उक्त राशि पंचायत के मुखिया के खाते में देती है। लेकिन दो वर्षों से राशि के अभाव में कफन बांटने वाली योजना प्रखंड में फ्लाप साबित हो रही है। कुर्था प्रखंड में ऐसी कोई पंचायत नहीं जो इस मद की राशि पीड़ितों को दे सके। प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों लोग राशि की आस में पिछले दो वर्षों से प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। 2017 18 में कुर्था प्रखंड के ग्यारह पंचायतों के लिए दो क़िस्त में दो लाख उन्नीस हजार की राशि भेजी गई थी, जिसमें प्रथम किस्त एक लाख अड़तीस हजार व दूसरी किस्त 81 हजार भेजी गई। लेकिन 2018—19 की कबीर अंत्येष्टि की राशि अब तक नहीं मिली है जिसकी वजह से उक्त योजना के लाभुक पंचायत से लेकर प्रखंड का चक्कर लगा रहे हैं।
कुर्था के पंचायतों में कफ़न के पैसे के भी पड़े लाले
इसप्रकार यह योजना मुखिया के गले की फांस बन गई है। 2 वर्षों में महज मामूली रकम आई है। नतीजतन कुर्था प्रखंड में कबीर अंत्येष्टि योजना अपने उद्देश्यों की पूर्ति में विफल साबित हो रही है। कई पंचायतों के मुखिया को अपने जेब से मृतक के परिजनों को निर्धारित राशि देनी पड़ती है। जेब से पैसे देते—देते मुखिया थक चुके हैं। इस बाबत पूछे जाने पर खेमकरण सराय पंचायत के मुखिया शमा सिद्दीकी, धमौल पंचायत के मुखिया अरशद करीम, अहमदपुर हारना पंचायत के मुखिया अमरेंद्र शर्मा, बारा पंचायत के मुखिया रिभा कुमारी, नदौरा पंचायत के मुखिया विजय सिंह समेत प्रखंड के 11 पंचायतों के मुखिया ने बताया कि पंचायत में गरीबों के कफन के लिए पैसे के जुगाड़ करना पड़ता है क्योंकि हमें तो अपने समाज में ही रहना है और गांव की रीढ़ सामाजिकता ही होती है। पंचायत के गरीबों की संवेदना से जुड़े रहने के कारण जेब से तत्काल यह राशि उपलब्ध करानी पड़ती है। इस बाबत पूछे जाने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत जो भी राशि आई थी हमने प्रखंड के सभी पंचायतों को मुहैया करा दी। यह बात सत्य है कि जितनी राशि की आवश्यकता है, उतनी राशि आ नहीं रही। इस वजह से मुखिया को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसमें हम कुछ नहीं कर सकते।
(अखिलेश कुमार)