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एनडीए में सीट बंटवारे का ऐलान : जानें, क्या है नफा—नुकसान?

नई दिल्ली/पटना : बिहार में भाजपा—जदयू और लोजपा के बीच सीटों का बंटवारा हो तय हो गया है। रविवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नई दिल्ली में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा और जदयू 17—17 तथा रामविलास पासवान की लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सीटों की संख्या के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारे में दो बातें एकसाथ हुईं। पहली यह कि राजद नेता तेजस्वी और रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए के सीट शेयरिंग पर तंज कसते हुए ट्वीट किए। जहां तेजस्वी ने भाजपा द्वारा नीतीश के आगे घुटने टेकने बात कही, वहीं कुशवाहा ने 2019 में एनडीए को एक भी सीट नहीं मिलने की भविष्यवाणी कर दी। दूसरी बात यह हुई कि एनडीए में सीट शेयरिंग के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारे में एनडीए के घटकों के बीच नफा—नुकसान पर बहस छिड़ गई। आइए हम भी इस सीट शेयरिंग की बारीकियां समझने की कोशिश करते हैं।
अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो आज के ऐलान में बीजेपी नुकसान में नजर आती है। 2014 में बीजेपी 29 और एलजेपी 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसमें से बीजेपी ने 22 और एलजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि जेडीयू एनडीए से अलग 38 सीटों पर लड़ा था और वह सिर्फ 2 ही सीट जीत पाया था। सवाल यह उठ रहा है कि दो सांसदों वाले का 22 सांसदों वाली बीजेपी के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना किसके नफा—नुकसान का संकेत देता है।

नेता विपक्ष और राजद के तेजस्वी यादव ने भी अपने ट्वीट में यही बात कही है। हालांकि उन्होंने इससे आगे बढ़ते हुए पूरे एनडीए को ही कमजोर बता दिया। तेजस्वी ने 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए की हालत पतली बताते हुए लिखा कि जनादेश की चोरी के बाद भी भाजपा बिहार में इतनी मज़बूत हुई कि 22 वर्तमान सांसद होने के बावजूद 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 2 एमपी वाले नीतीश जी भी 17 सीट पर लड़ेंगे। अब समझ जाइये एनडीए की क्या हालत है।इसी लाइन पर हाल ही में एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने वाले रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी सीट बंटवारे पर चुटकी ली। उन्होंने ट्वीट में कहा कि नीतीश जी की गीदड़ भभकी के सामने नतमस्तक हुए छत्तीस इंच वाले…! थाली छीनने वाले ने छीन ली सीटींग सीट…! मगर जनता तैयार बैठी है, बच्चों के हाथ से किताब छीनने वालों का हिसाब लेने के लिए ।

सीट बंटवारे के ऐलान के बाद बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार भाजपा शिवहर, गोपालगंज, सारण, गया, भागलपुर, बक्सर, सिवान, मुज़फ़्फ़रपुर, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, मधुबनी, अररिया, उजियारपुर, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र और सासाराम हो सकती हैं. वहीं, एलजेपी अपनी जीती हुई सीटों पर यानि खगड़िया, जमुई, मुंगेर, वैशाली, समस्तीपुर और हाजीपुर से चुनाव लड़ सकती है।

हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही बीजेपी 2014 की तुलना में कम सीटों पर 2019 में चुनाव लड़ने जा रही हो, लेकिन इस बार उसका गठबंध नरेंद्र मोदी के करिश्मे का कहीं अधिक लाभ ले सकता है। यानी एनडीए बड़ी जीत दर्ज कर सकता है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सीटों का ऐलान करते हुए दावा किया है कि आगामी चुनाव में एनडीए को पिछले चुनाव से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी। वहीं, राज्य की सत्ता संभाल रहे जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने उनसे भी आगे बढ़ते हुए 2009 और 2014 के चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन का भरोसा जताया।