विश्व के महान गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह के नाम पर कोइलवर सेतु का नाम रखने का प्रस्ताव चिरांद विकास परिषद् ने दिया है। सोमवार को परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आरा के रहने वाले महान गणितज्ञ स्व. वशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार व देश का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया। आने वाली पीढ़ी के जेहन में डॉ. सिंह जीवित रहें, इसलिए उनके नाम पर आरा के कोइलवर पुल का नामकरण किया जाए। बैठक में रामदयाल शर्मा, देवेशनाथ दीक्षित, रासेश्वर सिंह, नागा बाबा आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
श्रीराम तिवारी ने वशिष्ठ का चिरांद से संबंध बताया। उन्होंने कहा कि मानसिक संतुलन बिगड़ने के बाद वशिष्ठ बाबू कई साल तक लापता रहे। लंबे समय के बाद चिरांद के पास ही उन्हें देखा गया। उसके बाद उनके भाई अयोध्या सिंह वशिष्ठ बाबू को घर लेकर गए थे।
सचिव ने कहा कि चिरांद विकास परिषद् बिहार की शख्सियतों, धरोहरों आदि के बारे जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में यह तय किया गया कि राज्य सरकार के पास कोइलवर पुल के नामकरण का प्रस्ताव भेजा जाए। उन्होंने कहा कि आरा के सांसद आरके सिंह के पास भी इससे संबंधित प्रस्ताव परिषद द्वारा भेजा जाएगा।
आरा के थे रहने वाले, आइंस्टीन के सिद्धांत को दी थी चुनौती
भोजपुर के बसंतपुर निवासी वशिष्ठ नारायण सिंह बचपन से ही होनहार थे। छठी क्लास में नेतरहाट स्कूल में कदम रखने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पटना साइंस कॉलेज में अध्ययन के दौरान कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी जिसके बाद वशिष्ठ नारायण 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने PHD की। बाद में एक बड़े घर की लड़की से उनकी शादी हुई जिसके बाद उनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया। लंबी बीमारी के बाद 15 नवंबर 2019 को पटना में उनका निधन हो गया।