किसानों के उत्पाद बेचने के बिहार माॅडल को अब अपनाएगा पूरा देश-सुमो
पटना : पूरे देश में कोरोना वायरस के महामारी के रूप में फैल चुका है। इस वायरस के कारण पूरे देश में आर्थिक स्तर पर बहुत नुकसान हुआ है। जिसके बाद देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कुछ दिन पूर्व ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया।
जिसके बाद आज बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज के तहत किसानों को उन्मुक्त उत्पाद बेचने में बाधा बने जिस एपीएमसी(बाजार समिति) एक्ट को संशोधित करने की अन्य राज्यों में पहल हो रही है उसे बिहार ने 15 साल पहले ही राजद-कांग्रेस के भारी विरोध के बावजूद निरस्त कर किसानों को बिचैलियों से मुक्त कर दिया था। बिहार पहला राज्य है जिसके माॅडल को अब पूरा देश अपनाएगा।
बाजार समितियों से राज्य को सालाना 70 करोड़ की होती थी आमदनी
मोदी ने कहा कि बाजार समितियों से राज्य को सालाना 70 करोड़ की आमदनी होती थी, मगर भ्रष्टाचार और शोषण से किसान परेशान थे। एक्ट के तहत किसान लाइसेंसधारियों से ही अपने उत्पाद बेचने और मंडी शुल्क देने के लिए बाध्य थे, जिसे एनडीए की सरकार बनने के तत्काल बाद 2006 में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए निरस्त कर दिया गया था। आने वाले दिनों में सरकार कान्ट्रैक्ट फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के साथ ही बाजार समिति प्रांगण में आधारभूत संरचना विकसित कर किसानों को ई-प्लेटफाॅर्म से जोड़ कर उन्हें इलेक्ट्राॅनिक ट्रेडिंग की सुविधा देगी। ई-डिस्पले पर वे अपने उत्पादों के देश भर के मूल्य को देख और बेच सकेंगे तथा इसके लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा।
आज बाजार समिति एक्ट को निरस्त करने का ही नतीजा है कि बिहार के किसानों से आईटीसी जैसी कम्पनी हर साल एक लाख टन गेहूं की बाजार मूल्य पर खरीद करती है। किसान अपने हजारों टन गेहूं, मक्का, धान व सोयाबीन आदि बिना किसी बिचैलिए के बेच रहे हैं।
कोविड-19 संकट के दौरान भी आईटीसी ने किसानों से सीधे 20 हजार टन गेहूं की खरीद की है। जीविका से जुड़े किसान उत्पादक संगठन 10 हजार मे. टन मक्का की खरीद करेगा जिसमें से 6 हजार मे. टन की खरीद कर चुका है। ‘देहात’ जैसे संगठन से जुड़े दो लाख किसान प्रतिदिन उसे 8 से 10 मे. टन सब्जी बेचते हैं। इरगोस जैसी कम्पनी अपने 69 गोदामों के जरिए 87 हजार किसानों को 38 हजार मे. टन भंडारण की सुविधा देती है।
दर्जनों कंपनियां बिहार के किसानों से सीधे अनानास, स्ट्राबेरी, लीची, मखाना, अनाज, सब्जी आदि उत्पादों को बाजार मूल्य पर खरीद रही हैं।