जातीय तनाव एवं जातीय राजनीति के कुलाधिपति बनना चाहते हैं तेजस्वी – पप्पू वर्मा
पटना : पिछले दिनों गोपालगंज में राजद कार्यकर्ता के घर में घुसकर परिवार के तीन लोगों की हत्या मामले को लेकर विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कोरोना लाॅकडाउन के बीच ही गोपालगंज मार्च पर निकलने को लेकर पूरे बिहार के राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी है। इस बीच पटना विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य पप्पू वर्मा ने कहा कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष वैश्विक महामारी के समय बिहार को जातीय हिंसा में झोंकना चाहते हैं। महामारी के समय जिस तरह से बिहार के गोपालगंज हत्याकांड पर शुद्ध जातिवादी राजनीति पर ये लोग उतर आए हैं। उससे साबित होता है कि नेता प्रतिपक्ष अपने पिता लालू प्रसाद यादव के पद चिन्हों का ही अनुसरण कर रहे हैं ।
लालू,राबड़ी के शासनकाल चरम बिंदु पर था नरसंहार एवं जातीय तनाव
विदित हो कि लालू,राबड़ी के शासनकाल में बिहार में नरसंहार एवं जातीय तनाव चरम बिंदु पर था।बिहार के अनेकों घरों का चिराग बुझा दिया गया कई बड़े जातीय नरसंहार हुए और इस सारे नरसंहार और तनाव के पीछे लालू प्रसाद के जातिवादी मानसिकता काम कर रहा था। वहीं अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए नेता प्रतिपक्ष सत्ता के लालच में बिहार में जातीय हिंसा को बढ़ाना चाहते हैं।
जातीय राजनीति करना चाहते हैं तेजस्वी
वर्मा ने कहा कि राज्य में पिछले दिनों और भी बहुत सारी घटना हुई परंतु जिसमें की विगत तीन-चार महीनों में गया जिला के कोच थाना अंतर्गत सिंधुबारी गांव में दो लोगों की हत्या की गई और दो लोग घायल थे इसी तरह नवादा नालंदा,मोकामा और भी कई जगह घटनाएं घटी लेकिन नेता प्रतिपक्ष के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला। लेकिन अचानक गोपालगंज की घटना को लेकर अति सक्रिय नेता प्रतिपक्ष की सक्रियता यह साबित करता है कि कहीं ना कहीं वह अपने पिता की तरह जातीय तनाव एवं जातीय राजनीति के कुलाधिपति बनना चाहते हैं।
कानून के तहत सबके लिए सजा का प्रावधान
नेता प्रतिपक्ष आज तक शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी मुद्दा पर कभी खुलकर के सामने नहीं आए क्योंकि शिक्षा पर बोलने के लिए उनके पास कुछ है नही। कोरोना काल में उनका जातिवादी राजनीति से प्रेरित गोपालगंज कांड पर पदयात्रा विशुद्ध रूप से घटिया पन व ओछी मानसिकता का परिचायक है जिसे बिहार की जनता बखूबी समझती है। वर्मा ने कहा कि अपराधी या अपराध करने वाला कोई भी हो किसी जाति धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखना चाहिए कानून के तहत सबके लिए सजा का प्रावधान है और होना भी चाहिए। लेकिन अनेको जगह कांड हुए उन सभी जगह के कांड पर चुप्पी साधना और एक जगह के कांड पर अति सक्रियता दिखाना कहीं ना कहीं बिहार के जनता के मन में सवाल उठ रहा है की क्या नेता प्रतिपक्ष जात बिरादरी के सीमा से बाहर नहीं निकलेंगे।
तेजस्वी की जातिवादी दुकानदारी नहीं चलने वाली
उन्हें ध्यान रहना चाहिए जिस राजनीति के वे उपज हैं उनके कारण हि बिहार विकास एवं अन्य मामलों में दूसरे राज्यों से 100 साल पीछे चला गया। 21वी सदी का बिहार का नौजवान व बिहार की जनता उनके एवं उनके खानदान के स्वार्थ की राजनीति को पूरी तरह समझ गया है उनके जाति के लोग भी अब उनके झांसे में आने वाले नहीं है। अब और अधिक दिनों तक इन लोगों की जातिवादी दुकानदारी चलने वाली नहीं है।