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झामुमो हुई राजद से अलग, कहा- मेरे संदर्भ में क्यों गुम हो गया लालू का सामाजिक न्याय

पटना: चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तारीख की घोषणा कर दी गई है। बिहार की सभी राजनीतिक दलों द्वारा इस चुनाव में जमकर तैयारी की जा रही है। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुरी गाना बहुत ही बेहतरीन उदाहरण बन रहा है। बिहार की राजनीति गलियों में जो माहौल है। उस पर एक गाना सटीक आता है कि सोनू तोहरा हमरा पर भरोसा काहे नईखे।

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गलियारों में अलगाव और मिलन का दौर जारी है। बिहार की राजनीतिक गलियों में हर रोज कोई न कोई पार्टी अपने पुराने गठबंधन से नाता तोड़ नए गठबंधन या अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इस बीच अब राजद के प्रस्ताव को नकारते हुए बिहार में झारखंड मुक्ति मोर्चा अकेले चुनाव लड़ेगी।

इन सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान

झारखंड मुक्ति मोर्चा बिहार विधानसभा की सात सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पिरपैती और नाथनगर से प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि पार्टी और सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए संगठन स्तर पर समीक्षा कर रही है। झामुमो ने शुरू से कहा है कि हमने झारखंड को संघर्ष करके हासिल किया है, खैरात में नहीं पाया है।

सुप्रियो ने कहा कि बिहार विधानसभा के तीन चरण में किसी न किसी सीट पर झामुमो पूरे दमखम के साथ ताल ठोक कर लड़ेगा। उन्होंने कहा कि राजनीति में परिस्थितियां बदल जाती हैं। आज राजद का तेजस्वी नेतृत्व पुराने दिनों को याद नहीं रखना चाहता या झामुमो के संघर्ष को वह मानना नहीं चाहता। सुप्रियो ने कहा कि हम पहले भी कहते आए हैं कि सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे। राजद राजनीतिक शिष्टाचार भूल गया है इसलिए उसके खिलाफ लड़ने को मजबूर होना पड़ा।

झामुमो ने कहा कि राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव राजनीतिक मर्यादा भूल गए। लेकिन, झामुमो लालू यादव का आदर करता है और करता रहेगा। लेकिन, लालू यादव से सवाल किया है कि वह सामाजिक न्याय के तहत राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं, लेकिन उनका यह सिद्धांत झामुमो के संदर्भ में क्यों गुम हो गया? इस सवाल का उनको जवाब देना पड़ेगा। मुक्ति मोर्चा के हिस्से सिर्फ त्याग क्यों। उन्होंने कहा कि अब झामुमो भी राजनीति करना सीख गई है।

उन्होंने कहा कि जब जब लालू पहली बार मुख्यमंत्री बने तब भी झामुमो का साथ उनको मिला। नीतीश कुमार जब नौ दिन के लिए पहली बार मुख्यमंत्री बने तब भी झामुमो ने साथ दिया। भाजपा को रोकना झामुमो का ध्येय रहा है। यही ध्येय आगे भी रहेगा।