चीन से ‘ग्लोबल डिस्टेंसिंग’ क्यों जरूरी? पढ़िए एक्सक्लूसिव आलेख

0
Prof ADN Bajpai

आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई

(पूर्व कुलपति , अर्थशास्त्री एवं चिंतक)

पर्सनल/ फिजिकल बनाम सोशल डिस्टेंसिंग:

आज विश्व भर में” सोशल डिस्टेंसिंग “की चर्चा हो रही है अर्थात हम अकेले रहें, समाज से दूर हैं, किसी से न मिलें तो अच्छा है, मिलें तो दूरी बना कर, मिलें तो सतर्कता बरतते हुए अर्थात् मास्क लगाकर ,लगभग तीन फुट दूरी से, हाथ जोड़े हुए। वस्तुतः इसकी सही अवधारणा “पर्सनल या फिजिकल डिस्टेंसिंग” होनी चाहिए ।व्यक्तिगत या शारीरिक दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है। समाज से तो जुड़ने की जरूरत है ,मनोवैज्ञानिक रूप से, भावनात्मक रूप से और आध्यात्मिक रूप से।
मुझे प्रतीत होता है लॉक डाउन के दौरान जितनी “सोशल कनेक्टिंग” हुई है उतने पहले कभी नहीं हुई। ऐसे मित्र जिन से से बहुत दिनों से बात नहीं हुई थी,उनसे बात की गई । यही कारण था कि एक तोअपने पास समय मिल गया दूसरे उनके स्वास्थ्य की चिंता भी लगी हुई थी।

चीन से ग्लोबल डिस्टैंसिंग :

इस समय सबसे बड़ी चिंता चीन के बढ़ते हुए आतंक की है ।इसलिए मेरा कथन है चीन से “ग्लोबल डिस्टेंसिंग” बनाने के बारे में सारे राष्ट्र चिंतन करें। चीन की साम्राज्यवादी प्रवृत्तियां किसी से छिपी नहीं है। यह अपनी शक्ति को निरंतर बढ़ाने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है।
विश्व युद्ध द्वितीय के उपरांत चीन ने अपनी राजनीतिक अर्थव्यवस्था को केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित किया था परंतु बाद में समय की मांग को देखते हुए बाजारोन्मुख खुली अर्थव्यवस्था में रूपांतरित कर दिया। लेकिन यह खुलापन वास्तविक नहीं है।केवल उद्योग धंधे और व्यापार के लिए ही उसने अर्थव्यवस्था को खोला।बाकी सब पूर्ण नियंत्रण में। उद्योग और व्यापार भी सरकारी नियंत्रण में ही चलते हैं।

swatva

चीन का अर्थशास्त्र:

सकल राष्ट्रीय उत्पाद के आकार की दृष्टि से चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी और क्रय शक्ति के आकार की दृष्टि से पहली विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

विश्व में छोटे बड़े 195 देश हैं ।अफ्रीका में 54, एशिया में 48, यूरोप में 44, लेटिन अमेरिका एवं कैरेबियन ने 33, ओसियाना में 14, और उत्तरी अमेरिका में दो देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्गत आते हैं। विश्व के 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में चीन के पास लगभग 9:00 से मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है जो कि विश्व का 1.88% है ।इसी प्रकार विश्व की 777 करोड़ जनसंख्या में चीन की 142 करोड जनसंख्या है जो कि लगभग 20% आती है। विश्व की सकल राष्ट्रीय उत्पाद लगभग 95.35 ट्रिलियन डॉलर है जिसमें की चीन का योगदान 14.4 ट्रिलियन डॉलर है ज्योति 15.42% आता है। चीन अपने सकल राष्ट्रीय उत्पाद का 38.25% विदेशी व्यापार से अर्जित करता है । चीन का विदेशी व्यापार का अनुमान लगभग 4.1 ट्रिलियन डॉलर है। चीन एक ऐसा राष्ट्र है जिसका विदेशी व्यापार हमेशा उसके पक्ष में रहा है। इसका 2017 में विदेशी व्यापार आधिक्य 412बिलियन डॉलर था ।चीन विदेशी व्यापार से सबसे अधिक आय प्राप्त करने वाले कुछ राष्ट्रों में एक है। इसने अपने व्यापार को बहुत अधिक विविधीकृत कर दिया है। इसमें छोटे-छोटे खिलौने से लेकर के इलेक्ट्रॉनिक गुड्स ऑटोमोबाइल ,टेक्सटाइल , सॉफ्टवेयर, फार्मा उद्योग सब कुछ सम्मिलित है। चीन अपनी राष्ट्रीय आय में विगत 30 वर्षों से लगभग 6% वार्षिक वृद्धि दर बनाए हुए हैं।

चीन का भूगोल:

चीन की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार की है की 14 देशों से इसकी सीमाएं जुड़ी हुई हैं।उत्तरी कोरिया, रूस, मंगोलिया, कजाकिस्तान,किर्गिस्तान , तजाकिस्तान, अफगानिस्तान,पाकिस्तान, भारत,नेपाल,भूटान, म्यामार, लाओस,वियतनाम है। चीन की सीमाओं से लगी हुई भूमि का क्षेत्रफल लगभग 22,000 वर्ग किलोमीटर है। इन सभी देशों में,कुछ को छोड़कर, चीन के सभी के साथ सीमा संबंधी विवाद बने हुए हैं जिनका कोई स्थाई समझौता वह नहीं करना चाहता ।

चीन की सैन्यशक्ति:

सबसे महत्वपूर्ण और संकट की बात यह है कि चीन ने अपनी सैन्य शक्ति बहुत बढ़ा ली और कुछ ही समय में अमेरिका को भी पीछे छोड़ने वाला है ।इसके पास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के नाम से जाने वाली सेना में लगभग 20 लाख सैनिक हैं और 5 लाख सुरक्षित सैन्य बल है। यह विश्व के सबसे अधिक सैन्य बल वाला देश है ।इसका सेना का बजट 178 बिलीयन डॉलर है जो कि अमेरिका के बाद में सबसे अधिक है ।चीन बहुत तेजी से तकनीकी दृष्टि से अत्यंत आधुनिक शस्त्र के निर्माण में लगा हुआ है ।इसके पास में परमाणु शक्ति के प्रचुर भंडार हैं ।अमेरिका, रूस, यूके और फ्रांस के बाद सर्वाधिक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र चीन ही है ।चीन अपने विदेश व्यापार को बढ़ाने में भी अपने सैन्य बल का बहुत अधिक उपयोग करता है।

चीन और OBOR:

चीन की एक महत्वाकांक्षी योजना “वन रोड वन बेल्ट”(OBOR) की है। यह एशिया ,अफ्रीका और यूरोप के 78 देशों में प्रत्यक्ष रूप से अपना व्यापार और प्रभुत्व बढ़ाने के लिए समुद्र और सड़क मार्गों का उपयोग करेगा। निसंदेह इससे चीन की इन देशों में उपस्थिति बढ़ेगी जिसके कारण उन देशों से लगे हुए राष्ट्रों में भी इसके लिए मार्ग खुल जाएगा ।

अमानवीय चीन:

चीन का अमानवीय चेहरा किसी से छुपा नहीं है वह अपने मानवों के प्रति निर्ममता और निर्दयता के साथ व्यवहार करता है ।हमें याद है चीन ने बढ़ी हुई जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कानून बनाए तो महिलाओं के गर्भपात और गर्भस्थ भ्रूण हत्याओं के किस्से विश्व में प्रसिद्ध थे। चीन की गलियां गर्भपात और। नवजात शिशुओं के खून से लथपथ पड़ी रहती थीं। इसी प्रकार मानव अधिकारों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन चीन करता है। वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लगभग शून्य है। चीन के समाचार,सूचनाओं पर भी सरकारी नियंत्रण पूरा बना हुआ है।

चीन से कोरोना वायरस और विश्व संकट:

वर्तमान कोरोना वायरस जोकि सभी जानते हैं कि चीन के वुहान शहर से फैलता हुआ पूरे विश्व में फैल गया है। कोई भी देश इससे नहीं बचा? अब तक 21,93,558 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और 1,47,378 लोग मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। इसका जिम्मेदार कौन है। वही जिसने वायरस को उत्पन्न किया। अथवा वहां पर उत्पन्न हो गया। वह देश चीन है। लेकिन चीन का इतना आतंक है कि सभी देश उस पर आरोप लगाने में डरते हैं । सच यही है कि यह वायरस चीन के वुहान शहर से प्रारंभ हुआ। आश्चर्य होता है जो वायरस पूरे विश्व में और विश्व के प्रत्येक देश के प्रत्येक भाग में फ़ैल गया हो वह चीन के एक शहर तक की कैसे सिमट कर रह गया। इससे सिद्ध होता है कि चीन को वायरस की भयंकर्ता की पूरी जानकारी थी परंतु उसने विश्व के साथ इसे साझा नहीं किया और इसे चीन से बाहर जाने से रोकने के प्रयास भी नहीं किया ।वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन(WHO) ने इस विषय पर मौन धारण कर रखा है ।संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद (UNSC) ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए जब बैठक
बुलानी चाही तो चीन ने उसे भी मना कर दिया क्योंकि 31 मार्च 2020 तक वह स्वयं ही इसका अध्यक्ष था और उसे वीटो पावर है।

अतिमहत्वाकांक्षी, साम्राज्यवादी, अमानवीय एवं अविश्वसनीय :

चीन एकअति महत्वाकांक्षी, साम्राज्यवादी, अमानवीय, अविश्वसनीय परन्तु शक्तिशाली राष्ट्र है । उसने ने 1950 से तिब्बत पर अपना आधिपत्य बना रखा है ।सीमावर्ती राष्ट्रों पर उसकी कुदृष्टि बनी रहती है ।1962 में चीन ने भारत को जबरदस्त धोखा दिया। पंचशील सिद्धांत, हिंदी -चीनी भाई भाई जैसे उद्घोषों की धज्जियां उड़ा दी और अभी भी उसने भारत की लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल दबा रखा है ।
अब समय आ गया है कि समस्त राष्ट्र एक होकर चीन से दूरी बना लें जिसे “ग्लोबल डिस्टेंसिंग” , कार्यक्रम कहा जा सकता है अन्यथा चीन धीरे-धीरे चीन विश्व मानवता के लिए एक बहुत बड़ा संकट बन जाएगा।

ग्लोबल डिस्टेंसिग कार्य क्रम की रूपरेखा :

चीन से global distancing के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं :

1.चीन के साथ विश्व के सभी राष्ट्र अपने व्यापारिक संबंध स्थगित अथवा रद्द कर दें ।
2.संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से कोरोनावायरस को फ़ैलाने पर चर्चा करके चीन पर सैंक्शंस लगाए। जाएं।
3. चीन से हर तरह के कूटनीतिक संबंध रद्द/ स्थगित कर दिए जाएं।
4. तिब्बत को चीन से मुक्त कराने के लिए विश्व जनमत तैयार करें ।
5.भारत के 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि जो चीन ने दवा रखी है, वापस करने हेतु जनमत तैयार हो।
6.वन बेल्ट वन रोड,(OBOR) बनाने के लिए चीन ने जो 78 राष्ट्रों के साथ समझौता किया है उसे रद्द कर पुनः अनुमति न प्रदान की जाए ।
7.जिस प्रकार जापान ने चीन से अपने सारे विनियोग वापस लेने की योजना बनाई है ।इसी क्रम में विश्व के अनेक राष्ट्र जिनका विनियोग चीन में।है उसे वापस लेकर अन्य देशों में लगाने की योजना बनाएं।
8. चीन के लोग दिन दिन देशों में व्यवसाय अथवा उद्यम अथवा नौकरी में है उन्हें तुरंत चीन वापस जाने के लिए आदेशित किया जाए और उनकी नागरिकता और वीजा इत्यादि को रद्द कर दिया जाए ।
10. चीन के सैन्य कार्यक्रम पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
11.चीन से प्राप्त होने वाली चिकित्सा आदि सुविधाओं के पूरी जांच कर ली जाए क्योंकि अभी भारत में एक प्रकरण सामने आया कि चीन द्वारा भेजे गए कोरोना वायरस को ठीक करने के लिए 1, 75, 000 पीपी ई किट्स में केवल 50, 000 ही ठीक पाए गए। शेष जांच में ठीक नहीं पाए गए।यह चीन का असली चेहरा है विश्व को यह समझ लेना चाहिए।
12. चीन कोरॉना वायरस से उत्पन्न आर्थिक संकट का भी अनुचित लाभ उठाना चाह रहा है और विश्व में जिन कंपनियों के शेयर गिर रहे हैं उनको खरीदने की उसने योजना बनाई है ।उदाहरण स्वरूप चीन ने एचडीएफसी इंडिया में 1%शेयर खरीदे हैं ।विश्व के समस्त राष्ट्रों को अपनी कंपनियों को आदेश देना चाहिए वह किसी भी स्थिति में चीन को अपने शेयर्स न बेचें।
13. संयुक्त राष्ट्र संघ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चीन के विरुद्ध विश्व महामारी फैलाने और लगभग डेढ़ लाख लोगों की मृत्यु के लिए प्रत्यक्ष उत्तरदाई मानकर मुकदमा दायर किया जाना चाहिए । साथ ही विश्व को जितना आर्थिक संकट हुआ है उसे चीन से वसूलना चाहिए।

कठिन, परन्तु आवश्यक:

मुझे मालूम है यह एक कठिन कार्य है परंतु विश्व मानवता पर मंडराते हुए भावी संकट को ध्यान में रखते हुए इस ओर चिंतन करना और ठोस कदम उठाना आवश्यक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here