बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां की लगभग 80 प्रतिशत अबादी कृषि कार्य पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। कृषि विभाग के अनुसार राज्य में कुल 56 लाख हेक्टेयर (141 लाख एकड़) कृषि योग्य भूमि का उपयोग किया जाता है, जिसमें 33 लाख हेक्टेयर भूमि पर केवल धान की खेती की जाती है। फिर भी किसानों को उनके उपज का सार्थक मूल्य नहीं प्राप्त हो पा रहा था। इसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा किसानों को उनके उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने के लिए अधिप्राप्ति कार्यक्रम आरंभ किया गया। प्रारंभ में अधिप्राप्ति कार्य राज्य खाद्य निगम एवं बिस्कोमान के स्तर से किया जाता था। लेकिन, किसानों को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिल पा रहा था, इसी कारण सरकार ने इस महत्वपूर्ण कार्य को करने की जिम्मेवारी सहाकरिता विभाग को दी। सहकारिता विभाग ने इस कार्य को कठिन परिश्रम एवं मेहनत कर सफल बनाया है। सहकारिता विभाग का अभिन्न अंग पैक्स/व्यापार मंडल के द्वारा राज्य में अधिप्राप्ति कार्य किये जा रहे हैं। किसानों को उनकी उपज का वास्तविक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने में सहाकरिता विभाग पूरी तरह से सफल हुआ है।
पारदर्शिता:
सहकारिता विभाग द्वारा अधिप्राप्ति कार्यक्रम को पारदर्शी एवं गुणवत्तापूर्ण संचालन के लिए ई-प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट सिस्टम लागू की गई है। जिसमें कृषकों का निबंधन आॅनलाइन कराकर उनसे उनके धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान की व्यवस्था अपनाई गई है, जिससे किसानों को उनके उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य 48 घंटों के अंदर उन्हें उपलब्ध कराया जाता है। इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी या बिचैलियों की सहभागिता नगन्य पाई जा रही है। राज्य के कुल 8463 पंचायत स्तरीय पैक्सों एवं 521 प्रखंड स्तरीय व्यापार मंडलों के अन्तर्गत लगभग 7000 पैक्स/व्यापार मंडलों के माध्यम से अधिप्राप्ति कार्य किया जा रहे हैं, जिसमें प्रतिवर्ष लगभग औसत 3 लाख किसान परिवार को प्रत्यक्ष लाभ तथा यदि प्रति परिवार 5 सदस्यों की गणना आधार मान ली जाये तो 15 लाख व्यक्तियों को इसका अप्रत्यक्ष लाभ हर साल सरकार पहुंचाने में सफल हो रही है। इससे प्रतिवर्ष राज्य के किसानों को औसतन 2500-3000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। वर्ष 2016-17 से राज्य के छोटे/मझौले तथा दूसरों की जमीन पर खेती करने वाले कृषकों को प्रत्येक वर्ष के अनुपातिक लाभ का प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ा है। वर्ष 2018-19 में पिछले वर्ष की तुलना में और अधिक हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास विभाग द्वारा किया जा रहा है। पैक्स/व्यापार मंडलों को भी इस माध्यम से अपनी स्थिति सुदृढ़ एवं मजबूती प्राप्त करने में सफल हुआ है।
अधिप्राप्ति का महत्व
राज्य के कृषकों को उनके उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तत्काल उपलब्ध कराना विशेष कर लघु एवं सीमान्त किसानों के आर्थिक स्थिति में सुधार लाना। अधिप्राप्ति के फलस्वरूप बाजार मूल्य में स्वभावित रूप से वृद्धि होती है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ सभी वर्ग के कृषकों को प्राप्त होता है। राज्य के सहकारी संस्थाओं पैक्स/व्यापार मंडल, जिला एवं राज्य सहकारी बैकों की वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ता प्रदान करना। राज्य के खाद्यान्न वित्तरण योजना अन्तर्गत खाद्यान्न की उपलब्धता एवं जन-वितरण प्रणाली को सुदृढ़ता प्रदान करना।
सहकारिता विभाग द्वारा धान क्रय की प्रक्रिया
कृषकों का निबंधन
राज्य के किसानों को उनके उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकाधिक लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से रैयती एवं गैर-रैयती कृषकों को अधिप्राप्ति कार्य करने के लिए आॅनलाइन निबंधन कराने का प्रावधान किया गया है। आॅनलाइन निबंधन के लिए किसानों को यह छुट दी गई है कि वे कहीं से भी निबंधन करा सकते हैं। आॅनलाइन निबंधन की व्यवस्था एनआईसी के माध्यम से संचालित विभागीय पोर्टल के माध्यम से की गई है। आॅनलाइन निबंधन कराने के लिए किसानों को व्यक्तिगत सूचनाएं, फोटो, फोटोयुक्त परिचयपत्र, धारित बैंक खाते का विवरण एवं एलपीसी या मालगुजारी रसीद (रैयती किसानों के लिए) तथा घोषणापत्र (गैर रैयती किसानों के लिए) अनिवार्य है।
खरीफ विपणन वर्ष 2016-17 के अन्तर्गत कुल 660687 किसानों द्वारा आॅनलाइन आवेदन दिया गया, जिसमें से 514423 किसानों का आवेदन पूर्ण पाया गया। इसमें 242590 (48 प्रतिशत) निबंधन गैर-रैयती किसानों द्वारा कराया गया है। वर्ष 2017-18 से निबंधन का कार्य नवम्बर के बजाय सितम्बर माह से ही प्रारंभ कराया जा रहा है, जिससे कि अधिकाधिक संख्या में किसान इससे जुड़ सकें तथा जिन जिलों में धान के कटाई अगात (प्रारंभिक रूप से सितम्बर/अक्टूबर में) होती है वहां के किसानों को भी इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। वर्ष 2017-18 में 376193 किसानों द्वार आॅनलाइन आवेदन किया गया। जिसमें से 344789 आवेदन पूर्ण पाये गये। पूर्ण आवेदनों में से 333090 आवेदनों को स्वीकृति दी गई। इसमें रैयत कृषकों की संख्या 176040 (53 प्रतिशत) एवं गैर-रैयत कृषकों की संख्या 157050 (47 प्रतिशत) थी। खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 अन्तर्गत अघतन तिथि (07.12.02018) तक कुल 54695 प्राप्त आॅनलाइन आवेदनों में से 47145 पूर्ण आवेदन हैं। जिसमें रैयत कृषकों की संख्या 19307 (62 प्रतिशत) एवं गैर-रैयत कृषकों की संख्या 17838 (38 प्रतिशत) है।
राज्य के लघु, सीमान्त एवं दूसरों की जमीन पर खेती करने वाले कृषकों को प्रोत्साहन:
वर्ष 2016-17 में राज्य सरकार द्वारा कृषकों के हित में राज्य में अधिक से अधिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिलाने के उद्देश्य से वैसे किसान जो दूसरे की जमीन पर कृषि कार्य करते हैं, उनके लिए प्रति कृषक 50 क्विंटल अधिकतम धान अधिप्राप्ति की मात्रा निर्धारित की गई है एवं धान बिक्री के लिए किसानों को निबंधन के समय मात्र पहचानपत्र के अलावा जिस जमीन पर खेती करते हैं उसकी स्व-घोषणापत्र उपलब्ध कराना है। इस व्यवस्था को वर्ष 2017-18 में भी जारी रखते हुए प्रति कृषक 75 क्विंटल अधिकतम धान अधिप्राप्ति की मात्रा निर्धारित की गई। जिससे की अधिक से अधिक किसान जो दूसरो की जमीन पर खेती करते हैं, वे अपना धान सरकार को सुगमतापूर्वक बिक्री करर सके एवं उन्हें उपज का वास्तविक लाभ (एमएसपी) प्राप्त हो सके। इसे खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 के लिए भी जारी रखा गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान:
राज्य के अन्तर्गत खरीफ अधिप्राप्ति के लिए निबंधित कृषकों से पैक्स द्वारा धान खरीद के पश्चात आॅनलाइन ऐडवाइस जेनरेट कराकर, संबंधित प्रखंड के प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी-सह-प्रखंड नोडल पदाधिकारी (अधिप्राप्ति) से सत्यापन उपरान्त उक्त ऐडवाइस संबंधित पैक्स की बैंक शाखा में जमा होता है, जहां से आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से राशि संबंधित कृषकों के खाते में 48 घंटे के भीतर स्थानान्तरित कर दी जाती है। भारत सरकार द्वारा प्राप्त निर्देश के आलोक में वर्ष 2018-19 से कृषकों का भुगतान पीएफएमएस प्रणाली के माध्यम से किसानों को किये जाने की व्यवस्था की जा रही है।
नमी प्रबंधन:
राज्य में धान कटनी के प्रारंभिक महीनों (अक्टूबर-नवम्बर) में धान में नमी की मात्रा भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक (17 प्रतिशत) से अधिक बनी रहती है, जिस कारण लघु एवं सीमान्त कृषों को अपने उपज को बेचने में कठिनाई होती है क्योंकि वे इसे होल्ड नहीं कर पाते है। सहकारिता विभाग द्वारा नमी प्रबंधन के लिए पायलट प्रोजेक्ट अन्तर्गत मुरादाबाद पैक्स (रोहतास) में ड्रायर की स्थपना की गई है। राज्य के अन्य सक्षम पैक्स/व्यापार मंडलों में भी ड्रायर की स्थापना के लिए कार्रवाई की जा रही है। सहकारिता विभाग द्वारा 78 समितियों (जिनमें राईस मिल संचालित है) में ड्रायर स्थापना की कार्रवाई की जा रही है। नमी प्रबंधन के दृष्टिगत भारत सरकार से निर्धारित मानक को प्रारंभिक महीनों में शिथिल करने का अनुरोध किया गया है।
वित्तीय प्रबंधन:
अधिप्राप्ति कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 तक 600 करोड़ रुपये की राशि ऋण के रूप में उपलब्ध कराई गई है। उक्त राशि के अतिरिक्त राज्य सहकारी बैंक/जिला केन्द्रीय सहकारी बैंको के स्वयं के संसाधन से भी लगभग 400 करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था कर उसके चक्रीय उपयोग कर अधिप्राप्ति कार्य का सम्पादन किया जाता है एवं किसानों को धान का भुगतान 48 घंटे के अन्दर सरकार करने में पूरी तरह से सफल है।
वर्ष 2017-18 अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा अधिप्राप्ति कार्य के सुचारू रूप से संचालन के लिए 500 करोड़ रुपये की ऋण राशि पर (सरकारी वित्तीय संस्थानों से) बिहार राज्य सहकारी बैंक लि. को बैंक गारंटी प्रदान की गई है, ताकि अधिप्राप्ति कार्य में निधि की कमी नहीं हो। साथ ही 7 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण की व्यवस्था की गई है। वर्ष 2018-19 से राज्य सरकार द्वारा पैक्स/व्यापार मंडलों के हित को ध्यान में रखते हुए 8 प्रतिशत ब्याज दर पर सस्ते कैश-क्रेडिट ऋण उपलब्ध कराने की कार्रवाई की गई है।
ई-प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट सिस्टम:
राज्य में अधिप्राप्ति कार्य के पारदर्शी एवं गुणवत्तापूर्ण संचालन के लएि ई-प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट सिस्टम का प्रयोग सहकारिता विभाग द्वारा किया जाता है। विभाग द्वारा मोबाइल एप्लीकेशन तकनीक का उपयोग कर अधिप्राप्ति कार्य के दैनिक अनुश्रवण की व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है तथा अधिप्राप्ति से संबंधित सभी महत्वपूर्ण आंकड़ें/ सूचनाएं विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है। विगत वर्षों में इससे अधिप्राप्ति कार्य का संचालन विवाद रहित एवं पूर्ण पारदर्शी रहा है।
उपलब्धि:
खरीफ विपणन वर्ष 2017-18 अन्तर्गत 1.63 लाख कृषकों से कुल 11.84 लाख में टन धान का क्रय कर 1835 करोड़ की राशि का भुगतान न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में कृषकों को किया गया है। कुल अधिप्राप्ति धान के समतुल्य सीएमआर की मात्रा 7.93 लाख मे.टन के विरुद्ध 7.8 लाख मे.टन (98.36 प्रतिशत) सीएमआर की आपूर्ति राज्य खाद्य निगम को की गई है। विगत कई वर्षों के बाद रब्बी 2018-19 अन्तर्गत गेहूं अधिप्राप्ति का कार्य भी प्रारंभ हुआ है, जिसके अन्तर्गत कुल 3128 कृषकों से 17504.45 मे.टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (1735/- रुपये प्रति क्विंटल) पर की गई है।
सहकारी समितियों को प्रोत्साहनः
पैक्स/व्यापार मंडलों को अधिप्राप्ति कार्य में होने वाली वित्तीय हानि को ध्यान में रखते हुए एवं अधिप्राप्ति कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से वर्ष 2017-18 से उनके द्वारा राज्य खाद्य निगम को आपूर्ति किये गये सीएमआर की मात्रा के लिए प्रति क्विंटल 10/- रुपये, जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक को 5/- रुपये प्रति क्विंटल एवं बिहार राज्य सहकारी बैंक को 0.5/- (50 पैसे) प्रति क्विंटल की राशि प्रबंधकीय अनुदान के रूप में दिये जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है, जिससे अधिप्राप्ति कार्य में संलग्न सहकारी संस्थाओं को काफी लाभ प्राप्त हो रहा है।
(कृष्णा गुप्ता)