अभिषेक कपूर निर्देशित फिल्म ‘केदारनाथ’ को रिलीज से पहले ही देश के कई हिस्सों में विरोध झेलना पड़ा। कई अड़चनों को पार करते हुए अंतत: यह फिल्म तय समय 07 दिसंबर को रिलीज हुई। लेकिन, उत्तराखंड में रिलीज नहीं हो पायी। 2013 में उत्तराखंड में आए भीषण बाढ़ की पृष्ठभूमि में बने इस फिल्म को उत्तराखंड के लोग देखना चाह रहे थे। लेकिन, रिलीज के ठीक एक दिन पूर्व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में बैठक हुई। इसमें सूचना सचिव, डीजीपी व एडीजी रैंक के कई अधिकारी शामिल थे। फिल्म पर बैन को लेकर कोई औपचारिक घोषणा तो नहीं हुई। लेकिन, राज्य के सात जिलों अलमोड़ा, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी, टेहरी व उधमसिंहनगर के डीएम को पत्र लिखकर फिल्म की रिलीज रोकने को कहा गया। राज्य में कुल 13 जिलेें हैं, जिनमें अन्य 6 जिलों में एक भी सिनेमाघर नहीं है।
जिलाधिकारियों ने कानून—व्यवस्था का हवाला देते हुए फिल्म चलने पर रोक लगाई। जिला प्रशासन की ओर से कहा गया कि फिल्म को लेकर लोग पहले से सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए एहतियात के तौर पर फिल्म की रिलीज रोकी गई है, ताकि कानून—व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं हो। इससे पूर्व एक निजी संगठन द्वारा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में फिल्म पर बैन लगाने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए रिलीज के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। उत्तराखंड से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी फिल्म पर प्रतिबंध लगाने से इंकार कर दिया था। फिल्म का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि केदारनाथ में आए बाढ़ की पृष्ठभूमि में बने इस फिल्म में लव—जिहाद को दिखाया गया है। विरोधियों द्वारा हरिद्वार में फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों का पुतला दहन भी किया गया था। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारियों ने फिल्म को चलने से रोक देना ही उचित समझा।