तेजस्वी के लिए गाड़ी हटवाने से ‘हर्ट’ हुए तेजप्रताप! लालू का अल्टीमेटम भी ‘बेदम’
पटना : लालू ने अपने दोनों ‘लालों’ और बेटी मीसा को अल्टीमेटम दे दिया है कि वे उनके आपसी झगड़े में पार्टी राजद को गर्त में नहीं जाने देंगे। यदि वे नहीं संभले तो फिर पार्टी की कमान परिवार से अलग किसी दूसरे नेता को भी सौंप देंगे। लेकिन लालू के इस अल्टीमेटम का भी उनके ‘लालों’ पर कोई असर नहीं हुआ। कल बुधवार की देर रात पटना जंक्शन के पास दूध मंडी पर चले अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ आयोजित धरने में जिस तरह तेजप्रताप ने तेजस्वी से बेरुखी दिखाई, वह तो यही संकेत कर रहा कि अब लालू का फरमान भी उनके बेटों के लिए कोई मायने नहीं रखता। जहां तेजस्वी राजद पर एकाधिकार यानी पार्टी का अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं, वहीं तेजप्रताप पार्टी में अपनी हैसियत किसी से भी कम नहीं देखना चाहते।
क्या हुआ था दूध मंडी के धरना में
दूध मंडी में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई तोड़फोड़ के विरोध में राजद ने धरना—प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा था। इसमें तेजस्वी, तेजप्रताप और अन्य वरीय नेता शामिल हुए। जब तेजस्वी वहां से जाने लगे तो उनके सुरक्षाकर्मी उनकी गाड़ी निकलवाने के लिए वहां लगे वाहनों को हटवाने लगे। इसी क्रम में जवानों ने आगे लगी तेजप्रताप की गाड़ी को भी हटाने को कहा। इसपर तेजप्रताप हत्थे से उखड़ गए। उन्होंने पार्टी में अपनी हैसियत की याद दिलाते हुए इस वाकये को अपने ईगो पर ले लिया। मीडिया और पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस विवाद को हाथोंहाथ लिया और अपने—अपने तरह से लालू की पार्टी और परिवार को एक रखने की कोशिश की व्याख्या शुरू कर दी।
लालू के अल्टीमेटम के बाद सक्रिय हुए तेजस्वी
लालू ने पिछले दिनों वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह, आलोक मेहता, तेजस्वी तेजप्रताप और मीसा से अलग—अलग मंत्रणा की थी। इसके बाद अपने कुनबे के ‘होनहारों’ को उन्होंने अल्टीमेटम सुनाया कि यदि वे आपसी झगड़े से बाज नहीं आये तो पार्टी की कमान परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को सौंपी जा सकती है। इसके बाद ही तेजस्वी लंबी शिथिलता के बाद एक बार फिर राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए। लेकिन अब इस दूध मंडी वाले वाकये ने लालू की तमाम कोशिशों को पलीता लगा दिया।
तेजस्वी से खफा वरिष्ठ नेता, तेजप्रताप बने बोझ
राजद के कुछ वरीय नेता तेजस्वी की हालिया शिथिलता से खासे नाराज हैं। रघुवंश प्रसाद, शिवानंद तिवारी जैसे नेताओं का तर्क है कि जो विपक्ष का नेता विधानसभा सत्र से ही ग़ायब रहे, बाढ़ में लोगों को देखने ना जाए, चमकी बुखार जैसी महामारी के समय दिल्ली में घूमता रहे, उससे सोशल मीडिया पर तो राजनीति हो सकती है, लेकिन जमीन पर नहीं। इन नेताओं का साफ ईशारा तेजस्वी पर ही था। ऐसे नेता नीतीश कुमार से गठबंधन या फिर नेतृत्व में बदलाव की बात भी कर रहे हैं।
शायद यही कारण है कि सजायाफ्ता और बीमार लालू ने अपनी पार्टी बचाने के लिए अपने लालों को अंतिम चेतावनी देते हुए एकजुट हो जाने का फरमान दिया था। लेकिन लालू के लालों ने पब्लिक के सामने जो हालिया आचरण दिखाया है, वह राजद के लिए कहीं से भी शुभ संकेत नहीं है। खासकर अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए तो कतई नहीं।