सूबे में खुलेंगे 13 नए मेडिकल कॉलेज : डिप्टी सीएम

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पटना : बिहार में 13 नए मेडिकल कालेज खोले जायेंगे। हर शहर और हर जिले में सरकार आईटीआई खोलने की भी योजना बना रही है। कई एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी खोलने की बात चल रही है। आद्री के सेंटर फॉर इकोनॉमिक पालिसी एंड पब्लिक फाइनेंस की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर आद्री द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के उदघाटन समारोह में बिहार के उपमुख्यमंत्री ने ये बातें कहीं।
बिहार हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। आज़ादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी बिहार में एक भी नर्स कॉलेज नहीं था। लेकिन अब सरकार ने फैसला किया है कि हर अस्पताल में नर्सिंग कॉलेज भी खोला जायगा। उन्होंने कहा कि बिहार में डेवलपमेंट के सारे इंडिकेटर बहुत अच्छे ढंग से काम कर रहे हैं। बिहार को देखने का नज़रिया लोगों को बदलना चाहिए। गुजरात में क्या हो रहा है, महाराष्ट्र में क्या हो रहा है। उस नज़रिये से बिहार को नहीं देखना चाहिए। 2005 तक बिहार को पिछड़ा राज्य माना जाता था। बिहार की छवि भी अच्छी नहीं थी। प्रशासनिक व्यवस्था को देखकर लोग यही मान बैठे थे कि बिहार का कुछ नहीं हो सकता है। बिहार कभी तरक्की नहीं कर सकता। लेकिन 2005 में सरकार बदली और बिहार में भी परिवर्तन दिखना शुरू हो गया।
बिहार में मार्च लास्ट तक बजट पेश कर दिया जाता है। बिहार का बजट कभी 26 हज़ार करोड़ हुआ करता था, लेकिन आज बिहार में बजट 1 लाख करोड़ से ऊपर का पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि आसाम, आंध्रप्रदेश आदि राज्य रेवेन्यू डेफिसिट प्रदेश हैं। लेकिन बिहार रेवेन्यू सरप्लस स्टेट बना हुआ है। फिज़िकल डेफिसिट भी 2005 के बाद से मेन्टेन किया हुआ है। फाइनेंसियल पैरामीटर पर भी बिहार खरा उतर रहा है। डेवलपमेंटल और नॉन-डेवलपमेंटल एक्सपेंडिचर कभी 50-50 हुआ करता था। लेकिन आज यह रेशियो 70 परसेंट बनाम 24 परसेंट पर आ गया है। 12-13 वर्षों में बिहार में अच्छी आर्थिक प्रगति तो हुई ही है। नेशनल इनकम में भी बिहार की अच्छी भागेदारी बढ़ी है। पर कैपिटा इनकम भी 17 हज़ार से 24 हज़ार के बीच हुआ करता था लेकिन अब यह बढ़कर 38 हज़ार हो गया है। ग्रोथ रेट के मामले में भी बिहार काफी आगे निकल गया है। बीमारू राज्य में बिहार की गिनती होती थी लेकिन जिस तरह से यह राज्य हर मामले में अच्छा कर रहा है, गरीब राज्यों के लिए विकास के चैंपियन के तौर पर उभरा है। हेल्थ इंडिकेटर में भी बिहार पहले से काफी अच्छा कर रहा है। फर्टिलिटी रेट भी सुधरा है। जेंडर में भी सुधार हुआ है। लिटरेसी में भी बिहार बुरा नहीं है। राष्ट्रीय लिटरेसी रेट के मुकाबले बिहार की लिटरेसी रेट अच्छी स्तिथि में है। फ़ूड मैप में भी बिहार अपनी अच्छी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। बिजली के मामले में तो बिहार में आज हर गांव, हर शहर तक बिजली पहुंच रही है। शहरों में 20 से 22 घंटे बिजली मिल रही है। जबकि गांव में 18 से 20 घंटे तक बिजली की उपलब्धता रहती है।
मानस दुबे

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