चावल, आम और पान ने बढ़ाया मान
प्राकृतिक रूप से हरेक क्षेत्र की अपनी एक विशिष्ट पहचान होती है। प्रकृति ने प्रत्येक इलाके को कोई न कोई खास पहचान से नवाजा है। भौगोलिक संरचना, सांस्कृतिक चलन एवं वनस्पति भी एक क्षेत्र विश्ेाष में खास तरह की होती है। भारत के उत्तर से दक्षिण या पूरब से पश्चिम, सभी राज्यों में खान-पान, रहन-सहन एवं भाषाएं भिन्न्ा-भिन्न हैं। यह भिन्न्ाता उन्हें एक विशिष्टता प्रदान करने के साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान देती है।
जीआई टैग के मायने
भौगोलिक संकेतक टैग (जीआई टैग) किसी क्षेत्र विशेष की कला खाद्य वस्तु, पेंटिग इत्यादि को प्रमाणित एवं संरक्षित करता है। हाल ही में बिहार कृषि विश्वद्यिालय (बीएयू) के कुलपति एवं अन्य वैज्ञानिकों के प्रयास से राज्य की तीन वस्तुओं-भागलपुर के जर्दालु आम एवं कतरनी चावल और नवादा के मगही पान को भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेतक टैग दिया गया है।
किसे मिला यह टैग
भागलपुर जिले के सुलतानगंज ब्लाॅक के आम उत्पादक संघ को मीठी खुशबू के लिए प्रसिद्ध जर्दालु आम के लिए यह टैग दिया गया हैै। भागलपुर के महीषी में सबसे पहले अली खां बहादुर ने जर्दालु आम का एक पौघा लगाया था। उसी से आज पूरे क्षेत्र में जर्दालु आम का विस्तार हुआ है। भागलपुर जिले के ही कतरनी धान उत्पादक संघ जगदीशपुर को कतरनी धान के लिए यह टैग दिया गया है। कतरनी चावल अपने लम्बे दाने और सुगंधित खुशबू के लिए जाना जाता है। तीसरी वस्तु है मगही पान जो नवादा, औरंगाबाद और गया जिले में उत्पादित होता है। यह टैग नवादा के देवरिया गांव के पान उत्पादक कल्याण समिति को दिया गया है जो आज भी पारंपरिक विधि से मगही पान का उत्पादन करती है।
किसानों को क्या होगा लाभ
जीआई टैग मिलने से वस्तुओं को कानूनी संरक्षण मिलेगा जिससे इसका उत्पादन बस यहीं के लोग कर सकेंगे और इस खास नाम का प्रयोग दूसरे लोग नहीं कर पाएंगे। जीआई टैग मिलने से उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पादों की मांग और कीमत में वृद्धि होगी। जीआई टैग प्राप्त हो जाने से इसके अनधिकृत प्रयोग पर रोक लगेगी। जैसे मगही पान, जर्दालु आम और कतरनी चावल का उत्पादन अब दूसरे क्षेत्र के लोग नहीं कर पाएंगे। इसका उत्पादन बस वहीं के लोग करेंगे जो उस खास मान्याता प्राप्त क्षेत्र में रहते हैं।
क्या आवश्यकता है जीआई टैग की
भौगोलिक संकेतक मिलने से निर्यात और पर्यटन को बढ़ा़वा मिलता है। इसके साथ ही उस खास क्षेत्र के गरीब किसानों, कामगारों को संरक्षण मिलता है। उस खास क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और समग्ररुप से देखा जाए तो पूरे समाज के सतत् विकास में यह सहायक है। भौगोलिक संकेतक टैग मिलने से भागलपुर के जर्दालु आम, कतरनी चावल एवं नवादा जिले के मगही पान उत्पादक किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। उनमें एक विश्वास जगा है कि अब उनके उत्पाद को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी तथा ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा।
जीआई टैग प्राप्त बिहार की वस्तुएं
- ऐप्ली खात्वा पैच वर्क
- सुजीनी कढ़ाई
- सीक्की ग्रास वर्क
- मधुबनी चित्रकला
- जर्दालु आम
- कतरनी चावल
- मगही पान
(विमल कुमार सिंह)