पार्टी बदली, फिर भी सीटिंग सीट से आजाद हुए कीर्ति, क्यों? पढ़िए पीछे की राजनीति

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दरभंगा संसदीय सीट से तीन बार भाजपा की टिकट पर लोकसभा पहुंचने वाले कीर्ति आजाद को इस बार के चुनाव में टिकट के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। ​क्रिकेट के मैदान में कभी चौके—छक्के की बौछार करने वाले कीर्ति आजाद पर विरोधियों ने ऐसी गूगली फेंकी कि उन्हें अपनी जमी—जमायी पिच (दरभंगा) से आउट होना पड़ा। ताजा स्थिति यह है कि अभी तक यही तय नहीं हुआ है कि कांग्रेस के टिकट पर कीर्ति कहां से लड़ेंगे? ऐसी नौबत अचानक से नहीं आ गई। इसके पीछे का पूरा खेल समझने के लिए घड़ी की सूई को चार साल पीछे करना होगा।
2014 में मोदी लहर पर सवार होकर कीर्ति आजाद ने तीसरी बार दरभंगा से जीतकर लोकसभा पहुंचे। एक साल बाद ही दिल्ली जिला क्रिकेट संघ में हुए अनियमितता को लेकर वे भाजपा के कद्दावर नेता व वित्तमंत्री अरुण जेटली पर आरोपों की झड़ी लगाने लगे। एक बार जो बात बिगड़नी शुरू हुई, तो बिगड़ती चली गई और अंत: कीर्ति से भाजपा से दशकों पुराना नाता तोड़ लिया। इस साल फरवरी में उन्होंने विधिवत कांग्रेस ज्वाइन की। उस समय से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वे दरंभगा से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, कीर्ति की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। महागठबंधन में हुए सीट बंटवारे में दरभंगा सीट राजद के पास चली गई, जहां से राजद के वरीय नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी मैदान में हैं। राजद ने दरभंगा के बदले कांग्रेस को बेतिया (पश्चिम चंपारण) सीटी आॅफर किया। कांग्रेस ने कीर्ति को वहां से उतारना चाहा, तो कीर्ति बिफर गए। उनका मन बेतिया पर नहीं मान रहा है। इस घटनाक्रमों के बीच यह भी बात आयी कि कीर्ति को कांग्रेस धनबाद से चुनावी मैदान में उतार सकती है। हालांकि इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। उधर, कीर्ति ने कहा है कि उनकी पार्टी उन्हें जहां से कहेगी, वे चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, बातों ही बातों में कीर्ति का दर्द सामने आ जाता है। वे यह कहना नहीं भूले कि उन्हें दरभंगा से नहीं लड़ने का अफसोस रहेगा। फिर संभलकर कहा कि चुनाव नहीं लड़ने से जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। यहां उनकी तकलीफ खुलकर सामने आ गई।
पूर्व क्रिकेटर ने पहले पार्टी बदली और अब सीट की बदली हो रही है। एक के बाद एक नए—नए प्रस्ताव आ रहे हैं। लेकिन, कीर्ति कहां से लड़ेंगे, बस यही नहीं तय हो पा रहा। दरभंगा के मतदाताओं के बीच तो यह भी चर्चा है कि कीर्ति को सिटंग सीट से आउट करने में महागठबंधन के साथ—साथ एनडीए के नेताओं का भी हाथ है। फिलहाल, चुनावी महासमर में कीर्ति की पारी कौन से पिच से शुरू होगी, इसकी उत्सुकता बरकरार है। 1983 में विश्वकप जीतने वाली क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी रहे कीर्ति के लिए राहत की बात बस इतनी सी है कि वे कांग्रेस के लिए स्टार प्रचारक की हैसियत से पूरे देश में प्रचार करेंगे।

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