चंपारण: महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा लेबर रिफॉर्म्स इन चेंजिंग एनवायरमेंट ऑफ इंडिया विषय पर शनिनार को राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष सह कार्यक्रम संयोजक प्रो. त्रिलोचन शर्मा ने अतिथियों का परिचय कराते हुए किया। बताया वैश्विक महामारी के इस दौर में शहरों से श्रमिकों का पलायन और उनके मध्य असुरक्षा का भाव उत्पन्न होने से मजदूर विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि यूपी सरकार के अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने कहा कि श्रमिकों के लिए बनाए जाने वाले कानूनों में संवेदना और मानवता के दो पहलुओं को विशेष रुप से ध्यान में रखा जाना चाहिए। श्रम कानूनों का अनुपालन कराने वाले अधिकारियों को भी संवेदनशील होना चाहिए। वर्तमान समय में कुछ राज्यों द्वारा श्रम कानूनों को लेकर कुछ बदलाव किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि विगत कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों ने कोरोना काल के संकट के इस घड़ी में राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने एवं उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए 1000 दिनों के लिए श्रम कानूनों के प्रावधानों में छूट के अध्यादेश पारित कर दिए हैं। वहीं श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिक आयोग के गठन की बात भी की गई है।
मुख्य अतिथि भारतीय मजदूर संघ के संगठन सचिव (उत्तर पश्चिमक्षेत्र) अनुपम ने कहा कि श्रमिक किसी भी संगठन को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। आज श्रमिकों की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि श्रमिक अपने न्यूनतम मजदूरी की प्राप्ति के लिए लड़ाई लड़ रहा है। वह समाज में एक अच्छा जीवन स्तर जीने से वंचित है। जो मज़े से दूर है, वह मजदूर है। श्रमिकों की वर्तमान स्थिति को देखकर आज आम जनमानस की आंखें द्रवित हो उठती हैं। वर्तमान परिदृश्य में कुछ राज्यों द्वारा श्रम कानूनों में जो बदलाव किए गए हैं। सभी क्षेत्रों और सभी स्थानों पर श्रमिकों का कौशल विकास किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष व महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने वैश्विक आपदा के समय श्रम विधियों की कार्यप्रणाली, उनका सरलीकरण, सुरक्षा, क्षतिपूर्ति संबंधी बातों को रेखांकित किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रथम वक्ता डॉ योगेंद्र, मेरठ विश्वविद्यालय ने संविधान में वर्णित अनुच्छेदों के माध्यम से श्रमिकों के हितों अधिकारों और उनके संरक्षण की बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में किए गए श्रम कानूनों के उदारीकरण से चीन से पलायन करने वाली कंपनियों को भारत में निवेश हेतु आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
सत्र के वित्तीय वक्ता डॉ शैलेश, गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने व्याख्यान में श्रमिकों के सामाजिक,आर्थिक व विधिक उत्थान पर बल दिया। श्रमिकों के अधिकार एवं कर्तव्य को संरक्षित एवं उन्हे पुनर्प्रशिक्षित कर योग्यता और कौशल के आधार पर रोजगार दिए जायें। द्वितीय सत्र के अध्यक्ष डा. सुब्रोतो राय व सह अध्यक्षा के रूप मे सुमिता सिंकु रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ रवीश ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभागों के विभागाध्यक्ष, सहायक प्राध्यापक, शोध छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम में 450 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।