नयी दिल्ली/पटना : सवर्णों को नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने से जुड़े विधेयक को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। एक एनजीओ द्वारा दायर की गई याचिका में संशोधित बिल को असंवैधानिक बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक रूप से आरक्षण देना गैर संवैधानिक है, इसलिए संशोधित बिल को निरस्त किया जाए। एक दिन पहले ही सरकार ने राज्यसभा में इससे जुड़ा 124वां संविधान संशोधन विधेयक पास कराया था।विधेयक अभी मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाना है। मंजूरी मिलने के बाद ही विधि मंत्रालय इसे अधिसूचित करेगा। लेकिन एनजीओ की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को देखते हुए लगता है कि विधेयक के कानून बनने में रोड़ा अटक सकता है।
यूथ फॉर इक्वालिटी नाम के एनजीओ ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय की गई है। अत: आर्थिक रूप से आरक्षण देना गलत है और ये सिर्फ सामान्य श्रेणी के लोगों को नहीं दिया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि गैर-अनुदान प्राप्त संस्थाओं को आरक्षण की श्रेणी में रखना गलत है।
मालूम हो कि कल ही 10 घंटे की लंबी बहस के बाद राज्यसभा में संशोधित बिल पास हुआ है। लोकसभा पहले ही इसे पास कर चुकी है। उधर कई राजनीतिक दलों ने इस बिल को लाने की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है। लेकिन अधिकतर विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में ही वोट दिया है। कानून बनने के बाद कुल आरक्षण 49.5% से बढ़कर 59.5% हो जाएगा।