सावन का पावन महीना बीतते ही मांसाहार के शौकीन लोग चिकेन, मटन खाने के लिए बेताब हैं। इसलिए आज सुबह से ही शहर के सभी मुर्गों, मटन और मछलियों की दुकानों पर भीड़ बढ़ चुकी है।
विगत एक महीने से सावन के कारण मुर्गा, मटन की दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ था। राजा बाजार में मुर्गा बेचने वाले असीम बताते हैं सावन में जिंदा मुर्गा 70-80 रुपये किलो तक बेचने की मजबूरी हो गयी थी। फिर भी कोई खरीददार नहीं मिल रहा था। बाकी दिनों उसी मुर्गे का भाव 120-130 रुपये किलो तक रहता है।
वहीं दूसरी ओर, बोरिंग रोड के मटन दुकानों में भी भीड़ देखने को मिली है। आज के दिन मटन का भाव 500-700 रुपये किलो तक है। राजधानी मटन शॉप में काम करने वाले हैदर कहते हैं— हर बार सावन में मांस व्यापार में काफी नुकसान झेलना पड़ता है। मटन का दाम 100-150 रुपयों तक की कमी करना पड़ जाता हैं।
इसी मटन दुकान में खरीदारी करने आए दीपक कुमार पहली बार बोल बम का दर्शन करने गए थे। उनका परिवार हर सावन में नॉन-वेज और प्याज़ लहसुन को त्याग देता है। इस मुद्दे पर दीपक ने कहा कि यह तो नियम है सावन में मांस मछली का त्याग करना चाहिए। लेकिन, जैसे ही आज सावन खत्म हुआ कि बच्चे ज़िद करने लगे कि मटन खाना है। बाकी दिनों जो मटन 500-550 रुपए प्रतिकिलो तक मिल जाती थी। वही मटन आज 600-700 रुपए प्रतिकिलो तक चली गयी है।
बोरिंग रोड में ज़िंदा मुर्गा का भाव 150 तक पहुँच गया है। इन सब का असर सब्जी मंडी के प्याज़ पर भी पड़ा है। कल तक दीघा सब्जी मंडी प्याज़ का दाम 95 रुपए पसेरी तक था। लेकिन, सावन खत्म होते ही प्याज़ का भाव 120 रुपए पसेरी तक हो गया है। प्याज विक्रेताओं के अनुसार, जब तक प्याज की नई फसल नहीं आ जाती, आने वाले दिनों में प्याज का भाव बढ़ेगा ही। जो भी हो, फिलहाल लोग मटन—चिकेन का लुत्फ लेने में मशगूल हैं।
(अभिलाष दत्त)