पटना : मीडिया और सिविल सोसाइटी के बेहतर समन्वय से अनेक सामाजिक समस्याओं एवं परेशानियों का आसानी से हल निकाला जा सकता है। जरूरत सिर्फ व्यावसायिक हितों ही नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्वों पर भी फोकस करने भर की है। यह निष्कर्ष आज एएन सिन्हा संस्थान में ” मीडिया और नागरिक कल्याण संगठन गठजोड़” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उभर कर सामने आया।
इस गोष्ठि में कई पत्रकार और समाज कल्याण से जुड़े लोग मौजूद थे। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य समाज और आम नागरिकों से जुड़ी समस्याओं पर सिविल सोसाइटी आॅर्गनाइजेशन एवं मीडिया की मिलीजुली भूमिका और क्रियान्वन पर चर्चा करना था। मंथन युवा संस्थान के निर्देशक सुजीत पाॅल ने कहा कि हालांकि सिविल सोसाइटी की स्वतंत्रता और तटस्थता मीडिया से अधिक है, परन्तु बदलते परिवेश में दोनों की ही विश्वसनीयता और जिम्मेदारियों पर सवालिया निशान नहीं लगाया जा सकता। मीडिया पर व्यवसायीकरण का प्रभाव इस स्तर का नहीं हो सकता कि उसका मुख्य उदृेश्य यानी समाज को सही दिशा दिखाना, ही गौण हो जाए। मीडिया और सिविल सोसाइटी के गठजोड़ पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने संरचनागत और वर्गीकृत कार्यों में भागीदारी जैसे तरीकों को श्रेयस्कर बताया। उन्होंने महिला सशक्तीकरण, सामाजिक न्याय, पर्यावरण जैसी विधाओं पर मीडिया, समाज कल्याण संस्थान और स्वयं सहायता केन्द्र जैसी संस्थाओं के योगदान को एक सकारात्मक पृष्ठभूमि और बेहतर कार्य बताया।
इस दौरान पुष्यमित्र, आशीष झा, रंजू बाला, सिटू तिवारी, शंभू कुमार सिंह ने भी मीडिया और सिविल सोसाइटी के कार्यों और समाजिक दायित्व पर एक साथ मुख्यधारा में लाने और जमीनी स्तर पर कार्य करने के संबंध में अपनी राय दी। ज्ञात हो कि इस संगोष्ठी का आयोजन ‘मंथन युवा संस्थान’ और भारतीय प्रतिष्ठान के तत्वाधान में किया गया था।
(सत्यम कु. दुबे)