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सकारात्मक सोच के साथ कोरोना का करें मुकाबला

सारण : कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर भविष्य में होने वाली अनिश्चितता की चिंता, सामान्य सर्दी, खाँसी या बुखार होने पर डर, संक्रमण होने पर अलग-थलग रहने का भय जैसी बातें यदि आपके दिमाग में चल रही हो तो सावधान जो जायें। यह आपको मानसिक रूप से अस्वस्थ कर सकता है। इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य काफ़ी प्रभावित हो सकता है।

विश्व भर में कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण जन सुमदाय के मन में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, जो उन्हें मानसिक रूप से परेशान भी कर रहे हैं। चाहे आम लोग, संक्रमित व्यक्ति या कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव में जुटे स्वास्थ्य कर्मी की बात हो, सभी को ऐसे माहौल में सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है। बढ़ते संक्रमण के कारण भावनात्मक एवं व्यावाहरिक प्रतिक्रिया लाजिमी है। लेकिन अत्यधिक नकारत्मक प्रतिक्रिया आपके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। इसको लेकर पुणे के डिपार्टमेंट ऑफ़ साइकाइट्री आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज ने विस्तार से दिशा-निर्देश जारी किया है।

आम व्यक्तियों में भावनात्मक एवं व्यावाहरिक प्रतिक्रियाएं :

कोरोनावायरस संक्रमण के कारण को लेकर आम व्यक्ति में कई तरह की भावनात्मक एवं व्यावाहरिक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है।
• संक्रमण को लेकर भविष्य में होने वाली अनिश्चितिता के प्रति चिंता एवं अवसाद
• संक्रमण प्रसार को लेकर भय
• सामन्य खाँसी, सर्दी एवं बुखार होने पर संक्रमण का भय
• समाज के कुछ लोगों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को लेकर गुस्सा एवं चिडचिडापन
• समाज में गैर-जिम्मेदार व्यवहार पर अनुचित ध्यान देना

संक्रमित व्यक्तियों को भी प्रतिक्रियों से बचने की जरूरत :

कोरोना संक्रमित व्यक्ति भी कई तरह के नकारत्मक विचारों से ग्रसित हो सकते हैं.
• संक्रमित होने के बाद अलगाव में रहने के डर के कारण रिपोर्टिंग से परहेज
• संक्रमित होने पर अनुचित अपराध बोध होना
• सबसे खराब संभावित परिणामों के बारे में चिंता और घबराहट
• खुद एवं परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता

संदिग्ध व्यक्तियों के क्वारंटाइन होने पर :

• ऊबन और अकेलापन
• परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता
• संक्रमण के शिकार की आशंका पर अपराध बोध
• महत्वपूर्ण समय में अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाने का अपराध बोध

स्वास्थ्य कर्मियों को भी सजग रहने की जरूरत:

कोरोनावायरस संक्रमण से लोगों को बचाव करने में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को भी अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने की जरूरत है. उनके मन में भी संक्रमण को लेकर कई नकारत्मक प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं, जो उन्हें हताश एवं परेशान कर सकती है.
• संक्रमण के बढ़ते मामलों एवं चुनौतीपूर्ण माहौल में कार्य करने पर चिंता का होना
• गंभीर रोगियों एवं मौतों के बीच अत्यधिक समय तक काम करने से उत्तेजित हो जाना
• कार्य के दौरान विफलता, हताशा, खराब देखभाल एवं चिड़चिड़ापन की भावना का आना
• कुछ बुरा होने के बारे में अनुचित चिंता, अवसाद, बुरे सपने आदि भी स्वास्थ्य कर्मियों को मानसिक रूप से परेशान कर सकते हैं
ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों को सचेत रहने की जरूरत है. अपने कार्य की स्पष्टता, कार्य के बीच थोडा अंतराल लेना, अपने खान-पान का ख्याल रखना, चाय एवं कॉफ़ी का सीमित इस्तेमाल कर ऐसे माहौल में अवसाद से स्वास्थ्य कर्मी बच सकते हैं।

बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह करें :

• भावना को स्वीकार करें एवं साझा करें
• कोरोना के विषय में विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें( विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार)
• अटकलों और अफवाहों से बचें
• हाथ की सफाई एवं सोशल डीसटेंसिंग को अपनाए
• शारीरिक रूप से सक्रिय रहें एवं संतुलित आहार लें
• बच्चों एवं पड़ोसियों के लिए रोल मॉडल बनें
• कार्य एवं अवकाश के बीच संतुलन बनायें
• बुजुर्गों का अधिक ख्याल रखें( उन्हें संक्रमण का अधिक खतरा है)
• संक्रमण की रोकथाम में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें

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