रामायण सर्किट : बक्सर की दिव्यता जानेगा विश्व, 13 को आ रहे 600 सैलानी

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बक्सर : कला एवं संस्कृति भवन बक्सर में आज शनिवार को प्रज्ञा प्रवाह की प्रांतीय इकाई चिति की ओर से ‘वैश्विक बक्सर : अतीत, वर्तमान एवं भविष्य’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसका उद्घाटन वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर देवी प्रसाद तिवारी ने किया। पहले केंद्रीय मंत्री और बक्सर के सांसद अश्चिनी कुमार चौबे इसका उद्घाटन करने वाले थे, लेकिन ऐन वक्त पर आज प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस पर मंत्री समूह की बैठक बुला ली जिस कारण वे नहीं आ पाये। श्री चौबे ने अपना संदेश भिजवाया जिसे संगोष्ठी में विचार पटल पर रखा गया।

‘वैश्विक बक्सर : अतीत, वर्तमान एवं भविष्य’ विषण पर संगोष्ठी

इस मौके पर वीकेएस विवि के वीसी देवी प्रसाद तिवारी ने कहा कि बक्सर में ऐसे पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध हैं जो इसकी प्राचीनता प्रामाणिक सिद्ध करते हैं। उन्होंने कहा कि बक्सर बक्सर को वैश्विक पटल पर लाने के लिए शोध एवं सतत बौद्धिक कार्य की भी आवश्यकता है। इसके लिए वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय हरसंभव सहयोग करने के लिए तैयार है।

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उन्होंने कहा कि अपने संसाधन और क्षमता के अनुरूप हम इस स्थान की विरासत को सामने लाने के लिए पीठों की स्थापना कराएंगे। भारतीय कालगणना के अनुसार यह स्थान हजारों वर्ष पुराना है। यह स्थान विविध प्रकार के ज्ञानसाधना और विज्ञान साधना का केंद्र रहा है। बक्सर की इसी विरासत को विश्व के सामने लाने के लिए रामायण सर्किट की रूपरेखा के तहत करीब 600 सैलानियों को लेकर रामायण एक्सप्रेस ट्रेन 13 मार्च को बक्सर पहुंचेगी। इन सैलानियों को बक्सर में राम के लीला—स्थलों की सैर कराई जाएगी और उन्हें बक्सर के आध्यात्मिक महत्व से रूबरू कराया जाएगा।

बक्सर ने श्री राम को बनाया ब्रह्मांड नायक

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफ़ेसर अशोक अंशुमाली ने कहा कि बक्सर लोक के मन में बसा हुआ है। इसीलिए यहां विविध समारोहों में भारी भीड़ एकत्रित होती है। एकत्रीकरण का शास्त्रीय करण एवं संस्कृतिकरण आवश्यक है। ऐसा होने पर यह स्थान भारत की सांस्कृतिक पूंजी को सामने लाने वाला प्रमुख केंद्र बन सकता है।

वहीं समारोह के वक्ता डॉक्टर गुरुचरण सिंह ने कहा कि अयोध्या के बाद बक्सर ही ऐसा स्थान है जहां भगवान श्री राम का व्यक्तित्व ब्रह्मांड नायक के रूप में सामने आया था। यहां से प्राप्त प्रशिक्षण के आधार पर उन्होंने शासन की जो व्यवस्था दी वह हजारों—लाखों वर्षों बाद भी प्रासंगिक है। बक्सर ही वह स्थान है जहां रावण को परास्त करने की योजना बनी और उस योजना को साकार करने वाले महामानव का शिक्षण व प्रशिक्षण हुआ। इस प्रकार यह स्थान इस युग में भी मानव जाति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। संगोष्ठी में संस्कृत के विद्वान प्रोफेसर छविनाथ त्रिपाठी एवं सिद्धनाथ मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी के प्रारंभ में राजेंद्र जी ने विषय परिचय कराया। वहीं चिति के जिला संयोजक डॉक्टर गजेंद्र सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया।

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