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राम जेठमलानी, चारा घोटाला, लालू और शहाबुद्यीन

राम जेठमलानी कोई चारा घोटाला के अभियुक्त नहीं थे। उसके बचाव पक्ष के वकील थे। उनके करीबी संबंध लालू प्रसाद यादव से थे। वे 1993 में चारा घोटाले के केस को अपने हाथों में लेने के बाद वे कई बार पटना आए। कभी-कभी तो उनकी बहस ने केस की दिशा ही बदलती नजर आयी। पर…..।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि लालूजी के कहने पर ही उन्होंने अभी तिहाड़ में बंद पूर्व सांसद शहाबु़द्यीन के कई संगीन मामलों को भी देखा। बाद के दिनों में उन्होंने मामलों पर बहस करना छोड़ दिया। लेकिन, जूनियर वकीलों को सलाह-मशविरा देना जारी रखा।चारा घोटाले के केस को देखने के कारण उन्हें भाजपा की किरकिरी भी झेलनी पड़ी। पर, थे वे पेशेगत ईमानदार। उन्होंने ताल ठोक कर कुख्यात शहाबुद्यीन के केस को भी ले लिया।2016 में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें अपनी पार्टी की ओर से राज्य सभा में सदस्य नामित किया। इसके पहले वे भाजपा छोड़ चुके थे। 1993 में चारा घोटाले को हाथ में लेते उनके संबंध भाजपा से खराब हो गये थे।

बहरहाल, अपने किस्म के बिंदास इस इन्टेलेक्चूअल जीएन्ट ने कभी किसी की परवाह नहीं की। किसी वाद में जकड़ा भी नहीं रहा। पाकिस्तान के सिंध में पैदा हुए इस शख्स ने भारत में बतौर शरणार्थी एक पहाड़ जैसा व्यक्तित्व खड़ा किया। लेकिन, पेशा के प्रति निष्ठा इतनी कि इसने 1970 से 1980 तक मुंबई अंडरवर्ल्ड के कई माफिया डॉन की ओर से भी केस लड़ा। यहां तक कि कुख्यात तस्कर व डाॅन हाजी मस्तान की भी। नतीजा, वकीलों के समुदाय का एक हिस्सा उन्हें तस्करों का वकील भी कहने लगा। पर, बेपरवाह इस वकील ने बहस जारी रखा।