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राज्यसभा चुनाव : कैसे निर्विरोध विजयी हुए पांचों उम्मीदवार, पढ़िए सबकी कुंडली

पटना : राज्यसभा में खाली हो रहे 55 सीटों में से बिहार से राज्यसभा में इस बार पांच सीटें खाली हुई थी। जिसमें जनता दल युनाइटेड की कहकशां परवीन, रामनाथ ठाकुर और हरिवंश सिंह तथा बीजेपी के सीपी ठाकुर और आरके सिन्हा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। खाली हुए पांच सीटों को लेकर सभी पार्टियां साल के अंत तक संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर जातीय समीकरण का ध्यान रखकर उम्मीदवार बनाये थे तथा 26 मार्च को मतदान होना था।

लेकिन, बिहार से राज्यसभा के सभी पांच उम्मीदवार बुधवार को निर्विरोध विजयी घोषित किये गए और उन्हें जीत का सर्टिफिकेट दिया गया। दरअसल जीत का सर्टिफिकेट आज इसलिए मिला, क्योंकि नाम वापस लेने की अंतिम तिथि आज है और किसी ने अपना नाम वापस नहीं लिया है। इसलिए सभी उम्मीदवारों को जीत का प्रमाण पत्र सौंप दिया गया।

मालूम हो कि पांच उम्मीदवारों में राज्यसभा के उप सभापति और जदयू के उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह, रामनाथ ठाकुर और राजद के प्रेमचंद गुप्ता व अमरेंद्रधारी सिंह तथा भाजपा के विवेक ठाकुर हैं।

क्यों निर्विरोध चुने गए सभी

मालूम हो कि बिहार में इस बार राज्य सभा के लिए 5 सीटें खाली हुई थी। और इसबार उम्मीदवार भी थे पांच। तो फॉर्मूले के अनुसार (विधायकों की कुल संख्या/ खाली सीटें+ 1)+ 1

तो बिहार में कुल विधायकों की संख्या है 243 , राज्य सभा के खाली हो रहे सीटों की संख्या 5, यानी कि (243 / 5+1 ) +1 = (40.5 ) + 1 = 41. 5, इस स्थिति में 5 सीटों के लिए 210 मतों की आवश्यकता थी। तथा सत्तापक्ष के तीन उम्मीदवारों को चाहिए 126 मत और विपक्ष को चाहिए 84 मत। वर्तमान परिस्थिति में सत्तापक्ष के पास 131 विधायक तथा विपक्ष के पास 111 विधायक हैं। तो फॉर्मूले के अनुसार तीनों पार्टियों के उम्मीदवार को निर्विरोध जीतने के लिए पर्याप्त मत हैं।

कौन हैं राज्य सभा जाने वाले पांच उम्मीदवार

हरिवंश नारायण सिंह

30 जून 1956 को बलिया के सिताबदियारा गांव में जन्मे हरिवंश नारायण सिंह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा के दौरान ही वर्ष 1977-78 में टाइम्स ऑफ इंडिया समूह मुंबई में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में उनका चयन हुआ था। धर्मयुग में 1981 तक उप संपादक रहे। इसके बाद 1981-84 तक हैदराबाद एवं पटना में बैंक में नौकरी करने के बाद वर्ष 1984 में हरिवंश सिंह वापिस पत्रकारिता में आए और 1989 अक्तूबर तक आनंद बाजार पत्रिका समूह से प्रकाशित ‘रविवार’ साप्ताहिक पत्रिका में सहायक संपादक रहे।

इसके बाद हरिवंश ने वर्ष 1990-91 में कुछ महीनों के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार रहे। इसके बाद लगभग दो दशक से अधिक समय तक ‘प्रभात खबर’ के प्रधान संपादक रहे हरिवंश को नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने 2014 में पहली बार राज्यसभा में भेजा और 8 अगस्त, 2018 को, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में छह साल के कार्यकाल के लिए राज्यसभा के उप सभापति के रूप में निर्वाचित हुए।

रामनाथ ठाकुर

रामनाथ ठाकुर रामनाथ ठाकुर का जन्म 3 मार्च 1950 को समस्तीपुर के कर्पूरीग्राम में हुआ था। रामानाथ ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। 12वीं तक पढ़ाई करने वाले ठाकुर पेशे से किसान हैं। ठाकुर 1988 में पहली बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए। 1995 में लालू प्रसाद ने रामनाथ ठाकुर को गन्ना मंत्री बनाया। बाद में दल बदलकर जदयू में शामिल हुए ठाकुर को 2005 में राजस्व मंत्रालय, कानून और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री बनाया गया। फिर 2014 में राज्यसभा सांसद बनाया गया।

प्रेम गुप्ता

3 फ़रवरी 1950 में जन्मे वर्तमान में राजयसभा के सदस्य प्रेमचंद गुप्ता लालू प्रसाद यादव के करीबी नेताओं में से एक रहे हैं। वो यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में कंपनी मामलों के कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाल चुके हैं। करोड़पति गुप्ता के पास दिल्ली के महरौली के पास 3.81 एकड़ भूमि है। पटना के गर्दनीबाग में भी 2431 वर्ग फुट का भूखंड है। दिल्ली में वे अभी जहाँ रह रहे हैं इस भूखंड की कीमत 5.63 करोड़ रुपये है। तथा दोनों के नाम पर अलग-अलग बैंकों में करीब 95 करोड़ से अधिक रुपये जमा है।

अमरेंद्र धारी

60 वर्षीय अमरेंद्र धारी राजनीति में एक नया नाम हैं। राजद की तरफ़ से उनके नाम की घोषणा करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उनका परिचय समाजसेवी के रूप में दिया था। जमींदार अमरेंद्र धारी केमिकल, फर्टिलाइजर और रियल एस्टेट की आधा दर्जन से अधिक कंपनियों के मालिक हैं।

पटना जिले के ऐनखा गांव के रहने वाले अमरेंद्र धारी के पास दिल्ली, राजस्थान व गुडग़ांव में करीब 50 एकड़ से ज्यादा जमीन है। इनके पास चल और अचल संपत्ति का कुल मूल्य 2.38 अरब है।

विवेक ठाकुर

43 वर्षीय विवेक ठाकुर वरिष्ठ भाजपा नेता सीपी ठाकुर के पुत्र हैं। सीपी ठाकुर पूर्व में केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में राज्य सभा के सदस्य हैं। भूमिहार समाज में गहरी पैठ रखने वाले डॉ सीपी ठाकुर 89 वर्ष से अधिक के हो गए हैं। इसलिए भाजपा ने पिता की जगह पुत्र को राज्य सभा भेजने का फ़ैसला किया। विवेक ठाकुर कहते हैं कि वे 24 सालों से भाजपा के कार्यकर्ता हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रभारी रहे ठाकुर को विधान परिषद् का सदस्य भी बनाया गया था। इसके बाद 2015 में भाजपा के टिकट पर बिहार के ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। लेकिन, हार का सामना करना पड़ा।

विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाये जाने की पीछे इस बात की चर्चा है कि सीपी ठाकुर कई मौकों पर कह चुके हैं कि उनके समाज के लोगों को स्थान नहीं मिल रहा है। भूमिहार समाज नाराज नहीं हो इसलिए पार्टी ने विवेक ठाकुर को उम्मीदवार बनाया।

तेजप्रताप  शर्मा