नवादा : जिले के पकरीबरावां प्रखंड मुख्यालय का बरा मिठाई की देश भर में अपनी एक विशेष पहचान है। प्रखण्ड क्षेत्र के कई मिठाई व्यावसायी इस खास मिठाई के बदौलत अपनी विशेष पहचान बनाई हैं। जानकारी के मुताबिक पकरीबरावां का यह बरा कभी सिक्के के गिर जानें से आर पार हो जाता था, जो उसके खास्तेपन को दर्शाता था। बरा का यह मिठाई भारत के कई शहरों में लगने वाले मेले की प्रदर्शनी भी रही है, चाहे वह सोनपुर का मेला हो या राजगीर में लगने वाले राजगीर महोत्सव। जहां इसकी अलग पहचान रही है।
बरा मिठाई के मशहुर व्यावसायी अर्जुण प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि कभी यह बरा मिठाई लोगों के लिये संदेश बनकर जाया करता था। इस मिठाई को आज भी कई परिवारों के सगे संबंधी बरा मिठाई को चाव से मंगा कर इसका लुफ्त उठाते हैं। उन्होंनें बताया कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद एवं लोनायक जयप्रकाश नारायण के साथ खान अब्दुल गफ्फार खां ने भी इस मिठाई का स्वाद कौआकोल स्थित सेखोदेवरा आश्रम की यात्रा पर जानें के दौरान चखा था।
वे बताते हैं पकरीबरावां का बरा बिहार के भुतपुर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र के समय में पटना में एक प्रदर्शनी लगाई गयी थी। जिसमें सभी प्रकार के मिठाई का अलग अलग स्टॉल लगाया गया था। मैदे से बने यह बरा मिठाई को बिहार का प्रथम पुरस्कार मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान किया गया था। यहां तक कि पटना में आयोजित प्रकाश उत्सव के दौरान बरा मिठाई का स्वाद विदेशो से आनें वाले दर्शनार्थियों ने भी चखा और इस सस्ते मिठाई का लुफ्त उठाकर इस की खूब सराहना की थी।
क्या कहते हैं बरा व्यावसायी :
अर्जुण गुप्ता के पुत्र डिल्लु बताते हैं पुर्व में बरा मिठाई को लकड़ी की आंच पर तैयार किया जाता था जिसका स्वाद और भी ज्यादा होता था। परन्तु आज बाजारों में उसके निर्माण के लिये बेहतर सामग्री उपलब्ध नहीं है। बावजुद मैदे से बना बरा का यह मिठाई अन्य मिठाई की तुलना में अपना विशेष स्थान रखता है।
बरा लगभग सभी मिठाईयों में सस्ती है, उसकी तुलना में कोई मिठाई नहीं है। यदि मैदे से बनी इस मिठाई की तुलना अन्य किसी मिठाई से करें जो वह फिस्सडी सावीत होगी, इसे बाजारों में प्रति 130 रूपये किलो की दर से बेचा जाता है। यहां के बरा मिठाई की एक अलग पहचान देश में ही नहीं विदेशो में भी है, विश्वनाथ कुमार खुशबू स्वीट्स धमौल, पकरीबरावां।