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राजद की ‘एमवाई’ जुगलबंदी में कन्हैया की सेंधमारी ​

बेगूसराय : बिहार की अबतक की सबसे हॉटसीट बनकर उभरने वाले बेगूसराय में लड़ाई दिनोंदिन दिलचस्प होती जा रही है। अभी तक अपने प्रत्याशी तनवीर हसन के पिछले चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर निश्चिंत दिखने वाले राजद में भारी खलबली मच गयी है। कारण, सीपीआई कैंडिडेट और जेएनयू ब्रांड छात्रनेता कन्हैया कुमार द्वारा राजद के ‘एमवाई’ किले में जबर्दस्त सेंधमारी है। कन्हैया अपनी रणनीति के तहत बेगूसराय के मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में करने में कामयाब होने लगे हैं। उनके काफिले में भी 90 फीसदी युवक इसी समदाय से शामिल हो रहे हैं। यही, नहीं मुस्लिम बहुल इलाकों में उन्हें भारी समर्थन मिल रहा है। यह राजद के लिए खतरे की घंटी है।

क्या है कन्हैया का प्लान

दरअसल, कन्हैया कुमार की मूल योजना राजद के आधार वोट मुस्लिम और यादव, दोनों को अपने पक्ष में करने की है। उनका कैडर वोट तो साथ में है ही, यदि वे अपनी जाति भूमिहार तबके का 30 फीसदी वोट भी अपनी तरफ मोड़ सके तो कामयाबी के बहुत करीब पहुंच जायेंगे। इसमें कन्हैया पूरा तो नहीं, लेकिन कुछ अंश तक सफल हो रहे हैं।

यादवों को रिझाने में नाकामी

लेकिन यहां नुकसान एनडीए को नहीं बल्कि राजद को हो रहा है। कन्हैया ‘एम’ के मामले में तो सफल हैं, लेकिन यादव वोट को वे अपनी तरफ नहीं ला पा रहे। ‘यादव’ किसी भी कीमत पर लालू प्रसाद के अलावा कुछ दूसरा सोचने को तैयार नहीं। नतीजा, जहां मुसलमान वोटर कन्हैया के साथ जाता दिख रहा है वहीं यादव वोटर तनवीर हसन के साथ खड़ा है।

गिरिराज को ध्रुवीकरण का लाभ

कन्हैया की रणनीति ने राजद के लिए मुश्किल तो खड़ी कर ही दी है, इसने बेगूसराय में हिंदू—मुस्लिम ध्रुवीकरण की पृष्ठभूमि भी तैयार कर दी है। यह स्थिति एनडीए के लिए काफी सुखद है। इससे एक तरफ तो भूमिहार तबके का वोट नहीं बंटेगा और सभी एकतरफा एनडीए के हो जायेंगे। दूसरी तरफ राजद के परंपरागत ‘एमवाई’ के वोट दो धड़ों में विभाजित हो जायेंगे। इसका सीधा लाभ एनडीए के फायर ब्रांड कैंडिडेट गिरिराज सिंह को मिलता दिख रहा है। गिरिराज पहले से ही ‘टुकड़े—टुकड़े’ गैंग तथा ‘इंशा अल्लाह..काश्मीर’ का आरोप लगाते हुए कन्हैया पर देशद्रोहियों की जमात का बताते रहे हैं।

प्रोपेगेंडा का नया हथियार

ताजा हालात ने बेगूसराय के त्रिकोणीय दंगल को काफी दिलचस्प बना दिया है। जातीय समीकरण के अलावा कन्हैया बेगूसराय में प्रोपेगंडा और हौव्वाबाज़ी का ट्रिक भी आजमा रहे हैं। बेगूसराय सीट के रास्ते देश की राजनीति में एंट्री का सपना संजोए कन्हैया दिल्ली—मुंबई से बड़े नामवालों को यहां बुलाकर यहां के वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ऐसा करने में उनकी ट्रिक बैकफायर भी कर रही है क्योंकि कहीं न कहीं फिल्म, थियेटर और लेखन से जुड़े इन बड़े नामधारी लोगों में बेगूसराय की जनता को उनकी देशहित-विरोधी छवि साफ झलकती नजर आती है।

जनसंपर्क का तरीका भी ‘जेएनयू’ जैसा

कन्हैया कुमार का जनसंपर्क अभियान भी छात्रसंघ चुनाव प्रचार की तरह लगता है। कन्हैया के साथ चल रहे युवाओं के प्रचार के तरीके पारंपरिक मतदाताओं को आहत करते हैं। इतना ही नहीं बेगूसराय में कई जगहों पर लोग सीपीआई उम्मीदवार के जनसंपर्क अभियान का विरोध करते भी नजर आए। फिर चाहे वो रामदीरी में युवक द्वारा प्रचार के लिए रोक जाना हो या फिर शिरणीया में कन्हैया के समर्थकों द्वारा दो युवकों से सवाल पूछे जाने पर उलझ जाना, ये सारी बातें कन्हैया के चरित्र को जनता के बीच निगेटिव स्वरूप प्रदान कर रही हैं।

(सत्यम दुबे)