नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज राफेल मामले में अपने फैसले की पब्लिक में गलत व्याख्या करने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अवमानना नोटिस थमा दिया है। कोर्ट ने राहुल गांधी से इसपर 22 अप्रैल तक जवाब मांगा है। हाल ही में राफेल मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र की दलील खारिज करते हुए कहा था कि गोपनीय दस्तावेजों को सबूत माना जा सकता है। कोर्ट के इसी वक्तव्य को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आधार बनाकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज मान लिया कि राफेल मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। उनके इस बयान के खिलाफ भाजपा नेत्री मीनाक्षी लेखी ने याचिका लगाई जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके फैसले में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की गई थी। फैसला कानूनी सवाल पर आधारित था।
कोर्ट के फैसले की राहुल ने की गलत व्याख्या
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था। अदालत ने उस वक्त डील को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने डील के चोरी हुए दस्तावेजों के आधार पर इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की। इसमें कुछ गोपनीय दस्तावेजों की फोटो कॉपी लगाई गई थीं। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से आपत्ति दर्ज कराई थी थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत विशेषाधिकार वाले गोपनीय दस्तावेजों की प्रतियों को पुनर्विचार याचिका का आधार नहीं बनाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने उनकी यह दलील खारिज कर दी थी। बस शीर्ष अदालत के इसी फैसले की गलत व्याख्या कर राहुल गांधी ने अमेठी में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज मान लिया कि राफेल मामले में कोई न कोई भ्रष्टाचार हुआ है।
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