पर्यावरण संरक्षण को चुनावी एजेंडा में शामिल करने की मांग

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पटना : जहां एक ओर लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं अप्रैल में ही आसमान से आग बरसने की ओर किसी का ध्यान नहीं। तमाम पार्टियां अपने चुनावी वायदों के साथ सियासी मैदान में हैं। लेकिन प्रचंड धूप में प्रचार को मजबूर होने के बावजूद इनमें से किसी का ध्यान पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर नहीं है।

विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़ और जलसंकट जैसी समस्याओं को लेकर किसी भी राजनीतिक दल में ततपरता नहीं दिख रही। ऐसे में पर्यावरण व उसकी चुनौतियों के निबटारे को चुनावी एजेंडा बनाने की मांग करते हुए संस्था ग्रीनपीस और जीवित माटी किसान सेवा समिति ने पटना विश्वविद्यालय के प्रांगण में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। पर्यावरण संरक्षण को लेकर आने वाली सरकार से नीतियों की मांग को लेकर देशभर में ये कार्यक्रम किये जा रहे हैं।

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ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकर्ता इश्तेयाक अहमद ने कहा कि प्रदूषण की वजह से जीडीपी में सालाना 8.5% की गिरावट दर्ज की जा रही है। और तो और उत्पादन में 1.5% का घाटा हो रहा है, इसपर सरकार को सोचना और नीति-योजना बनाना होगा।
वहीं पर्यावरणविद रंजीव ने नदियों के संबंध में बताया कि नदियों के संरक्षण के लिए दीर्घकालिक और नदी केंद्रित योजनाओं की सख़्त जरूरत है।

ग्रीनपीस इंडिया के इस अभियान में पटना विश्वविद्यालय के 200 छात्रों ने हस्ताक्षर कर इसका समर्थन किया। कार्यक्रम का अंत लोकनाटक के माध्यम से किया गया।

सत्यम दुबे

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