प्रिंटिंग उद्योग संघ ने जिलाधिकारी को दिया आवेदन , सरकार से मांग मिले प्रिंटिंग प्रेस खोलने की अनुमति

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पटना : पूरे भारत में कोरोना वायरस एक महामारी के तब तक फैल चुका।इस वायरस से बचने के लिए पिछले 50 दिनों से देश में लॉकडाउन कानून लागू है। इस लॉकडाउन कानून के कारण देश भर में प्रिंटिंग प्रेस की कारोबार बिल्कुल ठप पड़ चुकी है। जिसके चलते हैं प्रिंटिंग प्रेस में कार्य कर रहे लोगों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच आज बिहार में प्रिंटिंग उद्योग संघ ने पटना जिलाधिकारी के माध्यम से आवेदन देकर सरकार से मांग की है कि प्रिंटिंग प्रेस खोलने की अनुमति दी जाए।

प्रिंटिंग प्रेस के काम की प्रकृति ऐसी की आसानी से पूरा किया जा सकता सोशल डिस्टेंसिंग के मानक

संघ के आह्वान पर बिहार की राजधानी पटना के मछुआ टोली में बुधवार को सड़क पर ही प्रिंटिंग प्रेस संचालकों, मजदूरों व टेक्नीशियन एकत्रित हुए और प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की कि उन्हें प्रेस चलाने की अनुमति दी जाए।
संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि प्रिंटिंग प्रेस के काम की प्रकृति ऐसी है जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के मानक को आसानी से मेंटेंन किया जा सकता है। इस काम को संबंध आम आदमी से नहीं है। ऐसे में इस उद्योग को लॉकडाउन से से अलग किया जाना चाहिए।

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वायरस संक्रमण के खतरे पर करवाया गया सर्वेक्षण अध्ययन

संघ की ओर से प्रिंटिंग उद्योग के माध्यम से वायरस संक्रमण के खतरे पर एक सर्वेक्षण अध्ययन कराया गया हैं। उस अध्ययन में यह लिखा था कि प्रेस वाले स्थान पर छपाई की स्याही के कारण कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका बिल्कुल ही नहीं रहती। वहीं बाईंडिज्ञंग व प्लेट मेंकिंग जैसे काम को करने वाले मजदूरों की संख्या अत्यंत कम होती है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग टूटने की संभावना बिल्कुल नहीं रहती। इस प्रकार इस उद्योग को लाॅकडाउन के समय चलाया जाना गलत नहीं होगा।

प्रिंटिंग प्रेस पर बच्चों की शिक्षा आधारित

प्रिंटिंग उद्योग संघ के अनुसार बहुत दिनों से मशीन बंद रहने के कारण उसमें बड़ी खराबी हो सकती है। ऐसे में उसे तत्काल चालू नहीं कराया गया तो बड़ी क्षति होगी। संघ का कहना है कि हम पर बच्चों की शिक्षा आधारित है। ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था होने के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। मार्च से ही लॉकडाउन शुरू होने के कारण पुस्तकों की छपाई नहीं हो सकी इसके कारण विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को पुस्तकें नहीं मिल सकी हैं। इस बात को भी ध्यान में रखकर सरकार को तुरंत इस उद्योग को शुरू कराने का आदेश देना चाहिए।

वहीं कुछ प्रेस संचालकों का आरोप है कि मशीन की सफाई करने के लिए दुकानें खोलने वालों को भी पुलिस व अधिकारी पकड़ कर उसे थाने ले जाते है। लेकिन वहां अवैध वसूली कर उन्हें छोड़ दिया जाता है।

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