तिवारी घाट पर पुलिस ने दिखाई दरिंदगी, लोगों को दौड़ाकर पीटा, दुकानें लूटीं
सारण : जिले के डोरीगंज स्थित तिवारी घाट पर शनिवार की सुबह पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिला, जब अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम पर पहुंची पुलिस ने दूसरे काम में लगे गरीब मजदूरों की बेरहमी से पिटाई की। पुलिस की मार से किसी दुकानदार का पैर टूटा तो किसी को शरीर के दूसरे हिस्सों पर चोटें आईं।
पुलिस के आतंक का खौफ ऐसा था कि कुछ लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी। यह सब हुआ अनुमंडल पदाधिकारी, आरक्षी उपाधीक्षक, अंचलाधिकारी की मौजूदगी में डोरीगंज थानाध्यक्ष के आदेश पर, जिन्होंने किसी गोरे सिपाही की तरह बेगुनाह लोगों पर लाठियां चलवाईं और जमकर गाली-गलौज की। यही नहीं, पुलिसवालों ने दुकानों में जमकर लूटपपाट की और मिठाई व मीट खा गए।
जानकारी के अनुसार पुलिस की टीम डोरीगंज के तिवारी घाट पर शनिवार की सुबह ही पहुंच गई। घाट पर सभी लोग अपने काम में व्यस्त थे। अचानक भारी संख्या में पहुंची पुलिस बल ने लोगों पर लाठियां पटकनी शुरू कर दी। इससे घाट पर चीख-पुकार मच गई और लोग जान बचाने के लिए भागने लगे। पुलिस ने ऐसा जुल्म ढाया कि लोग या तो घाट छोड़कर भाग गए, या जान बचाने के लिए नदी में कूद गए।
बता दें कि, पुलिस के बाद जब छापेमारी करने के लिए अधिकारी पहुंचे, तब घाट पर सिर्फ दुकानदार और दाह संस्कार करने वाले लोग ही मौजूद थे। पुलिस से डर सिर्फ अवैध खनन करने-कराने वालों को होती है और ऐसा कार्य तब नहीं हो रहा था। पुलिस छापेमारी भी करने गई थी अवैध खनन करने वालों पर लेकिन वह जाते ही पिल पड़ी दाह संस्कार करने पहुंचे लोगों और वहां दुकान चलाने वालों पर। लोग भागे तो पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। यहां तक की पुलिस घाट के ऊपर बाजार तक में घुस गई और दुकानों से निकालकर लोगों की पिटाई की। कई दुकानदार परिवार के साथ दुकान चलाते हैं। पुलिस ने बच्चों के सामने ही उनके पिता को पीटा और महिलाओं के सामने भद्दी-भद्दी गालियां दीं।
नदी में डूबने से बचा व्यक्ति
पुलिस की खौफ का आलम यह था कि दुकान चलाने वाले राजा प्रसाद, सुखल शाह, राजू राय, राहुल कुमार के साथ कई लोग भागकर नदी में कूद गए। इनमें राजा प्रसाद नदी की तेज धार में डूबने लगे और उन्होंने गुहार लगाई कि मुझे तैरना नहीं आता। मुझे बचा लो। कुछ लोगों ने नदी में उनकी जान बचाई। राजा प्रसाद ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए उन्हें कुछ और न सूझा तो तैरना न आने के बावजूद वह नदी में कूद गए। पुलिस जिसे देख रही थी, उसे पीट रही थी।
इन दुकानों में की लूट, विरोध पर हाथ-पैर तोड़े
हद तो तब हो गई जब प्रशासनिक अधिकारियों और थानाध्यक्ष के सामने पुलिस ने राजकिशोर साह की मिठाई में लूटपाट की। राजकिशोर के दुकान से मिठाई तथा गल्ले का पैसा निकाल लिया। इतना ही नहीं, इसका विरोध करने पर दुकानदार को मारकर उसका दाया पैर तोड़ दिया। राजकिशोर को अस्पताल ले जाना पड़ा। वहीं सुखल शाह ने बताया कि पुलिस वालों ने उनकी दुकान के गल्ले से ₹9000 नगद और मिठाई लूट ली। उमेश राय की दुकान से ₹600 मूल्य के मिक्चर, बिस्कुट, पानी बोतल तथा राजू राय के दुकान से 5,000 नगद, देवकी शाह की दुकान से 300 लिट्टी, सनोज राय की दुकान से पानी बोतल, मिक्चर, बिस्कुट एवं सूरज कुमार के दुकान से लगभग ₹2000 मूल्य के सामान, मुन्ना शाह, राहुल कुमार, उमेश शाह तथा विकास कुमार जो कि ठेला लगाकर भुजा भेजता है उसका सब भुजा लूट लिया गया। जय लाल शाह की दुकान पर पुलिस वालों ने जबरन लिट्टी मुर्गा भी खा लिया।
पप्पू राय के दुकान से मिक्चर, बिस्कुट, पानी तथा अजय कुमार की सब्जी दुकान को तहस-नहस कर दिया गया। इसके बाद संजय ठाकुर के सैलून में एक पुलिस वाले ने दाढ़ी बनवाकर ₹100 थमा दिया और जब संजय पॉकेट से पैसा निकाल कर वापस करने लगा तो उसका जमा पूंजी झपट्टा मार छीन लिया और दुकान बंद करा दिया। पुलिस की मारपीट और लूटपाट का यह तांडव घंटों तक चलता रहा।
अवैध रूप से जब्त की कई गाड़ियां, कोर्ट का आदेश तक नहीं माना स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने खनन के खिलाफ कार्रवाई बताकर आम लोगों को आतंकित किया और उनकी पूंजी लूट ली। लोगों का कहना है कि पुलिस के साथ कई दलाल भी थे, जो यहां अवैध खनन कारोबार के लिए पुलिस को हफ्ता पहुंचाते हैं।
तिवारी घाट से पुलिस ने एक ओवरलोडेड ट्रक को जब्त किया, जिस कार्रवाई को लोगों ने जायज बताया लेकिन इसके बाद वैसे मशीनें भी जब्त की, जो खनन में नहीं लगी थी या जिनका खनन में कोई काम नहीं है। लोगों का कहना है कि पुलिस ने यह कार्रवाई अपना खौफ बढ़ाने और अवैध वसूली के लिए की है। पुलिस तीन हाइड्रा भी जब्त कर थाने ले गई, जिसका खनन में इस्तेमाल नहीं है।
इनमें एक हाइड्रा तो ऐसा है, जो जब्ती पर तिवारी घाट पर जिम्मेनामा पर लगाई गई थी। हाइड्रा के मालिक ने पुलिस को कागजात भी दिखाए और बताया कि मामला उच्च न्यायालय में है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि हम कोर्ट को नहीं जानते हैं, और सभी गाड़ियों का ताला तोड़कर थाने पर ले गए। हाइड्रा के जिम्मेनामा पर स्पष्ट लिखा है कि कोर्ट की अनुमति के बगैर इसे कहीं नहीं ले जाया जा सकता, इसके बावजूद पुलिस अवैध रूप से उसका ताला तोड़कर ले गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि जो अधिकारी और पुलिस न्यायालय का आदेश नहीं मानते, वे हमारी क्या सुनेंगे। उन्होंने पीटकर हमारा शरीर बर्बाद कर दिया और लूटकर हमारी रोजी छीन ली।
वीडियो बनाने वालों को भी न छोड़ा
जब कुछ युवाओं ने अधिकारियों और पुलिस की गाली-गलौज, मारपीट और लूटपाट की हरकतों का मोबाइल से वीडियो बनाना चाहा तो उन्हें भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। कुछ लड़कों ने बताया कि उनका मोबाइल रेत में गिरकर भूल गया, वहीं एक युवक का मोबाइल एक पुलिसवाले ने छीन लिया। कुछ वीडियो बनाने वालों को पकड़कर पुलिस ने इतनी बेरहमी से पिटाई की कि किसी की आगे रिकॉर्ड करने की हिम्मत नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि जब अधिकारी और पुलिस सही कर रहे थे तो उन्हें वीडियो बनाए जाने से दिक्कत क्यों है। इसका मतलब है कि वे गलत कर रहे थे और नहीं चाहते कि उनकी हरकत उजागर हो।
प्रशासन की शह पर ही होता है अवैध खनन
पुलिस ने अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई बताकर आम लोगों से खूनी खेल खेला, जबकि लोगों का कहना है कि यहां अवैध खनन का कारोबार पुलिस और प्रशासन की शह पर ही होता है, क्योंकि इससे स्थानीय थानेदार और पदाधिकारियों को हर महीने लाखों रुपये की अवैध कमाई होती है। हर रोज डोरीगंज, अवतार नगर, मुफस्सिल, रिविलगंज, मांझी, दिघवारा, नयागांव और सोनपुर के विभिन्न घाटों से लगभग 4 से 5 हजार बालू लदे ट्रक एवं ट्रैक्टर निकलते हैं, जिनसे एंट्री के नाम पर लाखों की उगाही प्रशासन और पुलिस के लोग करते हैं।
अकेले डोरीगंज में लगभग 1500 गाड़ियां पुलिस की देखरेख में नो एंट्री में रुपये लेकर पार कराई जाती हैं। स्थानीय लोग दबी जुबान बताते हैं कि प्रत्येक गाड़ी से 2500 से 3000 रुपये वसूले जाते हैं जिसका विरोध कई बार स्थानीय लोगों द्वारा की गई है। लेकिन, कई बार उन्हीं लोगों पर एफआईआर कर दी जाती है, जो इसका विरोध करते और इसके बाद पुलिस सुलह के लिए दबाव बनाती है।
पिछले दिनों बालू की डाक लेने वाली ब्रांड सन कमोडिटीज प्राईवेट लिमिटेड ने भी जिला प्रशासन को सुरक्षा की अर्जी दी थी। लेकिन प्रशासन द्वारा सुरक्षा नहीं दिए जाने पर वर्ष 2019 के 01 मई से कंपनी द्वारा सभी घाटों को सरेंडर कर दिया गया। जो पुलिस वैध तरीके से बालू का डाक लेने वाली कंपनी को सुरक्षा नहीं देती, वहीं अवैध रूप से खनन कर लाए गए गाड़ियों को रुपये लेकर आराम से नो एंट्री से गुजरने देती है।
यह खेल वर्षों से चल रहा है और जब भी कोई इसके खिलाफ राज्य सरकार में शिकायत करता है, तब छापेमारी के नाम पर उस पर जुल्म ढाया जाता है। एक चालक ने तो यहां तक कहा कि भूल से भी चालान लेकर अगर घाट से निकले तो आपका पकड़ा जाना निश्चित है। उसने बताया कि सीधे-सीधे एंट्री फी 2500 से 3000 पुलिस को उसकी जेब में दीजिए और आपकी गाड़ी गंतव्य तक पहुंच जाएगी।