पत्रकारिता का लक्ष्य समाज की पक्षधरता: प्रो. बल्देव भाई शर्मा
पटना: पत्रकारिता कभी निष्पक्ष नहीं हो सकती। एक प्रकार के रूप में हम जनता के पक्षकार हैं। अंतिम पंक्ति के लोगों का पक्ष लेना हमारा कर्तव्य है। समाज व लोक का पक्ष ही पत्रकारिता का पक्ष है। उक्त बातें कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहीं। वे शनिवार को विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित देवर्षि नारद स्मृति कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। विषय था— राष्ट्र के नवोत्थान में मीडिया की भूमिका। उन्होंने जनसत्ता के संपादक रहे प्रभाष जोशी को उद्धृत करते हुए कहा कि प्रभाष जी कहते थे कि पत्रकारों की एक पॉलिटिकल लाइन होनी चाहिए। यह कोई पार्टी लाइन की बात नहीं है। पक्षधरता पर ही उन्होंने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना का उल्लेख किया— …जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।
प्रो. शर्मा ने कहा कि चिंतन-मनन पत्रकारिता का मूल है। इस लिहाज से देश की स्वाधीनता के बाद हमें जो परिष्कार करना चाहिए था, वह हमने नहीं किया। औपनिवेशिक व्यवस्था ने हमें आत्महीनता के गर्त में धकेल दिया। आत्मबोध के उत्थान का कार्य नहीं हुआ। यह सार्वकालिक विषय है। उन्होंने कहा कि हमारे मान बिंदुओं के बारे में गलत धारणा है। जैसे हमारे ऋषियों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टि से रचे गए शास्त्रों को मिथ कह दिया गया। मिथ का अर्थ कल्पना यानी सत्य से दूर होना। संविधान में तीन स्तंभों का जिक्र है। मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में समाज से मान्यता दी है। यह बहुत बड़ा सम्मान है। इसलिए मीडिया राष्ट्र उन्नयन का माध्यम होना चाहिए। पत्रकारिता केवल बौद्धिक नहीं, नैतिक माध्यम भी है।
ब्रिटिश इतिहासकार जॉन बरो की पुस्तक— ‘ए हिस्ट्री ऑफ हिस्ट्रीज़’ की चर्चा करते हुए प्रो. शर्मा ने कहा कि जो अंग्रेज़ कभी हमें सपेरों की धरती कहते थे और इंडियंस एंड डॉग्स आर नॉट अलाउड की तख्ती लगवाते थे, उन्हीं अंग्रेजों की वर्त्तमान पीढ़ी अब यह कह रही कि वैश्विक अराजकता को भारतीय मूल्यों द्वारा ही सुलझाया जा सकता है, क्योंकि भारत विश्व कल्याण की दृष्टि से सोचता है। हमारी पत्रकारिता भी ऐसी ही है। यह यूरोपीय ढांचे का मीडिया नहीं है।
इससे पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकांत ओझा ने कहा कि हमारे यहां भाष्यकारों की परंपरा रही है। यही कारण है कि हमारी चिंतन की मौलिकता कभी कालबाह्य नहीं होती। गांधी का ‘हिंद स्वराज’ पढ़ने पर ज्ञात होता है कि वे उपनिषद शैली में अपनी बात रखते हैं। राष्ट्र के नवोत्थान का सूत्र वहीं छुपा है।
स्वागत संबोधन में विश्व संवाद केंद्र के सचिव डॉ. सजीव चौरसिया ने कहा कि राष्ट्रीय विचार की पत्रकारिता को प्रोत्साहित करने का प्रयास विश्व संवाद केंद्र द्वारा विगत 17 वर्षों से अनवरत किया जा रहा है। पत्रकारों को सम्मान देना और समयानुकूल विषयों पर पत्रकारीय संगोष्ठी का आयोजन करना इस संस्था की एक महत्वपूर्ण पहल है। धन्यवाद ज्ञापन विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने किया।
संबोधन के पूर्व पत्रकारों का सम्मान कार्यक्रम हुआ। 2023 का ‘डॉ. राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान’ वरिष्ठ पत्रकार कुमार दिनेश को प्रदान किया गया। ‘केशवराम भट्ट सम्मान’ युवा पत्रकार सविता कुमारी को बोर्ड परीक्षाओं व महिला समस्याओं पर की गई उनकी एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग के लिए प्रदान किया गया। बाबूराव पटेल रचनाधर्मिता सम्मान फोटोपत्रकार संदीप नाग को दिया गया। मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार रजनी शंकर ने किया। इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों द्वारा विश्व संवाद केंद्र की स्मारिका ‘प्रत्यंचा’ का विमोचन भी किया गया।