Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट

पटना में मनाया गया वर्ल्ड वेटेरिनरी डे

पटना : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी वर्ल्ड वेटेरिनरी डे 27 अप्रैल को मनाया गया। हर वर्ष एक नए विषय के साथ इसे मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय ‘टीकाकरण के महत्व’ पर चर्चा आयोजित की गई। इससे जुड़े कई विशेषज्ञ और विद्वान भी आज के कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस अवसर पर बहुत बड़ी संख्या में पशु चिकित्सक भी आए हुए थे। टीकाकरण के महत्व को समझया गया और इससे जुड़े भ्रम को दूर करने की बहुत सारे बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया। डॉ कुमार सौरभ ने कहा कि सबसे पहले तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि वैक्सीनेशन क्यों जरूरी है और इसे न लेने पर क्या खतरे हो सकते हैं। डॉ कुमार सौरभ ने कहा कि बहुत सारी ऐसी बीमारियां होती हैं जो पशुओं में पाई जाती है और उन पशुओं से ट्रांसमिट होकर हम तक पहुंच जाती है। उन्होंने कहा कि हमें ये पता ही नहीं कि कौन सी बीमारी कहां और कैसे हम तक ट्रांसमिट हो रही है। लेकिन वैक्सीनेशन से इसे रोका जा सकता है। वैक्सीनेशन से पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सकता है। डॉ कुमार सौरभ ने कहा कि डिज़ीज़ होने के चांसेज कम हो जाते हैं और जो जनोटिक डिज़ीज़(इंसान और पशुओं दोनों को होनेवाली बीमारी) है उसको फैलने से रोकता है। उन्होंने कहा कि 2011 में भारत सहित पूरे दुनिया मे रेंडर पेस नाम की बीमारी फैल गई थी और उसे वैक्सीनेशन के माध्यम से खत्म कर दिया गया था।इसी से टीकाकरण के महत्व को समझा जा सकता है। आगे उन्होंने कहा कि गोआ में वैक्सीनेशन से ही रैबीज़ को लगभग खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा मास वैक्सीनेशन को सफल बनाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि लार्ज स्केल पर मैनपावर की जरूरत होती है जो कि नहीं मिल पाती है। फिर उतनी बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन उपलब्ध नहीं हो पाता है। फिर उसको रखने की जगह का भी इन्तेज़ाम नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा एफएमडी वैक्सीनेशन होने के बाद भी बिहार में यह फेलियर हो गया था। डॉ सौरभ ने कहा कि गोरखपुर में जेपेनीज़ इंसेफ्लाइटिस नाम की बीमारी से हर साल सैंकड़ो बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं। लेकिन उनको यदि ये पता रहेगा कि यह बीमारी मछर से फैलता है तो बचाव का प्रयास करेंगे। अब इस बीमारी को खत्म करने के लिए वैक्सीनेशन बाजार में उपलब्ध है, जो कि आज से दो-तीन वर्ष पहले तक नहीं था।

मधुकर योगेश