पैरों में नहीं, पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं बेटियां

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पटना : उसे सुनिए.., तभी आप उसे समझ और जान पाऐंगे। हम बात कर रहे हैं 13 से 19 एज ग्रुप की बेटियों की। पटना के बीआईए हाॅल में ‘टीन एज लड़कियों’ पर एक कार्यशाला हुई जिसमें नानदी और सोनाई संस्थाओं द्वारा 13 वर्ष से 19 वर्ष की लड़कियों पर विभिन्न मुद्दों को लेकर हुए सर्वे पर एक डिटेल्ड रिर्पोट पेश की गई। यह सर्वे राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर हुआ था। इसमें 13-19 उम्र की किशोरियों के मन की बात, उनके लक्ष्य, अलग-अलग विषयों पर उनकी राय और उनके स्वास्थ्य संबंधी विषयों से जुड़़े आंकड़ों को शामिल किया गया।

नानदी संस्था की रोहिणी मुखर्जी ने स्लाइड पर सर्वे के नतीजे पेश करते हुए कहा कि किशोंरियों से सवाल पूछा गया था कि क्या वे काॅलेज जाने में सक्षम हैं। वे अपनी जिंदगी से क्या चाहती हैं। ऐसे कई सवालों पर चैंकाने वाले तथ्य सामने आए। बिहार में 90 प्रतिशत लड़कियां स्कूल या काॅलेज जाती हैं। शादी की उम्र वह खुद के लिए 22 से 24 को उपयुक्त मानती हैं। 90 प्रतिशत लड़कियां स्वावलंबी होकर रहना चाहती हैं। 85 प्रतिशत युवतियां किसी पुरुष पर निर्भर न होकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं। ल​ड़कियों के बीच संस्था ने कैरियर व अन्य मुद्दों पर भी सर्वे किया। सर्वे में स्वास्थ्य से जुड़े प्रश्न पर रिर्पोट में बिहार राष्ट्रीय स्तर पर भारत के मानकों को पूरा करता है।

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कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नानदी संस्था की रोहिणी मुखर्जी ने कहा कि किशोरियों के विचार और उनके सपने साकार करने में समाज, परिवार तथा राष्ट्र को उनका सहयोग करना चाहिए। हमें अपने देश की किशोरियों के भाव को समझने के लिए उनकी बातों को ध्यान से सुनना होगा। तभी देश सही मायनों में विकास करेगा।

(बीना कुमारी सिंह)

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